राष्ट्रीय - Swar Swatantra https://swarswatantra.in Latest News | Breaking News | Live News Wed, 23 Apr 2025 12:55:49 +0000 hi-IN hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.7.2 https://swarswatantra.in/wp-content/uploads/2021/06/swarswatantra-2-150x150.png राष्ट्रीय - Swar Swatantra https://swarswatantra.in 32 32 डी एम पहुंचे गेहूँ के खेत में https://swarswatantra.in/archives/10764?utm_source=rss&utm_medium=rss&utm_campaign=%25e0%25a4%25a1%25e0%25a5%2580-%25e0%25a4%258f%25e0%25a4%25ae-%25e0%25a4%25aa%25e0%25a4%25b9%25e0%25a5%2581%25e0%25a4%2582%25e0%25a4%259a%25e0%25a5%2587-%25e0%25a4%2597%25e0%25a5%2587%25e0%25a4%25b9%25e0%25a5%2582%25e0%25a4%2581-%25e0%25a4%2595%25e0%25a5%2587-%25e0%25a4%2596%25e0%25a5%2587%25e0%25a4%25a4-%25e0%25a4%25ae https://swarswatantra.in/archives/10764#respond Wed, 23 Apr 2025 12:55:49 +0000 https://swarswatantra.in/?p=10764 जिलाधिकारी आशीष भटगांई ने मंगलवार को भिटालगाँव में किसान दान सिंह के खेत में गेहूँ की क्रॉप कटिंग का निरीक्षण किया। निरीक्षण का मुख्य उद्देश्य रबी मौसम 2024-25 के लिए गेहूँ की औसत उपज का आकलन करना है, जो राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना के तहत फसल क्षतिपूर्ति के आंकलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। क्रॉप कटिंग ... Read more

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जिलाधिकारी आशीष भटगांई ने मंगलवार को भिटालगाँव में किसान दान सिंह के खेत में गेहूँ की क्रॉप कटिंग का निरीक्षण किया। निरीक्षण का मुख्य उद्देश्य रबी मौसम 2024-25 के लिए गेहूँ की औसत उपज का आकलन करना है, जो राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना के तहत फसल क्षतिपूर्ति के आंकलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
क्रॉप कटिंग के दौरान निर्धारित 30 वर्ग मीटर का प्लाट बनाकर गेहूँ फसल की कटाई की गई। कटाई के बाद इस प्लाट से कुल 12.300 किलोग्राम गेहूँ की बालियाँ प्राप्त हुईं। 60 प्रतिशत का ड्राई रेशियो लगाने पर अनुमानित उपज 7.38 किलोग्राम रही। क्रॉप कटिंग प्रयोग शासन द्वारा लागू की गई राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना के तहत महत्वपूर्ण है। इस योजना के तहत बीमा किए गए फसलों पर बीमा धनराशि का भुगतान बीमा कंपनी द्वारा किया जाता है, और क्षति का आंकलन इन्हीं क्रॉप कटिंग प्रयोगों से प्राप्त पैदावार के आंकडों के आधार पर किया जाता है।

इस अवसर पर उपजिलाधिकारी मोनिका, तहसीलदार दलीप सिंह, अपर संख्याधिकारी विनोद किस्वाण सहित किसान मौजूद रहे।

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बागेश्वर पुलिस अराजकता के ख़िलाफ़ हुई मुखर https://swarswatantra.in/archives/10754?utm_source=rss&utm_medium=rss&utm_campaign=%25e0%25a4%25ac%25e0%25a4%25be%25e0%25a4%2597%25e0%25a5%2587%25e0%25a4%25b6%25e0%25a5%258d%25e0%25a4%25b5%25e0%25a4%25b0-%25e0%25a4%25aa%25e0%25a5%2581%25e0%25a4%25b2%25e0%25a4%25bf%25e0%25a4%25b8-%25e0%25a4%2585%25e0%25a4%25b0%25e0%25a4%25be%25e0%25a4%259c%25e0%25a4%2595%25e0%25a4%25a4%25e0%25a4%25be-%25e0%25a4%2595 https://swarswatantra.in/archives/10754#respond Tue, 22 Apr 2025 10:37:58 +0000 https://swarswatantra.in/?p=10754 अराजक तत्वों/मनचलों पर लगाम लगाने व ट्रैफिक नियमों का पालन न करने वालों के विरुद्व सी0ओ0बागेश्वर के नेतृत्व में कोतवाली पुलिस का सघन चैकिंग अभियान लगातार जारी। इसी क्रम में सभी थाना प्रभारियों द्वारा भी अपने-अपने थाना क्षेत्र में चलाया सघन चैकिंग अभियान. पुलिस अधीक्षक, बागेश्वर चंद्र शेखर घोड़के के निर्देशन में पुलिस उपाधीक्षक, बागेश्वर ... Read more

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अराजक तत्वों/मनचलों पर लगाम लगाने व ट्रैफिक नियमों का पालन न करने वालों के विरुद्व सी0ओ0बागेश्वर के नेतृत्व में कोतवाली पुलिस का सघन चैकिंग अभियान लगातार जारी।

इसी क्रम में सभी थाना प्रभारियों द्वारा भी अपने-अपने थाना क्षेत्र में चलाया सघन चैकिंग अभियान.

पुलिस अधीक्षक, बागेश्वर चंद्र शेखर घोड़के के निर्देशन में पुलिस उपाधीक्षक, बागेश्वर व प्रभारी निरीक्षक कोतवाली श्कैलाश सिंह नेगी के नेतृत्व में कोतवाली पुलिस टीम द्वारा देर रात्रि तक नगर क्षेत्र में पैदल मार्च कर अराजक तत्वों/मनचलों पर लगाम लगाने व यातायात नियमों का पालन न करने वालों के विरूद्ध सघन चैकिंग अभियान चलाया गया जिसमें वाहनों, होटलों, ढाबों आदि को चैक किया गया एवं बाहरी व्यक्तियों के सत्यापन चैक किये गये साथ ही दुकानदारों व फड़ फेरी लगाने वालों को सुगम यातायात के दृष्टिगत सड़क मार्ग पर किसी भी प्रकार का अतिक्रमण न फैलाने हेतु सख्त हिदायत दी गयी।

