विरोध प्रदर्शन का अनोखा तरीका

Vipin Joshi

जनता जब जब परेशान होती है तो व्यवस्था के खिलाफ आवाज उठाती है. विरोध प्रदर्शन के नए नए तरीके जनता अपनाती है. विगत दिनों बैजनाथ बागेश्वर की महिलाओं ने आवारा पशुओं से निजात पाने के लिए आवारा पशुओं को गरुड़ तहसील कार्यालय में छोड़ दिया. महिलाओं ने मुखर अंदाज में कहा कि प्रशासन को आवारा पशुओं के रहने का इंतजाम करना चाहिए. आवारा पशुओं ने काश्तकारों की फसलें तबाह की हैं तो सब्जी के व्यापारी भी इन पशुओं से परेशान रहते हैं. यातायात भी इन आवारा पशुओं से प्रभावित होता है. तो करें क्या ? समस्या का समाधान क्या होगा ? यह महत्वपूर्ण सवाल है. अब जरा सोचें कि ये आवारा पशु आये कहाँ से ? किसी दुसरे ग्रह से तो नहीं आये ? दिल्ली से कोई छोड़ गया इन पशुओं को या ये हमारे ही पाले गए लाभ लेने के बाद फिर छोड़ गए पशु हैं जो आज आवारा की श्रेणी में आ गए हैं.

बेजुबान जानवर आखिर जाए कहाँ ? खाए क्या ? जंगलों में इनको छोड़ दें तो भी ये मानव बस्तियों में लौट आते हैं, पालतू पशुओं को तो इंसान के घर में रहने की आदत बन जाती है. इनके लिए हमने ही मुसीबतें खड़ी कर दी. बैलों का अब कोई उपयोग नहीं खेती के तौर तरीके बदल गए. गाय दूध देना बंद कर दें तो उसको सड़क में छोड़ दिया जाता है. जब तक गाय दूध देती है लाभ देती है तभी तक वह गौ माता है मतलब निकल जाए तो वह बोझ बन जाती है. यहाँ से समाज की धार्मिकता का पता चलता है. किसी पशु को यह पता नहीं रहता कि किस के खेत में जाना है किस के खेत में नहीं जानवर को तो अपना पेट भरना है उसके लिए क्या नैतिकता क्या चोरी. जीवन मूल्य होते हैं इंसान के लिए तो इंसान को ही समझदार होना होगा जानवरों के प्रति तो अधिक संवेदनशील होने की जरुरत है.

अब प्रशासन इस समस्या के समाधान के लिए क्या कर सकता है ? क्या प्रशासन ने आज तक आवारा पशुओं के लिए कोई कदम उठाया है. उत्तर प्रदेश में आवारा पशुओं ने कई सारी जाने ली हैं, सांडो का आतंक वहां अभी भी जारी है लेकिन सरकार और प्रशासन ने कुछ किया है क्या ? दरअसल विरोध करना लोकतंत्र में सभी का अधिकार है लेकिन साथ में अपने जानवरों को मशीन समझना आने वाले समय में और दिक्कत पैदा करेगा. बदलती जीवन शैली ने निश्चित ही बहुत सारे बदलाव किये हैं अब या तो इन बदलावों को सह लिया जाए या फिर अपने पालतू पशुओं के प्रति संवेदनशील हुआ जाए. सबके जानवर उनके घरों में रहें तो फिर किसी प्रकार के गौसदन की जरुरत नही पड़ेगी . फिर बेजुबान पशुओं पर भी आवारा होने का ठप्पा नहीं लगेगा.