Vipin Joshi
कौन बनेगा प्रधानमंत्री से बड़ा सवाल अब है कौन बनेगा स्पीकर और किसके पास जायेगा गृह मंत्रालय ? इससे भी बड़ा सवाल है क्या चल पायेगी गठबंधन की स्थिर सरकार ? कैसे होगा गठबंधन का समन्वय ? जनता के मुद्दों पर फोकस होगा आगे का राजकाज ? ऐसे बहुत से सवाल हैं जिनका उत्तर आगामी दिनों में मिलेगा . लोक तंत्र की हमेशा विजय होती है जनता ने इस बार अपने मुद्दों को समर्थन दिया है . धार्मिक कट्टरता के खिलाफ और तुष्टिकरण के खिलाफ है मौजूदा दौर का चुनाव परिणाम . अब राजनितिक विश्लेषक सरकार की स्थिरता पर सवाल करने लगे हैं. अभिव्यक्ति की स्वतंत्र वापस आई है और सरकारी संस्थानों के दुरूपयोग पर भी रोक लगने की सम्भावना है. मजेदार बात तो यह है कि विगत एक दशक तक हिन्दू मुस्लिम अस्सी बीस का दाव खेलने वाला देश का सबसे बड़ा दल अब घटक दलों के भरोसे है और उनकी मांगो पर विमर्श करने को राजी है. चन्द्र बाबू नायडू को स्पीकर पद चाहिए, नितीश कुमार अड़े हैं गृह मंत्रालय पर और उनको बिहार में मुख्यमंत्री भी अपनी पार्टी से चाहिए . साथ में गठबंधन ने अग्निवीर और पुरानी पेंशन योजना पर भी चर्चा शुरू करवा दी है. जनता महान है जिसने पांच किलो राशन और लाभार्थी योजना से ऊपर उठ कर देश के संविधान और लोक तंत्र के लिए वोट किया.
एक बहुत अच्छी बात हुई इस चुनाव में जनता ने धर्म और राजनीती के अंतर को समझा और जन मुद्दों पर विकास के मुद्दों पर वोट किया. इसका तात्पर्य है अब सीन बदल रहा है. यदि बीजेपी ने अब तोड़ फोड़ जोड़ तोड़ की राजनीती का दाव चला तो कुछ भी हो सकता है. ऐसी सम्भावना है कि दोनों ओर से सांसदों को तोड़ने जोड़ने की जी तोड़ कोशिश की जाएगी. आखिर सत्ता सुख से कौन वंचित रहना चाहेगा ? पार्टी के अन्दर के हालात कुछ दिनों में साफ़ हो जायेगे और सरकार का स्वरुप भी हमारे सामने होगा.