लिंग देवता के मंदिर में उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़
पशुपालकों ने देवता को चढ़ाई धिनाली
पूजा अर्चना कर खुशहाली की मांगी मन्नत
गढ़वाल से भी भारी संख्या में पहुंचे भक्तगण
गरुड़। कत्यूर घाटी के दूरस्थ क्षेत्र में हरे-भरे जंगलों के बीच स्थित प्रसिद्ध लिंग देवता मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी। हर समाज के अपने स्थानीय लोक पर्व होते हैं जिनके प्रति आम जन में खास उत्साह देखा जाता है. उत्तराखंड की संस्कृति में खेती किसानी और पशुधन पर आधारित लोक पर्व है लिंग थान का कौतिक जो दिवाली के बाद कार्तिक पूर्णिमा के दिन लगता है. 15 नवंबर 2024 को गरुड़ ग़ैरलेख़ में लिंग थान का कौतिक लगा जहाँ श्रद्धालुओं ने लिंग देवता की पूजा अर्चना की और पशुपालकों ने देवता को धिनाली चढ़ाई। मक्खन का भोग लगाया।
गरुड़ पिंगलो घाटी के ग़ैरलेख़ में स्थित लिंग देवता मंदिर में शुक्रवार को भव्य मेला आयोजित किया गया। मेले में कत्यूर घाटी के दर्जनों गांवों के पशुपालक समेत ग्वालदम, देवाल से भी लोग पूजा-पाठ करने पहुंचे थे। क्षेत्र के पशुपालकों ने लिंग देवता को दूध, दही, घी, मक्खन का भोग लगाया और अपनी सुख-समृद्धि के अलावा पशुओं के लिए मन्नत मांगी। ऐसी मान्यता है कि लिंग देवता को मक्खन का भोग लगाने से धिनाली में वृद्धि होती है और पशुओं में भी बरक्कत आती है। इस मौके पर नौघर, सिटोली, माल्दे, गैरलेख, पिंगलों, मैगड़ीस्टेट, छ्त्यानी, मजकोट समेत ग्वालदम, देवाल, थराली, लोल्टी आदि क्षेत्रों से भारी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे थे। इस दौरान जिपंस गोपाल सिंह किरमोलिया, भावना दोसाद,नंदन सिंह अल्मिया, भैरव नाथ टम्टा, सुनील दोसाद, दिनेश बिष्ट, बबलू नेगी, दिनेश नेगी, कैलाश पुरी,नवीन राम, सूरज बिष्ट, सुरेंद्र दोसाद, पंडित दीप लोहनी, रमेश कांडपाल, कैलाश जोशी, ललित कांडपाल, गोपाल दत्त, गिरीश तिवारी, कविता नेगी, इंद्रा फर्सवाण आदि मौजूद थे।
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