लीक होता विकास 

Vipin  Joshi

भारत की तस्वीर बता रही है. विश्वगुरु होने को लगभग हम तैयार हैं बिलकुल मुहाने पर खड़े हैं. दुनियां की सबसे बड़ी आर्थिक शक्तियों में भारत का नाम शुमार होने ही वाला है और नागरिक प्रसन्नता के वैश्विक सूचकांग में हमारा स्थान 126 वां  है . The Indian Express के अनुसार  2024 की विश्व प्रसन्नता रिपोर्ट के अनुसार, भारत 143 देशों में से 126वें स्थान पर है , 2023 में भी इसकी रैंकिंग के बराबर है। भारत अपने पड़ोसी देश जैसे चीन (60वें), नेपाल (93वें), पाकिस्तान (108वें) और म्यांमार (118वें) से पीछे रह गया है। भारत का प्रसन्नता स्कोर 4.054 है जो इसे विश्व के सबसे कम प्रसन्न देशों में से एक बताता है। बेरोजगारी, शिक्षा, स्वास्थ्य की तो बात ही क्यों करनी. आकड़ों की माने तो वैश्विक स्तर पर भूख और कुपोषण में भी हमारा स्थान संतोषजनक नहीं है. हम दुनिया के बड़े लोकतान्त्रिक देश हैं और हमारे द्वारा चुने हुवे प्रतिनिधियों को आलू, बैगन की तरह खरीद लिया जाता है और सत्ता की खरीद फरोख्त खुल्ले आम की जाती है. हमारी स्वतंत्र और ईमानदार सरकारी संस्थाएं किसी दल विशेष के प्रतिनिधि बन जाते हैं और चुनाव जैसी प्रक्रियाओं में अपनी सत्ता भक्ति का अनुपम उदाहरण प्रस्तुत करती हैं. सत्ता अब धीरे धीरे चंद लोगों के हाथ की कठपुतली बन गई है जिसे चाहा, जैसे चाहा नाच नचा लिया. इस सत्ता ने देश के गैर सरकारी संस्थाओं को भी डरा धमका कर कमजोर किया और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर कई सारे सवालिया निशान भी लगे.

विदेशी मिडिया ने भारत में विस्तार ले रही साम्प्रदायिकता और असहिष्णुता पर खूब लिखा लेकिन अफ़सोस अपने ही देश की मुख्यधारा मिडिया सत्ता की चाटुकार बन गई और सूचना तंत्र ने वही सब पिछले एक दशक में हमें दिखया जो उनको आदेश किया गया. एक के बाद एक बड़े बड़े पत्रकारों ने मुख्यधारा मिडिया से इस्तीफ़ा दिया और आज वे वैकल्पिक मिडिया के द्वारा सच को जनता के लिए प्रसारित कर रहे हैं. अब नई सरकार अपने पुराने प्लान के मुताबिक डिजिटल इंडिया का बिल लाएगी और सत्ता से सवाल करने वाले सभी वैकल्पिक मिडिया चैनलों पर प्रतिबंध लगाया जायेगा. ऐसा हो जाए तो कोई बड़ा आश्चर्य नहीं. फिलहाल मजबूत दिखने वाला विपक्ष सत्ता की हनक और गरज के आगे कितना टिक पायेगा यह देखना दिलचस्प होगा.

अब बात करते हैं एक स्वस्थ लोकतान्त्रिक प्रक्रिया की , बात होगी तो जिक्र होगा हालिया पेपर लीक का, किसकी सरकार में हुआ लाखों छात्रों के भविष्य के साथ धोखा ? चर्चा आगे जाएगी तो सदी के सबसे बड़े राम मंदिर की गुणवत्ता पर भी बात होगी खबर है कि मंदिर की छत पहली बरसात में ही लीक हो गई. हिन्दुओं की आस्था का प्रतीक मंदिर बरसात की फुहारों में विकास की टोटल कहानी बया करने को काफी है. यहाँ मंदिर की छत लीक नहीं हुई है हमारी आस्था भी कहीं हलकी सी लीक हुई है. संसद के आगामी सत्रों में इस मुद्दे पर भी घमासान होने के आसार हैं. एनडीए सरकार की राह पहले की तरह आसन और एक तरफ़ा नहीं होगी प्रधानमंत्री जी को संसद में अधिक समय बिताना होगा, विपक्ष के सवाओं और देश के जरुरी मुद्दों पर चर्चा करनी होगी. इसलिए विपक्ष का मजबूत होना जरुरी है. अब मिडिया को भी सही सवालों की फेहरिश्त रखनी होगी जिसमे आम चूस कर खाते हो या काट कर , जैसे सवालों के लिए कोई जगह नहीं होगी. महंगे हैलीकाप्टर पर घूमते हुवे गोदी पत्रकारों को भी अब सवाल करने होंगे और मिडिया धर्म निभाना होगा. इसलिए मजबूत विपक्ष का होना जरुरी है. नेताओं को अपनी लंगोट कसनी होगी और नैतिकता के आधार पर जन सेवा करनी होगी, महिलाओं का सम्मान  करना  होगा. इसलिए एक मजबूत विपक्ष का होना जरुरी है.