इसी क्रम में जनपद पुलिस द्वारा अपने-अपने थाना क्षेत्रान्तर्गत चैकिंग अभियान चलाया गया एवं सम्बन्धितों के विरुद्व चालानी कार्यवाही की गयी ।
यातायात नियमों का उल्लंघन (ओवरलोडिंग, खतरनाक तरीके से वाहन चलाना, मोबाइल का प्रयोग करना, बिना रिफ्लेक्टर, बिना नम्बर प्लेट/दोषपूर्ण नम्बर प्लेट, बिना हेलमेट) वाले व सार्वजनिक स्थलों/ धार्मिक स्थलों पर शराब पीकर गन्दगी करने व हुड़दंग करने वाले कुल 68 व्यक्तियों के खिलाफ वैधानिक कानूनी कार्रवाई की गई।
विपिन जोशी

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पर्यटकों का कौसानी के प्रति घटता रुझान https://swarswatantra.in/archives/10751?utm_source=rss&utm_medium=rss&utm_campaign=%25e0%25a4%25aa%25e0%25a4%25b0%25e0%25a5%258d%25e0%25a4%25af%25e0%25a4%259f%25e0%25a4%2595%25e0%25a5%258b%25e0%25a4%2582-%25e0%25a4%2595%25e0%25a4%25be-%25e0%25a4%2595%25e0%25a5%258c%25e0%25a4%25b8%25e0%25a4%25be%25e0%25a4%25a8%25e0%25a5%2580-%25e0%25a4%2595%25e0%25a5%2587-%25e0%25a4%25aa%25e0%25a5%258d%25e0%25a4%25b0 https://swarswatantra.in/archives/10751#respond Mon, 21 Apr 2025 02:54:46 +0000 https://swarswatantra.in/?p=10751 क्यों कम होने लगा कौसानी, बैजनाथ के प्रति पर्यटकों का रुझान ? यह सवाल अब कौसानी बैजनाथ के होटल व्यवसाइयों के लिए चिंता का सबब बन चुका है। विगत दो वर्षो में उत्तराखण्ड के धधकते वनों ने पर्यटन को प्रभावित किया है तो दूसरी ओर नैनीताल के कैंची धाम में बेतहाशा भीड़ और ट्रेफिक जाम ... Read more

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क्यों कम होने लगा कौसानी, बैजनाथ के प्रति पर्यटकों का रुझान ? यह सवाल अब कौसानी बैजनाथ के होटल व्यवसाइयों के लिए चिंता का सबब बन चुका है। विगत दो वर्षो में उत्तराखण्ड के धधकते वनों ने पर्यटन को प्रभावित किया है तो दूसरी ओर नैनीताल के कैंची धाम में बेतहाशा भीड़ और ट्रेफिक जाम की समस्या ने पर्यटकों का रूझान उत्तराखण्ड के अन्य पर्यटक स्थलों के प्रति कम किया है। अब पर्यटक कैंची धाम से मुक्तेश्वर और नैनीताल का रूख करने लगे हैं। कौसानी के व्यापारी और होटल कारोबारियों का मानना था कि कौसानी में शराब की दुकान खुलने से पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा लेकिन जगह-जगह लगने वाले ट्रेफिक जाम ने पर्यटकों का कौसानी मोह भंग किया है। शराब की दुकानों के साथ सरकार को सड़क यातायात संबंधी मुद्दों पर भी ध्यान देना होगा। व्यापारी कहने लगें हैं कि कैंची धाम से वापस जा रहे हैं पर्यटक। पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए क्या कर रहा है पर्यटन विभाग ?
अप्रैल मई में कौसानी और बैजनाथ पर्यटकों से गुलजार रहते थे। कोविड के बाद विगत दो सालों में कौसानी और बैजनाथ में पर्यटकों की आमद कम होने से होटल और लोकल व्यवसाई परेशान और चिंतित हैं। होटल एसोसियन और व्यापार संघ के जिलाध्यक्ष बबलू नेगी ने बताया कि कौसानी में पर्यटकों के लिए मनोरंजन के विकल्प होने चाहिए । यातायात को और सुगम बनाना होगा। कैंची धाम में लगातार जाम लगने से पर्यटक आगे का रुख करने से कतराते हैं। क्या सरकार के पास ट्रैफिक जाम से निपटने का कोई तरीका नहीं है ? इस वजह से कौसानी और बैजनाथ में पर्यटक नहीं पहुंच पा रहे हैं। होटल व्यवसाय चौपट हो गया है। हेली सेवा का लाभ पर्यटकों को मिले इसके लिए हैली पैड से कौसानी तक टैक्सी की सुविधा देनी चाहिए। बैजनाथ के व्यापारियों ने कहा कि बैजनाथ में संग्रहालय और शौचालय की व्यवस्था नहीं है, इस कारण पर्यटकों को ऐतिहासिक शोध से वंचित होना पड़ता है, शौचालय की सुविधा नहीं मिल पाती है। सरकार इस दिशा में जल्दी काम करेगी तो उसका असर पर्यटन पर पड़ेगा।
विपिन जोशी, गरुड़

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आग का तांडव हर ओर सिर्फ धुँआ : विपिन जोशी https://swarswatantra.in/archives/10741?utm_source=rss&utm_medium=rss&utm_campaign=%25e0%25a4%2586%25e0%25a4%2597-%25e0%25a4%2595%25e0%25a4%25be-%25e0%25a4%25a4%25e0%25a4%25be%25e0%25a4%2582%25e0%25a4%25a1%25e0%25a4%25b5-%25e0%25a4%25b9%25e0%25a4%25b0-%25e0%25a4%2593%25e0%25a4%25b0-%25e0%25a4%25b8%25e0%25a4%25bf%25e0%25a4%25b0%25e0%25a5%258d%25e0%25a4%25ab-%25e0%25a4%25a7%25e0%25a5%2581%25e0%25a4%2581 https://swarswatantra.in/archives/10741#respond Tue, 08 Apr 2025 14:40:50 +0000 https://swarswatantra.in/?p=10741 बागेश्वर जनपद के जंगलों में नहीं थम रहा आग का तांडव. जनपद के अलग-अलग क्षेत्रों के जंगलों में लगातार भीषण आग लगने से जहा एक ओर वन संपदा को भारी नुकसान हो रहा है, साथ ही आग लगने से चारों ओर धुवां छा गया है, जिससे कौसानी से हिमालय का दीदार करने आए पर्यटकों को ... Read more

