पुरातत्त्व सर्वेक्षण विभाग की लापरवाही

पुरातत्त्व सर्वेक्षण विभाग की लापरवाही
विपिन जोशी
उत्तराखण्ड, बैजनाथ तैलीहाट मंदिर समूह के जीर्णोद्धार में विगत दो वर्ष पूर्व पुराने ढांचे को पुनः नए तरीके से विकसित किया गया. मंदिर अपने पुरातन वास्तुकला के स्वरूप में रहे इसके लिए भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण विभाग बनाया गया विभाग की ज़िम्मेदारी है कि पुरातन संस्कृति और विरासत की निशानी के रूप में संरक्षित स्मारक अपने मूल स्वरूप में रहे. लेकिन मंदिरों का जीर्णोद्धार मानकों के अनुकूल नहीं किया गया है.अल्मोड़ा रीजन के पुरातात्विक अधिकारी नीरज मैथानी से दूरभाष पर हुई बात चीत में उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि मंदिरों के गर्भ ग्रह में तांबे की चादर लगानी चाहिए थी लेकिन बैजनाथ और तैलीहाट मंदिर समूह में टीन की सामान्य चादर लगाई गई हैं.मंदिरों की दीवारों में कैमिकल के साथ साथ सीमेंट का उपयोग भी किया गया है. आरटीआई कार्यकर्ता गोपाल वनवासी ने उक्त मामले की रिपोर्ट पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग को कर दी है.
प्राचीन मंदिर रक्षक देवल में अतिरिक्त नए पत्थर जोड़े गए हैं जो मंदिर के पुरातन स्वरूप को परिवर्तित करते हैं. पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग स्मारकों के रखरखाव के नाम पर गुणवत्ता पूर्ण कार्य में हील हवाली करता दिख रहा है. रक्षक देवल और सत्यनारायण मंदिर में काफ़ी सारा मलवा भी पड़ा है.सौंदर्यीकरण हुआ है तो मंदिर परिसर में अभी तक मलवा क्यों पड़ा है ? पर्यटन विभाग की अनदेखी के साथ साथ यह पुरातन स्मारकों के साथ छेड़ छाड़ का मामला भी है.