राधा दीदी भट्ट को पद्मश्री पुरस्कार की घोषणा

राधा दीदी भट्ट को मिला पद्मश्री पुरस्कार : विपिन जोशी
कौसानी लक्ष्मी आश्रम की पूर्व संचालिका 91 वर्षीय राधा भट्ट को उनके सामाजिक कार्यों में दिए गए योगदान के लिए गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर पद्मश्री सम्मान से अलंकृत किए जाने की घोषणा हुई है।
राधा भट्ट, जिन्हें राधा बहन नाम से जानते हैं, का जन्म 16 अक्टूबर 1933 को अलमोड़ा के धुरका गाँव में हुआ। वर्ष 1951 में सरला बहन द्वारा कौसानी में स्थापित लक्ष्मी आश्रम में आप शिक्षिका बनीं राधा भट्ट, 1957 से 1961 के बीच सर्वोदय-भूदान आन्दोलन में सक्रिय रहीं।
समस्त उत्तराखंड के लिए गर्व की बात है कि ” पहाड़ की गांधी ” या पहाड़ की महिला गांधी के नाम से प्रसिद्ध 91 वर्षीय राधा भट्ट को देश का सम्मानित पद्मश्री पुरस्कार मिलने जा रहा है। उत्तराखंड में लगभग 15000 बच्चों को शिक्षा का लाभ दिला चुकी हैं राधा भट्ट। इसके अतिरिक्त 1 लाख 60 हजार पेड़ लगाकर पर्यावरण संरक्षण पर बेमिसाल काम कर चुकी हैं राधा भट्ट।
राधा दीदी ने भारत के बाहर भी गांधीवादी विचारोंकी अलख जलाई डेनमार्क, स्वीडन, नॉर्वे, फिनलैंड, कनाडा, मैक्सिको, और अमेरिका जैसे देशों में उन्होंने शिक्षिका के रूप में योगदान दिया। उन्होंने डेनमार्क में वयस्क शिक्षा और लोक हाई स्कूल प्रणाली में डिप्लोमा किया।
1966 से 1989 तक राधा भट्ट ने लक्ष्मी आश्रम की सचिव के रूप में काम किया। उन्होंने बालिका शिक्षा, महिला सशक्तिकरण, ग्राम स्वराज, शराब विरोधी आंदोलन और वन संरक्षण के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण कार्य किए।
1975 में सरला बहन के 75 वें जन्मदिन पर राधा दीदी ने 75 दिनों की पदयात्रा की, जिसमें चिपको आंदोलन और ग्राम स्वराज के संदेश को जन-जन तक पहुँचाया।
राधा भट्ट को उनके अद्वितीय योगदान के लिए कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। इनमें जमनालाल पुरस्कार, बाल सम्मान, इंदिरा प्रियदर्शनी पर्यावरण पुरस्कार, और गौदावरी गौरव पुरस्कार प्रमुख हैं।
1980 में उन्होंने खनन के खिलाफ मोर्चा खोला और 2006 से 2010 तक उत्तराखंड के हिमालय और नदियों का सर्वेक्षण किया। उन्होंने हाइड्रो पावर परियोजनाओं और सुरंगों में नदियों को डालने के विरोध में जन जागरूकता फैलाने का कार्य किया।
91 वर्षीय राधा भट्ट महिला सशक्तिकरण, पर्यावरण संरक्षण, और ग्राम स्वराज के लिए प्रेरणा बनी हुई हैं। लक्ष्मी आश्रम कौसानी की अध्यक्ष के रूप में वे उत्तराखंड के पहाड़ों और ग्रामीण समुदायों के लिए निरंतर काम कर रही हैं। उनका जीवन गांधीवादी मूल्यों और हिमालय के सरोकारों के प्रति समर्पित हैल
राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त शिक्षक कल्याण मनकोटी ने बताया कि उक्त सम्मान केवल राधा दीदी के योगदान का ही नहीं, बल्कि उनके द्वारा स्थापित उन मानवीय मूल्यों और निःस्वार्थ प्रयासों का भी सम्मान है, जिनसे उन्होंने अनगिनत लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाया है। उनकी निष्ठा और सेवा भावना ने हम सभी को बेहतर समाज के निर्माण के लिए प्रेरित किया है।
राधा दीदी को पद्मश्री सम्मान मिलने पर हम सब गौरवांवित हो रहे हैं। हम आपकी इस अद्वितीय उपलब्धि पर आपको कोटि-कोटि बधाई देते हैं और कामना करते हैं कि आप इसी तरह समाज में बदलाव की अलख जगाती रहें और इसी तरह समाज का मार्गदर्शन करती रहेंगी.