11 नवंबर 2024 को देश के जाने माने बुद्धिजीवियों का जमावड़ा गरूड़ कत्यूर घाटी के कोट भ्रामरी मंदिर के करीब जुटा। मौका था कोट मंदिर के समीप समता संवाद केन्द्र के उदघाटन का। डंगोली गॉव की नंदिनी आर्या ने अपने पिता प्रकाश चन्द्र आर्य और सहयोगी समाज सेवी भुवन पाठक के सहयोग से समता केन्द्र की स्थापना की। समता संवाद केन्द्र एक पुस्तकालय और गतिविधि केन्द्र है। समता और समतानता के लिए संवाद तथा स्वाध्याय इस केन्द्र का उद्देश्य है। मौजूदा दौर में इंसान का जीवन मोबाइल फोन और तमाम तरह की तकनीकी में ज्यादा गुजरता है। ऐसे में सूचनाओं का विस्फोट और सूचनाओं तथा जानकारियों से छेड़-छाड़ संभव है। अधिकांश लोग बिना विश्लेशण के सूचनाओं का प्रसार करते हैं और एक प्रकार के भ्रम जाल में फंस जाते हैं वैचारिक रूप से एक बड़े तबके को राजनैतिक लाभ के लिए उपयोग किया जाता है। विज्ञान ने इस काम को और समृद्ध किया है। ऐसे में निहायत ही जरूरी हो जाता है कि हम अपने आसपास घट रही घटनाओं का विश्लेशण करें और देश समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी का सार्थक निर्वहन करें। लेकिन भ्रामक जानकारियों के चलते सामाजिक उन्माद को बढ़ावा देने में समाज के एक बड़े वर्ग का समय जाता है। इसलिए गॉव स्तर पर समता संवाद केन्द्र का विचार जन्मा। एक ऐसा केन्द्र जहां पर सभी जाती, वर्ग के लोग बैठें अध्ययन करें, सामाजिक मुद्दों पर संवाद कर सकें और विभिन्न प्रकार की उपयोगी गतिविधियों से जुड़ कर लघु उद्योगों और रोजगार परक गतिविधियों से जुड़ सकें।
समता संवाद केन्द्र सभी के लिए एक खुला मंच है। लोग स्वैच्छिक तौर पर किताबें तथा आवश्यक संसाधन दान देकर इस प्रकार के केन्द्रों को मजबूती प्रदान कर सकते हैं। पुस्तकालयों के महत्व को समझना और स्वाध्याय से जुड़ना विद्यार्थियों के लिए लाभकारी सिद्ध होगा साथ में सामाजिक समरसता भी बढ़ेगी। कुछ पल हमारे पास होंगे जब हम मोबाइल फोन से किनारा कर किसी किताब में डूबे होंगे या अपने आसपास मौजूद किसी प्रासंगिक मुद्दे पर सार्थक चर्चा कर रहे होंगे। इतिहास में जाए तो इस तरह के मॉडल गॉव में मौजूद थे चर्चाएं होती थी, आपस में मेल मिलाप के लिए समय होता था। पुस्तकालय नहीं थे लेकिन वाचिक ज्ञान परंपरा का मॉडल हमेशा तत्पर था जो वक्त के साथ परिवर्तित हो गया।
समता संवाद केन्द्र के उदघाटन के अवसर पर देश के जाने माने वैज्ञानिक प्रो नवीन जुयाल, इतिहासकार प्रो शेखर पाठक, नैनीताल समाचार के संपादक राजीव लोचन शाह, पर्यावरण विद डॉ. रवि चोपड़ा मौजूद रहे। इस मुबारक मौके पर प्रो. शेखर पाठक ने कत्यूर क्षेत्र के इतिहास पर प्रकाश डाला और गॉधी जी की कुमाउ यात्रा का वर्णन करते हुए कुली बेगार आंदोलन में कत्यूर घाटी के महत्व पर कुछ रोचक तथ्यों से परिचित कराया। कत्यूर घाटी की सामाजिक समरसता और भाई चारे का जिक्र करते हुए कहा कि कत्यूर घाटी से उत्त्राखण्ड को एक अच्छा संदेश जाता है जहां एक ओर लगातार सामाजिक समरसता के खिलाफ उन्मादी माहौल तैयार किया जा रहा है वहीं कत्यूर क्षेत्र में युवा शक्ति पुस्तकालयों और समता संवाद केन्द्रों पर काम कर रही है। इसके लिए नंदीनी को खास तौर पर बधाई देते हुए पुस्तकालय को सहयोग देने का आश्वासन भी दिया। पत्रकार राजीव लोचन शाह ने पुस्तकालय को यथासंभव सहयोग देने की बात करते हुए कहा कि समता संवाद केन्द्र प्रत्येक ग्राम सभा में खुलने चाहिए इसके लिए सांसदों, विधायकों से सहायता लेनी चाहिए साथ में समाज के सक्षम लोगों को अपने गॉव समाज में पुस्तकालयों के लिए खुलकर दान देना चाहिए। दान में पुस्तकों के अलावा जरूरी संसाधन अपनी शक्ति के अनुसार दिए जा सकते हैं। डॉ. रवि चोपड़ा ने कहा कि कत्यूर घाटी में बहुत सी नंदिनियां पैदा हो और पुस्तकालय और संवाद की परंपरा खूब प्रगति करे। आपने भी यथासंभव सहयोग की बात कर सभी मौजूद ग्रामीणों का मनोबल बढ़ाया। इस आयोजन का संचालन भुवन पाठक ने किया।
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