सवाल आस्था का है
उत्तराखण्ड का प्रसिद्ध शक्ति पीठ कोट भ्रामरी में चैत की नवरात्री में लगता है दियारी मेला। संतान प्राप्ति की चाह में महिलाएं जलते दिए को हाथ में लेकर रात भर खड़ी रहती हैं। यह एक कठिन तपस्या जैसा ही है। मंदिर के अंदर बहुत से दिए जलते हैं और कार्बन डॉइआक्साइड बनती है। आम तौर पर उस स्थान में आम जन दस मिनट नहीं ठहर सकता लेकिन संतान प्राप्ति की चाह में महिलाएं रात भर जलते दिए को हाथ में लेकर माता रानी का ध्यान करती हैं। मंदिर के प्रांगण में अन्य महिलाएं रात भर जगराता करती हैं भजन संध्या का आयोजन होता है। भक्तों की ओर से भण्डारे की व्यवस्था भी की जाती है। अगाध आस्था के बीच कोई यह सवाल नहीं करता कि रात भर दिया हाथ में लेकर खड़े रहने से संतान प्राप्ति कैसे हो जाएगी। जहां मेडिकल सांइस हार गया वहीं से शुरू होती है आस्था की जीत। यह बिल्कुल वैसा ही है कि मानो तो देवता न मानो तो पाषाण। मन की धारणाएं और प्रबल विश्वास ही आस्था है इसी से जन्म लेती है मान्यताएं। ऐसा नहीं कि इस मान्यता को यूं ही मान लिया जाए। क्षेत्र की उन महिलाओं से बात की जिन्होने दियारी व्रत लिया और उनको निश्चित समय में संतान प्राप्ति हुई। गरूड़ क्षेत्र में ही ऐसे कई उदाहरण मिल जाएंगे या कहें कि प्रत्येक गॉव में ऐसे उदाहरण हैं। लेकिन व्यक्तिगत सूचनाएं होने की वजह से नाम सार्वजनिक नहीं किए जाते। दियारी मेले में एक मित्र मिले उन्होने कहा कि शादी के सात साल बाद दियारी मेले में व्रत लेने के बाद उनको संतान प्राप्ति हुई। यही वजह है कि दियारी मेले में निःसंतान दंपती दूर-दूर से यहां आते हैं और व्रत अनुष्ठान करने के बाद संतान प्राप्ति का सुख भोगते हैं।
कुमॉउ ही नहीं वरन गढ़वाल क्षेत्र से भी भक्त कोट भ्रामरी मंदिर में दियारी व्रत लेने आते हैं। इस व्रत के दौरान 24 घंटे तक बिना पानी पिए जलता दिया हाथ में लेकर मां का ध्यान लगाना होता है। व्रत वाली महिलाओं के साथ कोई एक महिला उनके परिवार से होती है जो रात भर दिए में तेल डालती है, दिया 24 घंटे तक अखण्ड रहना चाहिए यह महत्वूर्प शर्त होती है। दियारी व्रत संपन्न होने के बाद विधि विधान से पूजा पाठ करती है और व्रत संपन्न होता है। कोट भ्रामरी का दियारी मेला उत्तराखण्ड में प्रसिद्ध है। आस्था और विश्वास से हजारों निःसंतान दंपतियों को संतान का सुख मिला है। कुछ लोग इसे पुत्र प्राप्ति व्रत से भी प्रचारित करते हैं, यह शोध का विषय हो सकता है लेकिन संतान प्राप्ति के लिए दंपती यहां सदियों से जुटते रहें हैं। चैत मॉह में कोट भा्रमरी का आभा मंडल आस्था से परिपूर्ण और माता के जयकारों से गूंजायमान रहता है।