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बागेश्वर जनपद के जंगलों में नहीं थम रहा आग का तांडव. जनपद के अलग-अलग क्षेत्रों के जंगलों में लगातार भीषण आग लगने से जहा एक ओर वन संपदा को भारी नुकसान हो रहा है, साथ ही आग लगने से चारों ओर धुवां छा गया है, जिससे कौसानी से हिमालय का दीदार करने आए पर्यटकों को हिमालय नहीं दिखने से पर्यटक मायूस नजर आ रहे हैं. होटल व्यवसायी भी निराश हैं. व्यवसायियों का कहना है कि कौसानी में पर्यटक अच्छे मौसम व हिमालय के दीदार करने को पहुंचता है, ऐसे में चारों ओर आग के धुंए ने विजिबिलिटी कम कर दी है और हिमालय के दीदार नहीं होने से कौसानी आए पर्यटक मायूस हो लौटने को मजबूर हैं.
सामाजिक कार्यकर्त्ता,गिरीश कोरंगा ने बताया कि इस बार समय से पहले ही जंगलों में भीषण आग लग गयी हैं,जंगलों में आग की वजह से यहां आए पर्यटक मायूस लौट रहे हैं क्योंकि उन्हें हिमालय का दीदार नहीं हो पा रहा है, उन्होंने बताया की चारों ओर अभी से धुँवा ही धुँवा फैल गया हैं, जिससे बुजर्गो को भी दिक्कतें हो रही हैं. दमे के मरीजों के लिए यह सीजन मुश्किल भरा है. उन्होंने वन विभाग से आग पर नियंत्रण कर व्यवस्थाओं को सुधारने के लिए कहा है.
उप जिलाधिकारी गरुड़ जीतेन्द्र वर्मा ने बताया की पिछले वर्ष के फायर अनुभव के आधार पर हमने इस वर्ष सर्दियों से ही दावानल की घटनाओं की रोकथाम हेतु योजना बनाई हैं, कई जगहों पर शिविर भी लगाए गए हैं, इन शिविरों में एसडीआएफ, फायर फ़ोर्स, पुलिस विभाग,राजस्व विभाग स्थानीय नागरिक संगठन शामिल रहे, गावों में भी शिविर लगाने की योजना है. उक्जात संदर्गभ में जागरूकता अभियान भी चलाये जा रहे हैँ. कृषि भूमि तथा वन भूमि में लगाई जाने वाली आग वातावरण के लिए हानिकारक हैं इस बात की जानकारी लोगो को दी जा रही हैं. वर्तमान में तीन आग की घटनाये सेटेलाइट से रिकार्ड हुई हैं, जिले में 32 फायर क्रू स्टेशन बनाये गए हैँ, जिसमे प्रत्येक क्रू स्टेशन में 4 फायर वाचार नियुक्त हैँ, आग लगाने वालों व आग की जानकारी देने वालों की सूचना देने वालों को इनाम भी दिया जायेगा .उन्होंने स्थानीय लोगो अपील की हैं की इस तरह की घटनाओं से बचें, तांकी पर्यटक यहाँ आकर प्राकृतिक छटा का आनंद लें व अच्छा संदेश लेकर जाएँ.
गड़खेत रेंज के वन श्रेत्र अधिकारी केवलानंद पांडे ने लोगों से अपील की है कि फायर सीजन में अपनी नाप भूमि हो या जंगलात की भूमि उसे आग से बचाने में विभाग की मदद करें। केवलानंद पांडे ने जानकारी दी कि उन्होंने अभी तक 38 खूंखार जानवरों को पिंजड़े में कैद किया है। पर्यावरण संरक्षण के प्रति और वन्य जीव के प्रति वन विभाग अपनी टीम के साथ हमेशा तत्पर है।
पांडे ने बताया कि आम तौर पर तीन प्रकार की आग जंगलों में लगती है। जो आग के व्यवहार और जंगल की संरचना पर आधारित होती हैं।
सतही आग , यह आग जंगल की सतह पर फैलती है और मुख्य रूप से सूखी घास, पत्तियाँ, टहनियाँ और छोटे पौधों को जलाती है। यह सबसे आम प्रकार की जंगल की आग है और इसे नियंत्रित करना अपेक्षाकृत आसान होता है।
मुकुट आग ,यह आग पेड़ों की चोटियों (मुकुट) तक पहुँचती है और तेजी से फैलती है, खासकर जब हवा तेज होती है। यह बहुत तीव्र और खतरनाक होती है, क्योंकि यह बड़े पैमाने पर पेड़ों को नष्ट कर देती है।
भूमिगत आग , यह आग जमीन के नीचे जलती है, जहाँ जैविक पदार्थ जैसे पीट या जड़ें मौजूद होती हैं।यह धीरे-धीरे जलती है और लंबे समय तक सुलगती रह सकती है, जिससे इसे बुझाना मुश्किल होता है।
बागेश्वर के वनों में फिलहादल सतही आग ज्यादा फैल रही है। समुदाय और विभाग के समन्वय से इस प्रकार की आग को नियंत्रित किया जा सकता है।

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पानी का घालमेल : विपिन जोशी https://swarswatantra.in/archives/10732?utm_source=rss&utm_medium=rss&utm_campaign=%25e0%25a4%25aa%25e0%25a4%25be%25e0%25a4%25a8%25e0%25a5%2580-%25e0%25a4%2595%25e0%25a4%25be-%25e0%25a4%2598%25e0%25a4%25be%25e0%25a4%25b2%25e0%25a4%25ae%25e0%25a5%2587%25e0%25a4%25b2-%25e0%25a4%25b5%25e0%25a4%25bf%25e0%25a4%25aa%25e0%25a4%25bf%25e0%25a4%25a8-%25e0%25a4%259c%25e0%25a5%258b%25e0%25a4%25b6%25e0%25a5%2580 https://swarswatantra.in/archives/10732#respond Sun, 06 Apr 2025 07:48:59 +0000 https://swarswatantra.in/?p=10732 पानी का घालमेल : भारत सरकार और उत्तराखण्ड सरकार की बहुउद्देशीय योजना थी जल जीवन मिशन याने घर-घर नल। बस सिर्फ नल क्योकी जल या तो गायब है या फिर तुर-तुर करके रेंगता हुआ किसी स्टैण्ड पोस्ट तक पहॅुच भी गया तो गनीमत समझो। किस्सा है वैसे तो संपूर्ण उत्तराखण्ड का लेकिन एक गॉव से ... Read more

