स्वच्छ भारत अभियान को ठेंगा दिखाते कचरे के ढेर। बागेश्वर जनपद का गरुड़ विकासखंड सांस्कृतिक और ऐतिहासिक लिहाज से महत्वपूर्ण है। विधान सभा बागेश्वर शीट को निर्धारित करने में गरुड़ विकासखंड का प्रमुख स्थान है। लेकिन जिम्मेदार जनप्रतिनिधियों को गरुड़ गंगा के तट पर पसरा नगर पंचायत का कचरा नहीं दिखता है। गोलू मार्केट के मध्य में बदबू और कचरे का ढेर स्थानीय नागरिकों को मुंह चिढ़ा रहा है।
आज प्रातः एक पत्रकार मित्र की फेसबुक वाल पर गोलू मार्केट के कचरे की गाथा देखी उनसे बिना पूछे एक कचरा फोटो यहां लगा रहा हूं। यह गंभीर मसला तो है ही एक ओर उत्तराखंड के जंगल जल रहे हैं धुएं की समस्या से सांस संबंधी बिमारिया बढ़ रही हैं, तो पवित्र नदियों को बकायदा लीगल तरीके से कचरा वाहक बनाया जा रहा है।
कचरे के ढेर में सबसे ज्यादा नुकसानदायक एलिमेंट है प्लास्टिक कचरा। प्लास्टिक निर्माण के दौरान निकलने वाली जहरीली गैस पर्यावरण के लिए नुकसान दायक है।
प्लास्टिक बैग ड्रेनेज सिस्टम के लिए भी एक अवरोधक है।
अनुसंधान बताते हैं कि कैंसर और पुरानी फेफड़ों की बीमारी वाले मरीजों के फेफड़ों के नमूनों में प्लास्टिक के कण पाए जाते हैं।
गर्भावस्था के दौरान प्लास्टिक पैक फूड के उपयोग से बच्चे का स्वास्थ्य प्रभावित हो सकता है।
प्लास्टिक गैर बेयोडीग्रेडेबल है यानी यह विघटित नहीं होता। इसलिए पर्यावरण के लिए नुकसानदायक है। नगर पंचायत गरुड़ द्धारा द्वारा आज तक कूड़ा निस्तारण के लिये कारगर कदम नहीं उठाने से जनता में आक्रोश बढ़ता जा रहा है। नगर पंचायत ही कचरे को गोलू मार्केट के पास हर रोज गिरा रही हैं। जिससे गरूर गंगा प्रदूषित हो गई । प्रशाशन और जिम्मेदार विभाग उक्त मामले को संज्ञान में लेते हुवे नागरिकों को त्वरित राहत देने के जरूर कदम उठाएगा ऐसी उम्मीद कर सकते हैं।