ग्रामलोक अभियान: साहित्य गाॅव तक

Vipin Joshi/www.swarswatantra.in
साहित्य अकादमी ने शुरू किया उत्तराखण्ड में ग्रामलोक अभियान। उत्तराखण्ड के गरूड़ क्षेत्र के सिल्ली गाॅव में साहित्यकार और प्रोफेसर हेम चन्द्र दूबे के आवास में आज दिनांक 19 मई 2024 को हिंदी साहित्य क्षेत्र में एक नई पहल का आगा़ज हुआ। साहित्य अकादमी ने ग्रामलोक नाम से हिंदी साहित्य की विविध विधाओं को गाॅव-गाॅव तक पहॅुचाने का संकल्प लिया है। साहित्य जगत के देव सिंह पोखरिया ने अपने संबोधन में कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में पढ़ने-लिखने वाले रचनाकार हैं जिनके गूढ़ जमीनी अनुभव साहित्य जगत में महत्व रखते हैं। पहाड़ी क्षेत्र के कई विश्व प्रसिद्ध साहित्यकारों को हम जानते हैं। प्रकृति प्रेमी साहित्यकार सुमित्रा नंदन पंत जी हो या गुमानी जी या आधुनिक युग के उत्तराखंडी कवि शेर दा अनपढ़ या गिरीश तिवारी-गिर्दा। इनके साथ साहित्य जगत के कई सम्मानित नाम हैं। पढ़ने लिखने की परंपरा को आगे बढ़ाना और लेखन जगत से जुड़ कर समाज की समस्याओं को इंगित करना और समस्या से समाधान की ओर जाने का प्रयास ही आधुनिक जगत में साहित्य को अंतिम पंक्ति में खड़े हर रचनाकार के लिए प्रेरणा की खुराक बनेगा।
कार्यक्रम का संचालन पत्रकार सीएस बड़शीला ने किया। दीप प्रज्वलन और स्वागत गीत के साथ कार्यक्रम प्रारंभ हुआ। उत्तराखण्ड का नाम राष्ट्रीय स्तर पर रोशन करने वाले साहित्यकार मोहन जोशी की रचनाओं ने सभा में समा बांध दिया आपने कत्यूर घाटी की कुलदेवी की स्तुति की और अपने मधुर कंठ से संपूर्ण कत्यूर घाटी का शानदार दर्शन कराया। अल्मोड़ा से प्रकाशित कुमाॅउनी पत्रिका पहरू के उप-संपादक ललित तुलेरा ने दार्शनिकता से लबरेज रचनाओं को बड़े सहज अंदाज में सुनाया। साहित्यकारों की लंबी फेहरिश्त में गोपाल दत्त भट्ट जी, रतन सिंह किरमोलिया जी, देव सिंह पोखरिया जी, हेम चन्द्र दूबे जी ने भी अपनी रचनाओं से समा बांधा। साहित्य और पत्रकारिता यदि चाहे तो सत्ता की चूले हिला दें, साहित्य और पत्रकारिता यदि दरबारी होने से स्वयं को बचा लें तो लोकतंत्र का चैथा स्तंभ अपनी भूमिका सम्यक तरीके से निभा सकता है। इस बात को सहज और सरल तरीके से गोपाल दत्त भट्ट जी और देव सिंह पोखरिया जी ने बखूबी प्रस्तुत किया।
ग्रामलोक साहित्य समागम में शामिल रहे – आयोजन के संयोजक देव सिंह पोखरिया, साहित्य अकादमी, ललित तुलेरा, पहरू पत्रिका, गोपाल दत्त भट्ट, साहित्यकार पूर्व दर्जा प्राप्त राज्य मंत्री, हरीश जोशी, पत्रकार एवं पर्यावरण विद, चन्द्र शेखर बड़शीला, पत्रकार, रतन सिंह किरमोलिया, पूर्व शिक्षक एवं लेखक, नंदन सिंह अल्मियां, पूर्व शिक्षक एवं सामाजिक कार्यकर्ता, कपकोट महाविद्यालय के प्राचार्य एवं स्टाफ। समस्त ग्रामीण एवं स्थानीय युवा।