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पानी का घालमेल :
भारत सरकार और उत्तराखण्ड सरकार की बहुउद्देशीय योजना थी जल जीवन मिशन याने घर-घर नल। बस सिर्फ नल क्योकी जल या तो गायब है या फिर तुर-तुर करके रेंगता हुआ किसी स्टैण्ड पोस्ट तक पहॅुच भी गया तो गनीमत समझो। किस्सा है वैसे तो संपूर्ण उत्तराखण्ड का लेकिन एक गॉव से समझते हैं जल जीवन मिशन के घोटाले को विस्तार से। दो वर्ष पूर्व तैलीहाट के ग्रामीणों के अथक प्रयासों से 65 लाख की परियोजना पर काम शुरू हुआ। नदी के किनारे लिफ्ट योजना के तहत 260 मीटर गहरी ड्रील कराई गई 13 पाईप लगने थे ग्रामीण बताते हैं कि 260 मीटर गहरा डी्रल होना था लेकिन सिर्फ 35 मीटर डी्रल किया गया और काफी राजैनतिक दबाव के बाद ग्रामीणों के हो हल्ला करने के बाद 5 अप्रैल को पेयजल योजना को पानी का डिस्चार्ज नापने के लिए दो घंटा चलाया गया। पानी का डिस्चार्ज स्टोरेज टैंक पर नापना था, हालांकी स्टोरेज टैंक अभी बना नहीं है। पानी का डिस्चार्ज बहुत कम है 4 सेकेण्ड में 1 लीटर पानी भर रहा है। स्टोरेज टैंक की क्षमता है 27500 लीटर इस हिसाब से टैंक को लगभग 27 घंटे लगेंगे भरने में यदि पानी लगातार चालू रहा तो।
दो साल से जल जीवन मिशन की योजना में अटक-अटक कर निर्माण कार्य चल रहा है। ग्रामीणों ने मनरेगा स्कीम में जो टैंक बनाया था अब उसे स्टोरेज टैंक बनाया जा रहा है। रेता मिट्टी में तब्दील हो रहा है विभागीय एक्शन और जेई कहते हैं कि एक महीने में टैंक बन कर तैयार हो जाएगा। तब तक इस सूखे सीजन में ग्रामीण पानी के संघर्ष से जूझते रहेंगे। इस पूरे किस्से में कौन दोषी है। योजना का मुख्य ठेकेदार कहता है कि विभाग ने उसे भुगतान नहीं किया है, विभाग कहता है कि कार्य संतोषजनक नहीं है तो भुगतान में विलंब हो रहा है। स्वयं मैंने तीन शिकायतें जल जीवन मिशन की उक्त योजना के खिलाफ तहसील प्रशासन को दी हैं। उस पर भी कोई लिखित जवाब नहीं आया है। मुख्य मंत्री पोर्टल में भी मामला लगाया है। साथ में सूचना के अधिकार से जानकारी मांगी है। ग्राम वासियों का एक ही सवाल है कि सरकार ने 65 लाख खर्च किए हैं तो उसका समुचित लाभ ग्रामीणों को मिलना चाहिए। सरकारी योजनाओं का बुरा हाल तब होता है जब जनता योजना के प्रति जागरूक न हो। समय-समय पर निगरानी करने और विभाग से जानकारी लेने के बाद भी परियोजना का हाल संतोषजनक नहीं है तो स्थिति की गंभीरता जग जाहिर है। उक्त प्रकरण पर ग्रामीणों ने दर्जा प्राप्त राज्य मंत्री शिव सिंह बिष्ट से भी मुलाकात की मंत्री महोदय ने फोन पर एक्शन को निर्देश देते हुए कहा कि एक सप्ताह में पानी की लाइन शुरू नहीं हुई तो अग्रिम कार्यवाही की जाएगी। एक्शन साहब अब हरकत में है। पानी तो चढ़ चुका है लेकिन इस चढ़ाई में पानी का दम फूल गया है साथ में योजना को भी दमा न हो जाए। इस गंभीर मामले पर विभाग तुरंत कार्यवाही करे, पाइप लाइन की मुख्य स्रोत पर गहराई की जांच डीपीआर के आधार पर हो।

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शराब संस्कृति पर साहित्यिक चर्चा https://swarswatantra.in/archives/10729?utm_source=rss&utm_medium=rss&utm_campaign=%25e0%25a4%25b6%25e0%25a4%25b0%25e0%25a4%25be%25e0%25a4%25ac-%25e0%25a4%25b8%25e0%25a4%2582%25e0%25a4%25b8%25e0%25a5%258d%25e0%25a4%2595%25e0%25a5%2583%25e0%25a4%25a4%25e0%25a4%25bf-%25e0%25a4%25aa%25e0%25a4%25b0-%25e0%25a4%25b8%25e0%25a4%25be%25e0%25a4%25b9%25e0%25a4%25bf%25e0%25a4%25a4%25e0%25a5%258d%25e0%25a4%25af https://swarswatantra.in/archives/10729#respond Sun, 06 Apr 2025 06:59:40 +0000 https://swarswatantra.in/?p=10729 पंत विथिका में शराब की संस्कृति पर साहित्यिक चर्चा. उत्तराखंड के कौसानी में हाल ही में जो कुछ हुआ, उसने साहित्यप्रेमियों और संस्कृति के रखवालों को झकझोर कर रख दिया है. प्रकृति के कवि, युगवाणी के शिल्पी और मानवतावाद के पुरोधा सुमित्रानंदन पंत की स्मृति में बनी पंत विथिका, जहां शब्दों में सौंदर्य, संवेदना और ... Read more

