कब खुलेगा बैजनाथ संग्रहालय : विपिन जोशी

बैजनाथ संग्रहालय, जो 1983 से बंद पड़ा है और जिसमें सातवीं सदी की 108 ऐतिहासिक मूर्तियां संरक्षित हैं, के खुलने की मांग लंबे समय से उठती रही है। हाल ही में कत्यूर महोत्सव की समीक्षा बैठक में इस मुद्दे को फिर से जोर-शोर से उठाया गया। हाल में गुमानी पंत पुरस्कार से सम्मानित गोपाल दत्त भट्ट ने कहा संग्रहालय के खुलने से न केवल पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि राजस्व में वृद्धि होगी और कत्यूरी काल के समृद्ध इतिहास, संस्कृति व आस्था का प्रसार भी संभव हो सकेगा।
साहित्यकार मोहन जोशी ने कहा कि गरुड़ में हेली सेवा शुरू होने से पर्यटकों का बैजनाथ धाम तक पहुंच आसान हुआ है, जिससे पर्यटकों की संख्या में इजाफा होने की संभावना बढ़ी है। ऐसे में संग्रहालय का बंद रहना एक बड़ा अवरोध हो सकता है।
पूर्व विधायक ललित फर्सवान ने इस मांग का पुरजोर समर्थन किया है। उनका कहना है कि बैजनाथ धाम, जो भारत और वैश्विक धरोहर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, कत्यूरी शासन के एक हजार साल के इतिहास को अपने में समेटे हुए है। इस क्षेत्र के मंदिर, जो कत्यूरी काल में बने, पर्यटकों और श्रद्धालुओं के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र हैं।
हालांकि, संग्रहालय के ताले कब खुलेंगे, इस सवाल का अभी कोई ठोस जवाब नहीं मिल सका है। यह मामला स्थानीय प्रशासन और संबंधित अधिकारियों के समक्ष विचाराधीन है। संग्रहालय को खोलने के लिए सरकारी स्तर पर योजना, बजट और संरक्षण कार्यों की जरूरत होगी, जिसमें समय लग सकता है। फिर भी, जनता की मांग और कत्यूर महोत्सव की समीक्षा बैठक में उठे स्वरों से यह स्पष्ट है कि इस दिशा में जल्द कदम उठाने की आवश्यकता है। संग्रहालय के खुलने से न सिर्फ बैजनाथ की धरोहर को नई पहचान मिलेगी, बल्कि यह क्षेत्र पर्यटन मानचित्र पर और भी प्रमुखता से उभरेगा।
फिलहाल, इस बारे में कोई आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है, लेकिन जन दबाव और समर्थन को देखते हुए उम्मीद की जा सकती है कि कत्यूर महोत्सव में उसे जनता के लिए खोला जाए।
विपिन जोशी
संपादक,स्वर स्वतंत्र

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