गोमती नदी के अस्तित्व पर गहराया संकट

Vipin Joshi

कत्यूर घाटी की जीवन रेखा कही जाने वाली गोमती नदी अन्ग्यारी महादेव से निकलती है. पवित्र गोमती नदी क्षेत्र के लिए पेयजल और सिचाई की व्यवस्था  करती है तो बैजनाथ धाम में शिवजी का जलाभिषेक भी गोमती की जल धरा से किया जाता है. बैजनाथ मंदिर में निर्मित बहुउद्देशीय झील नौकायन और सिचाई के लिए बने गई थी लेकिन गोमती नदी का जल स्तर घटने से झील सूख चुकी है झील की मछलियाँ भी मर चुकी हैं. किसी भी नदी का जीवन निर्भर करता है नदी के कैचमेंट पर और नदी के बहाव पर. लेकिन बहाव तो तब होगा जब नदी में खनन ना हो. नदी के बीच में बड़े बड़े गड्ढे बना दिए जायेंगे तो बचा खुचा पानी उन गड्ढों में समां जायेगा और ये हो रहा है. खनन एरिया के पास वृहद पेयजल योजना भी खनन से प्रबावित हो रही है . गरुड़ की 12 ग्राम पंचायतों को उक्त पेयजल योजना से पानी की आपूर्ति होती है केंद्र सरकार की महत्वकांशी योजना घर घर नल जल योजना पर भी गहरा संकट मंडरा रहा है.

इन्ही सब मुद्दों को लेकर गोमती नदी के किनारे बसे गावों के लोग जिसमे तैलीहाट, मालदे, बैजनाथ, नौघर, भकुंखोला ,तथा चार ग्राम प्रधानो के साथ  इलाके के जागरूक नागरिको ने विगत एक सप्ताह से गोमती नदी में विरोध प्रदर्शन किया और आज 18 जून की तपती दुपहरी में गरुड़ तहसील का घेराव किया और लिखित ज्ञापन सौपा. आक्रोशित महिलाओं ने गोमती नदी में पूर्ण खनन बंदी की मांग की महिलाओं ने कहा कि गोमती नदी उनके जीवन का आधार है पेय जल हो या सिचाई सब कुछ गोमती पर निर्भर है इसलिए सरकार को गोमती नदी में खनन पर पूर्ण प्रतिबन्ध लगाना चहिये .ग्रामीणों ने गोमती नदी में पोग्लेंड मशीन संचालन को तुरंत रोकने की बात कही. उक्त ज्ञापन कार्यक्रम में निम्न लोग शामिल थे – गोपाल सिंह, दयाल सिंह, नंदन महरा, कैलाश सिंह, दरवान सिंह, कमला देवी, मुन्नी काला, पुष्प देवी , चन्दन सिंह, सुनील दोसाद, कमला गोस्वामी , एमबी राम, भूपाल सिंह.