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पंत विथिका में शराब की संस्कृति पर साहित्यिक चर्चा.
उत्तराखंड के कौसानी में हाल ही में जो कुछ हुआ, उसने साहित्यप्रेमियों और संस्कृति के रखवालों को झकझोर कर रख दिया है. प्रकृति के कवि, युगवाणी के शिल्पी और मानवतावाद के पुरोधा सुमित्रानंदन पंत की स्मृति में बनी पंत विथिका, जहां शब्दों में सौंदर्य, संवेदना और शांति का वास होता है, वहां शराब की दुकान के समर्थन में एक बैठक का आयोजन, न केवल अप्रत्याशित है, बल्कि चिंताजनक और शर्मनाक भी है.
सुमित्रानंदन पंत न केवल छायावादी युग के स्तंभ थे, बल्कि वे आधुनिक भारत की सांस्कृतिक आत्मा के प्रतीक रहे. कौसानी, जो उनकी जन्मभूमि है, वर्षों से साहित्यप्रेमियों और पर्यटकों के लिए एक तीर्थ समान रहा है. ऐसे स्थान पर किसी वाणिज्यिक और विवादित विषय जैसे शराब की दुकान खोलने के पक्ष में बैठक का होना, एक प्रकार से उस पवित्र स्थल की आत्मा को आहत करने जैसा ही है. शराब का मुद्दा सामाजिक, स्वास्थ्य और नैतिक दृष्टिकोण से हमेशा संवेदनशील रहा है। जिस स्थल पर राष्ट्र और प्रकृति को समर्पित कविताएं गूंजी हों, वहां ऐसी चर्चा का होना न केवल अनुचित है, बल्कि युवाओं के लिए भी गलत संदेश देता है. पंतजी की कविता में जिस निर्मलता और आत्मिक शुद्धता की बात थी, उसके विपरित शराब की दुकान खोले जाने की प्रबल भावना और ललक इस बैठक के लिए सहमति प्रदान करने वाले पंत विथिका के संरक्षक को जरूर दिखाई दे रही होगी तभी तो उन्होंने आनन—फानन विथिका के आंगन के साथ ही भीतरी मुख्य कक्ष भी तुरंत ही खोल दिया. अब पंत विथिका के संरक्षक के सामने भी तो किंकर्तव्य विमूढ़ वाली स्थिति हो गई होगी.
दबी आवाज में कुछ लोगों का कहना है कि पर्यटन और विकास का मार्ग स्वच्छ संस्कृति से होकर गुजरता है, न कि नशे के प्रोत्साहन से. पंत विथिका जैसे स्थल का प्रयोग यदि सांस्कृतिक जागरूकता, साहित्यिक गोष्ठियों और शिक्षा के उद्देश्यों के बजाय शराब की दुकान के समर्थन जैसे विषयों के लिए होने लगे, तो यह पूरे समाज के लिए एक चेतावनी के साथ ही कलंक हुआ.
क्या कभी इन सवालों के उत्तर मिल पाएंगे. क्या यह निर्णय स्थान की गरिमा और उसकी ऐतिहासिक-सांस्कृतिक पहचान की अवहेलना नहीं है? क्या हम अपने साहित्यिक पूर्वजों के योगदान को इस तरह तुच्छ मुद्दों में घसीट सकते हैं? क्या विकास की परिभाषा अब सिर्फ राजस्व और वाणिज्य बनकर रह गई है? कौसानी क्षेत्र में अवैध शराब किसके संरक्षण में फल फूल रहा होगा? वैसे सवाल तो ये भी उठता है कि, इस पर खबरनवीसों की नजर क्योंकर चूक गई होगी..??
आज जब हम आधुनिकता की ओर बढ़ रहे हैं, तब यह आवश्यक है कि हम अपनी जड़ों को न भूलें. सुमित्रानंदन पंत केवल एक कवि नहीं थे, वे एक युगद्रष्टा थे, जिनकी संवेदना आज भी कौसानी की हवाओं में जीवित है. उनका अपमान, केवल एक व्यक्ति का नहीं, बल्कि पूरी सांस्कृतिक चेतना का अपमान है.
कौसानी, जहां सूरज की पहली किरण हिमालय की चोटियों पर पड़ती है, वहीं कहीं कोने में शराब की अवैध नदी भी बहती है. और हां, ये नदी बिना बारिश के भी कभी सूखती नहीं है.
माना जाता है कि यहां की जलवायु अवैध शराब बेचने के लिए बहुत अनुकूल है. पर असली कमाल तो उस छाया का है जो इसे संरक्षण देती है. अब वो छाया कौन है? कोई पेड़ नहीं, साहब… वो तो कुछ छायादार नीति नियंता वाले बड़े लोग हुऐ.
पुलिस का जबाव, यहां सब ठीक है.
प्रशासन से पूछो तो जबाव मिलेगा, ‘जांच करेंगे’
जनप्रतिनिधि से पूछो तो वो कहे, ‘हमें विश्वास है कि सब ठीक चल रहा है.’
और शराब माफिया से पूछो तो…?
वो तो कहे, ‘हमारे ग्राहक संतुष्ट हैं, धन्यवाद.’
लोग कहते हैं कौसानी स्वर्ग है. हाँ, बस यहां देवता की जगह शराब ने लेनी शुरू कर दी है. अब कोई शिकायत करे तो वही पुरानी बात, ‘शराब पीना अपराध नहीं, अवैध बेचना अपराध है. और वो तो…’ऊपर’ वाले देख ही लेंगे.’
अफसोस..! नीति-नियंताओं के कानों में सिर्फ शराब समर्थक और शराबियों की मधुर आवाजें ही गूंजायमान हो रही हैं. जनता की आवाजें तो हमेशा से ही नक्कारखाने में तूती की आवाज की तरह ही हुई जो कभी भी नीति-नियंताओं के कानों तक पहुंच ही नही पाती हैं. वैसे भी उन्हें ये बेसूरे राग तो बिल्कुल भी पसंद नही हुए.
पत्रकार केशव भट्ट की रिपोर्ट

