उच्च शिक्षा में भ्रष्टाचार का मामला

विपिन जोशी
उत्तराखंड,बागेश्वर जनपद में राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय बागेश्वर में वर्ष 2021 में उच्च शिक्षा निदेशालय उत्तराखंड नैनीताल द्वारा जीव विज्ञान प्रवक्ता श्रीमती रितु की नियुक्ति संदेह के घेरे में है. इस संदर्भ में आरटीआई कार्यकर्ता गोपाल वनवासी ने उपजिलाधिकारी गरुड़ को उक्त संदर्भ में जांच हेतु एक ज्ञापन सौपा है.
ज्ञापन के अनुसार श्रीमती रितु विभाग द्वारा तय न्यूनतम अहर्ता मानकों को पूरा नहीं करती है . उनकी नियुक्ति 4-10-2021 को राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय बागेश्वर में हुई. उनकी स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम में प्राप्तांक प्रतिशत 52 फीसदी है. जबकि न्यूनतम योग्यता विभागीय मानको के अनुसार 55 फीसदी होनी चाहिए . तो श्रीमती रितु का चयन न्यूनतम योग्यता पूर्ण किए बगैर कैसे हो गया ?
साथ में एक और सवाल है कि यदि नियुक्ति करने वाले अधिकारी निदेशक उच्च शिक्षा उत्तराखंड को यह ज्ञात था कि श्रीमती रितु न्यूनतम योग्यता को पूर्ण नहीं करती है तो उनकी नियुक्ति राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय बागेश्वर में कैसे कर दी गई ?
उच्च शिक्षा में होने वाले इस प्रकार के भ्रष्टाचार योग्य पात्रों का मनोबल तोड़ते हैं. मानकों के ख़िलाफ़ होने वाली नियुक्तियों पर कौन एक्शन लेगा ? ज्ञापनकर्ता ने जाँच में एक और गंभीर मुद्दे को शामिल किया है. ज्ञापनकर्ता का आरोप है कि शिक्षिका वित्त पोषित बी एड पाठ्यक्रम के तहत राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय उत्तरकाशी में नियुक्त थी तो अपर सचिव उत्तराखंड शासन निदेशक उच्च शिक्षा को स्थानांतरण हेतु पत्र किस आधार पर प्रेषित किया गया ? जबकि इनका स्थानांतरण किए जाने के संदर्भ में कोई भी शासनादेश नहीं है .
इन संवेदनशील मुद्दों को आधार बना कर ज्ञापनकर्ता ने निदेशक उच्च शिक्षा उत्तराखंड को जांच हेतु ज्ञापन प्रेषित किया है.

कथन- गोपाल वनवासी
श्रीमती रितु 52% प्राप्तांक के साथ कैसे भर्ती हो गई जबकि न्यूनतम अर्हताओं में 55% प्राप्तांक होना अनिवार्य है, श्रीमती रितु को निदेशक उच्च शिक्षा हल्द्वानी नैनीताल ने नवीन तैनाती देकर नियुक्त किया है, वहीं अपर सचिव एम0 एम0 सेमवाल ने श्रीमती रितु को राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय उत्तरकाशी से बागेश्वर स्थानांतरण का आदेश दिया है.