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सवाल आस्था का है : विपिन जोशी https://swarswatantra.in/archives/10722?utm_source=rss&utm_medium=rss&utm_campaign=%25e0%25a4%25b8%25e0%25a4%25b5%25e0%25a4%25be%25e0%25a4%25b2-%25e0%25a4%2586%25e0%25a4%25b8%25e0%25a5%258d%25e0%25a4%25a5%25e0%25a4%25be-%25e0%25a4%2595%25e0%25a4%25be-%25e0%25a4%25b9%25e0%25a5%2588-%25e0%25a4%25b5%25e0%25a4%25bf%25e0%25a4%25aa%25e0%25a4%25bf%25e0%25a4%25a8-%25e0%25a4%259c%25e0%25a5%258b%25e0%25a4%25b6 https://swarswatantra.in/archives/10722#respond Sun, 06 Apr 2025 01:57:33 +0000 https://swarswatantra.in/?p=10722 सवाल आस्था का है उत्तराखण्ड का प्रसिद्ध शक्ति पीठ कोट भ्रामरी में चैत की नवरात्री में लगता है दियारी मेला। संतान प्राप्ति की चाह में महिलाएं जलते दिए को हाथ में लेकर रात भर खड़ी रहती हैं। यह एक कठिन तपस्या जैसा ही है। मंदिर के अंदर बहुत से दिए जलते हैं और कार्बन डॉइआक्साइड ... Read more

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सवाल आस्था का है
उत्तराखण्ड का प्रसिद्ध शक्ति पीठ कोट भ्रामरी में चैत की नवरात्री में लगता है दियारी मेला। संतान प्राप्ति की चाह में महिलाएं जलते दिए को हाथ में लेकर रात भर खड़ी रहती हैं। यह एक कठिन तपस्या जैसा ही है। मंदिर के अंदर बहुत से दिए जलते हैं और कार्बन डॉइआक्साइड बनती है। आम तौर पर उस स्थान में आम जन दस मिनट नहीं ठहर सकता लेकिन संतान प्राप्ति की चाह में महिलाएं रात भर जलते दिए को हाथ में लेकर माता रानी का ध्यान करती हैं। मंदिर के प्रांगण में अन्य महिलाएं रात भर जगराता करती हैं भजन संध्या का आयोजन होता है। भक्तों की ओर से भण्डारे की व्यवस्था भी की जाती है। अगाध आस्था के बीच कोई यह सवाल नहीं करता कि रात भर दिया हाथ में लेकर खड़े रहने से संतान प्राप्ति कैसे हो जाएगी। जहां मेडिकल सांइस हार गया वहीं से शुरू होती है आस्था की जीत। यह बिल्कुल वैसा ही है कि मानो तो देवता न मानो तो पाषाण। मन की धारणाएं और प्रबल विश्वास ही आस्था है इसी से जन्म लेती है मान्यताएं। ऐसा नहीं कि इस मान्यता को यूं ही मान लिया जाए। क्षेत्र की उन महिलाओं से बात की जिन्होने दियारी व्रत लिया और उनको निश्चित समय में संतान प्राप्ति हुई। गरूड़ क्षेत्र में ही ऐसे कई उदाहरण मिल जाएंगे या कहें कि प्रत्येक गॉव में ऐसे उदाहरण हैं। लेकिन व्यक्तिगत सूचनाएं होने की वजह से नाम सार्वजनिक नहीं किए जाते। दियारी मेले में एक मित्र मिले उन्होने कहा कि शादी के सात साल बाद दियारी मेले में व्रत लेने के बाद उनको संतान प्राप्ति हुई। यही वजह है कि दियारी मेले में निःसंतान दंपती दूर-दूर से यहां आते हैं और व्रत अनुष्ठान करने के बाद संतान प्राप्ति का सुख भोगते हैं।
कुमॉउ ही नहीं वरन गढ़वाल क्षेत्र से भी भक्त कोट भ्रामरी मंदिर में दियारी व्रत लेने आते हैं। इस व्रत के दौरान 24 घंटे तक बिना पानी पिए जलता दिया हाथ में लेकर मां का ध्यान लगाना होता है। व्रत वाली महिलाओं के साथ कोई एक महिला उनके परिवार से होती है जो रात भर दिए में तेल डालती है, दिया 24 घंटे तक अखण्ड रहना चाहिए यह महत्वूर्प शर्त होती है। दियारी व्रत संपन्न होने के बाद विधि विधान से पूजा पाठ करती है और व्रत संपन्न होता है। कोट भ्रामरी का दियारी मेला उत्तराखण्ड में प्रसिद्ध है। आस्था और विश्वास से हजारों निःसंतान दंपतियों को संतान का सुख मिला है। कुछ लोग इसे पुत्र प्राप्ति व्रत से भी प्रचारित करते हैं, यह शोध का विषय हो सकता है लेकिन संतान प्राप्ति के लिए दंपती यहां सदियों से जुटते रहें हैं। चैत मॉह में कोट भा्रमरी का आभा मंडल आस्था से परिपूर्ण और माता के जयकारों से गूंजायमान रहता है।

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कब खुलेगा बैजनाथ संग्रहालय : विपिन जोशी https://swarswatantra.in/archives/10704?utm_source=rss&utm_medium=rss&utm_campaign=%25e0%25a4%2595%25e0%25a4%25ac-%25e0%25a4%2596%25e0%25a5%2581%25e0%25a4%25b2%25e0%25a5%2587%25e0%25a4%2597%25e0%25a4%25be-%25e0%25a4%25ac%25e0%25a5%2588%25e0%25a4%259c%25e0%25a4%25a8%25e0%25a4%25be%25e0%25a4%25a5-%25e0%25a4%25b8%25e0%25a4%2582%25e0%25a4%2597%25e0%25a5%258d%25e0%25a4%25b0%25e0%25a4%25b9%25e0%25a4%25be https://swarswatantra.in/archives/10704#respond Thu, 03 Apr 2025 01:18:59 +0000 https://swarswatantra.in/?p=10704 बैजनाथ संग्रहालय, जो 1983 से बंद पड़ा है और जिसमें सातवीं सदी की 108 ऐतिहासिक मूर्तियां संरक्षित हैं, के खुलने की मांग लंबे समय से उठती रही है। हाल ही में कत्यूर महोत्सव की समीक्षा बैठक में इस मुद्दे को फिर से जोर-शोर से उठाया गया। हाल में गुमानी पंत पुरस्कार से सम्मानित गोपाल दत्त ... Read more

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बैजनाथ संग्रहालय, जो 1983 से बंद पड़ा है और जिसमें सातवीं सदी की 108 ऐतिहासिक मूर्तियां संरक्षित हैं, के खुलने की मांग लंबे समय से उठती रही है। हाल ही में कत्यूर महोत्सव की समीक्षा बैठक में इस मुद्दे को फिर से जोर-शोर से उठाया गया। हाल में गुमानी पंत पुरस्कार से सम्मानित गोपाल दत्त भट्ट ने कहा संग्रहालय के खुलने से न केवल पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि राजस्व में वृद्धि होगी और कत्यूरी काल के समृद्ध इतिहास, संस्कृति व आस्था का प्रसार भी संभव हो सकेगा।
साहित्यकार मोहन जोशी ने कहा कि गरुड़ में हेली सेवा शुरू होने से पर्यटकों का बैजनाथ धाम तक पहुंच आसान हुआ है, जिससे पर्यटकों की संख्या में इजाफा होने की संभावना बढ़ी है। ऐसे में संग्रहालय का बंद रहना एक बड़ा अवरोध हो सकता है।
पूर्व विधायक ललित फर्सवान ने इस मांग का पुरजोर समर्थन किया है। उनका कहना है कि बैजनाथ धाम, जो भारत और वैश्विक धरोहर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, कत्यूरी शासन के एक हजार साल के इतिहास को अपने में समेटे हुए है। इस क्षेत्र के मंदिर, जो कत्यूरी काल में बने, पर्यटकों और श्रद्धालुओं के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र हैं।
हालांकि, संग्रहालय के ताले कब खुलेंगे, इस सवाल का अभी कोई ठोस जवाब नहीं मिल सका है। यह मामला स्थानीय प्रशासन और संबंधित अधिकारियों के समक्ष विचाराधीन है। संग्रहालय को खोलने के लिए सरकारी स्तर पर योजना, बजट और संरक्षण कार्यों की जरूरत होगी, जिसमें समय लग सकता है। फिर भी, जनता की मांग और कत्यूर महोत्सव की समीक्षा बैठक में उठे स्वरों से यह स्पष्ट है कि इस दिशा में जल्द कदम उठाने की आवश्यकता है। संग्रहालय के खुलने से न सिर्फ बैजनाथ की धरोहर को नई पहचान मिलेगी, बल्कि यह क्षेत्र पर्यटन मानचित्र पर और भी प्रमुखता से उभरेगा।
फिलहाल, इस बारे में कोई आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है, लेकिन जन दबाव और समर्थन को देखते हुए उम्मीद की जा सकती है कि कत्यूर महोत्सव में उसे जनता के लिए खोला जाए।
विपिन जोशी
संपादक,स्वर स्वतंत्र

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कौसानी में शराब विरोध प्रदर्शन https://swarswatantra.in/archives/10699?utm_source=rss&utm_medium=rss&utm_campaign=%25e0%25a4%2595%25e0%25a5%258c%25e0%25a4%25b8%25e0%25a4%25be%25e0%25a4%25a8%25e0%25a5%2580-%25e0%25a4%25ae%25e0%25a5%2587%25e0%25a4%2582-%25e0%25a4%25b6%25e0%25a4%25b0%25e0%25a4%25be%25e0%25a4%25ac-%25e0%25a4%25b5%25e0%25a4%25bf%25e0%25a4%25b0%25e0%25a5%258b%25e0%25a4%25a7-%25e0%25a4%25aa%25e0%25a5%258d%25e0%25a4%25b0 https://swarswatantra.in/archives/10699#respond Sat, 29 Mar 2025 15:37:16 +0000 https://swarswatantra.in/?p=10699 विपिन जोशी कौसानी में शराब विरोध प्रदर्शन: महिलाओं के आंदोलन का स्थानीय लोगों ने किया विरोध, कांग्रेस का समर्थन कौसानी, 29 मार्च 2025: उत्तराखंड के कौसानी में शराब के खिलाफ चल रहा विरोध प्रदर्शन उस समय तनावपूर्ण हो गया, जब शराब विरोधी प्रदर्शन कर रही महिलाओं का कुछ स्थानीय लोगों ने विरोध किया। आसपास के ... Read more

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विपिन जोशी
कौसानी में शराब विरोध प्रदर्शन: महिलाओं के आंदोलन का स्थानीय लोगों ने किया विरोध, कांग्रेस का समर्थन
कौसानी, 29 मार्च 2025: उत्तराखंड के कौसानी में शराब के खिलाफ चल रहा विरोध प्रदर्शन उस समय तनावपूर्ण हो गया, जब शराब विरोधी प्रदर्शन कर रही महिलाओं का कुछ स्थानीय लोगों ने विरोध किया। आसपास के गांवों से आई 20 महिलाओं सहित कुल 70 प्रदर्शनकारी महिलाएं नारे लगाते हुए कौसानी तिराहे पर पहुंची थीं। इस दौरान कुछ लोग शराब की दुकान के पक्ष में बोलते हुए प्रदर्शनकारी महिलाओं से उलझ पड़े और कुतर्क करने लगे।

प्रदर्शन में शामिल प्रमुख महिलाओं में हीरा रावत, प्रभा डोसाद, बबली तिवारी, गंगा दोसाद, भावना तिवारी, प्रेमा थापा और देवकी देवी शामिल थीं, जो सभी कौसानी की रहने वाली हैं। लक्ष्मी आश्रम की सदस्या शोभा बिष्ट ने बताया कि प्रदर्शनकारी महिलाओं और आश्रम, दोनों का कुछ स्थानीय लोगों ने विरोध किया। उन्होंने कहा, “हम शराब के खिलाफ लंबे समय से आवाज उठा रहे हैं, लेकिन कुछ लोग इसे नजरअंदाज कर हमारे प्रयासों को कमजोर करने की कोशिश कर रहे हैं।”

मामला गर्माया, कांग्रेस का समर्थन
शराब को लेकर कौसानी में स्थिति तल्ख होती जा रही है। इस बीच, कांग्रेस पार्टी ने इस मुद्दे पर अपनी सक्रियता दिखाने का फैसला किया है। पूर्व विधायक ललित फर्सवान ने जानकारी दी कि कांग्रेस पार्टी कौसानी में शराब विरोध के समर्थन में उपवास पर बैठेगी और लक्ष्मी आश्रम के आंदोलन को मजबूती प्रदान करेगी। उन्होंने कहा, “शराब के खिलाफ यह लड़ाई सामाजिक न्याय और क्षेत्र की शांति के लिए जरूरी है। हम आश्रम और स्थानीय महिलाओं के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हैं।”

प्रदर्शन की पृष्ठभूमि
कौसानी में शराब की दुकानों के खिलाफ विरोध का इतिहास पुराना है। लक्ष्मी आश्रम और स्थानीय महिलाएं लंबे समय से इस मुद्दे पर आंदोलनरत हैं, उनका मानना है कि शराब की उपलब्धता से क्षेत्र में नशे की लत और सामाजिक समस्याएं बढ़ रही हैं। आज का प्रदर्शन भी इसी कड़ी का हिस्सा था, लेकिन स्थानीय स्तर पर मिला विरोध इस आंदोलन के लिए नई चुनौती बनकर उभरा है।

स्थानीय प्रशासन ने अभी तक इस मामले में कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि यह प्रदर्शन किस दिशा में बढ़ता है और क्या कांग्रेस का समर्थन इस आंदोलन को नई ताकत दे पाता है।

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बढ़ते आवारा पशु https://swarswatantra.in/archives/10679?utm_source=rss&utm_medium=rss&utm_campaign=%25e0%25a4%2586%25e0%25a4%25b5%25e0%25a4%25be%25e0%25a4%25b0%25e0%25a4%25be-%25e0%25a4%25a8%25e0%25a4%25b9%25e0%25a5%2580%25e0%25a4%2582-%25e0%25a4%25b9%25e0%25a5%258b%25e0%25a4%25a4%25e0%25a5%2587-%25e0%25a4%25ae%25e0%25a4%25b5%25e0%25a5%2587%25e0%25a4%25b6%25e0%25a5%2580 https://swarswatantra.in/archives/10679#respond Sat, 29 Mar 2025 01:32:50 +0000 https://swarswatantra.in/?p=10679 विपिन जोशी गरुड़ में आवारा पशुओं के खिलाफ बढ़ता आक्रोश, संवेदनाओं का हनन और प्रशासन की चुप्पी । गरुड़ में आवारा पशुओं पर लोगों का गुस्सा अब थमने का नाम नहीं ले रहा। मानवीय संवेदनाओं का हर दिन मखौल उड़ रहा है। एक तरफ गाय को माता का दर्जा देकर गगरास खिलाने की परंपरा निभाई ... Read more

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विपिन जोशी
गरुड़ में आवारा पशुओं के खिलाफ बढ़ता आक्रोश, संवेदनाओं का हनन और प्रशासन की चुप्पी ।
गरुड़ में आवारा पशुओं पर लोगों का गुस्सा अब थमने का नाम नहीं ले रहा। मानवीय संवेदनाओं का हर दिन मखौल उड़ रहा है। एक तरफ गाय को माता का दर्जा देकर गगरास खिलाने की परंपरा निभाई जाती है, धार्मिक आयोजनों में गौदान से पुण्य कमाया जाता है और वैतरणी पार करने का विश्वास जताया जाता है, वहीं दूसरी ओर जब वही गाय दूध देना बंद कर देती है, तो उसे सड़कों पर बेसहारा छोड़ दिया जाता है। यह कैसी धार्मिकता है? क्या यह संवेदनहीनता की पराकाष्ठा नहीं ?
महिलाओं का आंदोलन और गौ सेवा सदन पर दबाव ,आवारा मवेशियों के खिलाफ आक्रोश अब सड़कों पर उतर आया है। बैजनाथ, गागरीगोल और भकुनखोला से आई महिलाओं का एक दल पहले बहुउद्देशीय शिविर गरुड़ पहुंचा और फिर नारेबाजी करते हुए गौ सेवा सदन तक मार्च किया। वहां उन्होंने आवारा मवेशियों को फिर से गौ सदन में बांध दिया। पिछले दो महीनों से ये महिलाएं कभी तहसील तो कभी गौ सेवा सदन में मवेशियों को छोड़कर अपना विरोध जता रही हैं। गौ सेवा सदन के संचालक विनोद कांडपाल का कहना है कि उनके पास अब अतिरिक्त मवेशियों के लिए जगह नहीं बची। वर्तमान में 130 मवेशी पहले से मौजूद हैं, जिसके चलते स्थिति अनियंत्रित हो रही है। महिलाएं अपनी एक सूत्रीय मांग पर अडिग हैं। उनका कहना है कि गौ सदन को दूसरी जगह स्थानांतरित किया जाए, ताकि अधिक मवेशियों को आश्रय मिल सके। यह मांग न केवल जायज है, बल्कि गंभीर हालात को देखते हुए तत्काल कार्रवाई की जरूरत को भी उजागर करती है।
सरकारी योजना लंबित
जिला पशु अधिकारी के अनुसार, गरुड़ के जैसर में 6 नाली भूमि पर 58 लाख 50 हजार रुपये की लागत से 150 मवेशियों के लिए एक गौशाला बनाने की योजना स्वीकृत हुई है। लेकिन यह योजना अभी शासन स्तर पर अटकी पड़ी है और निर्माण कार्य शुरू नहीं हो सका है। कागजों में भले ही योजना तैयार हो, लेकिन जमीनी हकीकत में कोई प्रगति नजर नहीं आती।
प्रशासन की खामोशी और चुनावी चुनौती।
आवारा पशुओं की समस्या दिन-ब-दिन गंभीर होती जा रही है, लेकिन प्रशासन की चुप्पी समझ से परे है। त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव सिर पर हैं, और यह मुद्दा कहीं नेताओं के लिए गले की हड्डी न बन जाए। जनता का आक्रोश अब सड़कों पर है, और यदि इसे अनदेखा किया गया तो यह राजनीतिक परिणामों को भी प्रभावित कर सकता है।
गरुड़ में यह विडंबना न केवल सामाजिक और धार्मिक मूल्यों पर सवाल उठाती है, बल्कि प्रशासनिक उदासीनता को भी उजागर करती है। जरूरत है एक ठोस और त्वरित समाधान की, ताकि न गाय माता सड़कों पर भटकने को मजबूर हो, न ही जनता को अपने हक के लिए बार-बार सड़कों पर उतरना पड़े। क्या यह संवेदनशीलता और जिम्मेदारी का समय नहीं है?

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