सन 1993 में हिमालय ट्रस्ट अस्तित में आया। स्व. एन डी जुयाल, इंदिरा जी, सदन मिश्र जी के अथक प्रयासों से हिमालय ट्रस्ट ने उत्तराखंड में काम शुरू किया। शिक्षा, पर्यावरण, स्वजल, डिजिटल अवेयरनेस, स्किल डेवलपमेंट जैसी उपयोगी और रोजगार परक गतिविधियों से एक हजार युवक युवतियों को हिमालय ट्रस्ट के माध्यम से अब तक रोजगार प्राप्त हुआ है। हिमालय ट्रस्ट ने स्व. प्रदीप मिश्रा की स्मृति में विपिन जोशी के नेतृत्व में एक दशक तक सामुदायिक रेडियो का संचालन भी किया। विभिन्न सामाजिक मुद्दों पर रेडियो कार्यक्रम प्रसारित कर जन जन पहुंचाए। हिमालय ट्रस्ट के सहयोग से उत्तराखंड में तीन सामुदायिक रेडियो केंद्र स्थापित हुए। आज दो केंद्र सफल रूप से संचालित हो रहे हैं, जिनमे सामुदायिक रेडियो हेवल वाणी चंबा, सामुदायिक रेडियो मंदाकिनी की आवाज, रुद्रप्रयाग प्रमुख हैं।
हिमालय ट्रस्ट के फाउंडर और आजीवन सदस्य सदन मिश्रा जी ने विगत सप्ताह स्वर स्वतंत्र के संपादक के साथ जिलाधिकारी बागेश्वर आशीष भटगई से एक औपचारिक मुलाकात की। मुलाकात का मुख्य उद्देश्य था जिलाधिकारी जी को हिमालय ट्रस्ट के संबंध में जानकारी देना और गांधी विचार से प्रेरित बागेश्वरी चरखे का कताई उद्योग की योजना में महत्व विषय को साझा करना। जिलाधिकारी बागेश्वर से हुई चर्चा के दौरान कुछ मुख्य बिंदु सामने आए। जैसे –
1- 1929 में गांधी जी बागेश्वर आए और अभिनंदन के दौरान उनको बागेश्वरी चरखा भेंट किया था तब गांधी जी ने स्वराज प्राप्ति की दिशा में चरखे की भूमिका को महत्पूर्ण बताते हुवे अमसर कोट के बागेश्वरी चरखे की प्रसंशा की और वर्धा आश्रम हेतु बागेश्वर से चर्खा मंगवाया। इस घटना के बाद यही बागेश्वरी चर्खा यूरोप के देशों में भी प्रसिद्ध हुआ। बागेश्वर तथा उत्तराखंड के गावों में अभी भी चरखे के कारीगर मौजूद हैं, जिनको उचित प्रोत्साहन दिया जाए तो जिले में खादी उद्योग को बढ़ावा मिल सकता है साथ में रोजगार के अवसर भी बढ़ सकते हैं। गांधी जी ने अपनी पुस्तक मेरे सपनो का भारत में स्वराज के विचार प्रसार में लघु उद्योग और हस्तकला तथा खादी का जिक्र भी किया है।
2 – गरुड़ विकासखंड मुख्यालय के पास पूर्व में कागज उद्योग संचालित था जिसे पूर्व मंत्री स्व गोपाल राम दास ने चलाया था। कतिपय कारणों से गरुड़ का उक्त कागज उद्योग बंद पड़ गया था। तब गरुड़ का बना कागज और ग्रीटिंग कार्ड देश भर में सप्लाई होते थे। आज कुछ सरकारी भवन यहां पर हैं जिनका फिलहाल कुछ उपयोग नहीं हो पा रहा है। उस जगह में कागज बनाने का प्लांट लगाया जा सकता है। रद्दी पेपर और कागजों का पुनरुपयोग करके कागज बनाने का उद्योग लगाए तो काफी लोगों को रोजगार भी मिल सकता है। इस कार्य को रचनात्मक गतिविधि के रूप में देखा जा सकता है। कागज की आपूर्ति सरकारी विभागों में की जा सकती है।
चर्चा के दौरान जिलाधिकारी जी ने आश्वस्त करते हुए कहा कि वे हिमालय ट्रस्ट का विजिट करना चाहेंगे। उन्होंने कहा कि ट्रस्ट में रचनात्मक गतिविधियां संचालित हो इसके लिए उचित प्रयास भी किए जाएंगे।
अक्टूबर 2024 में गरुड़ तहसील दिवस के अवसर पर पुनः जिलाधिकारी से मुलाकात की गई और एसडीएम गरुड़ जितेंद्र वर्मा जी से विस्तार में हिमालय ट्रस्ट की कार्य योजना के बारे में चर्चा की गई। हस्त शिल्प और खादी उद्योग की संभावनाओं पर एसडीएम गरुड़ ने सकारात्मक रुख दिखाते हुए हिमालय ट्रस्ट भ्रमण की बात की ओर विगत सप्ताह एसडीएम गरुड़ ने हिमालय ट्रस्ट का भ्रमण और अवलोकन भी किया। सामुदायिक रेडियो, बागेश्वरी चरखा, खादी उद्योग, कागज उद्योग, डिजिटल लिट्रेसी, सार्वजनिक पुस्तकालय जैसे कार्यों को शुरू करने हेतु यथासंभव सहयोग की बात आपने कही है। यह एक शुभ संकेत भी है, जो हिमालय ट्रस्ट को पुनः नई ऊर्जा के साथ सामाजिक सरोकारों से जुड़ने में मदद करेगा।
सदन मिश्रा जी ने गरुड़ विकास खंड की कुछ मुख्य समस्याओं को लिखित रूप में एसडीएम गरुड़ को साझा किया। जिसका विवरण निम्नवत है ।
1 ब्लॉक कार्यालय से बद्रीनाथ मंदिर जो की 13 वीं सदी का निर्मित है तक पक्का मार्ग बनाया जाना चाहिए।
2 कत्यूर घाटी को धान का कटोरा भी कहा जाता था। लेकिन अब नहरों के बंद होने से खेती किसानी प्रभावित हुई है। मशीन से जुताई और सिंचाई आम आदमी के लिए महंगा सौदा है इस लिए नहरों को दुरूस्त कर नियमित पानी की सप्लाई की जाए तो खेती किसानी बले प्रति लोगों का रुझान पुनः बन सकता है।
3 बैजनाथ धाम कत्यूर घाटी का हृदय स्थल है, जिसके आसपास स्कूल, संस्थाएं, अस्पताल, विकास खंड कार्यालय, तहसील कार्यालय और अन्य धार्मिक स्थल भी हैं, लेकिन बैजनाथ के नाम से बना पोस्ट आफिस यहां से तीन किमी दूर पाए गांव के पास बाजार में स्थित है। लोगों को आने जाने में कठिनाई होती है। अतः गरुड़ पोस्ट आफिस को यथास्थान रखते हुए बैजनाथ में एक नया पोस्ट ऑफिस खोला जाना आवश्यक है।
4 बैजनाथ प्राथमिक अस्पताल में सुविधाओं का आभाव है। अस्पताल में विशेषज्ञ डाक्टरों की नियुक्ति की जानी चाहिए ताकि लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मुहैया हो सके।
5 गरुड़ गंगा और गोमती नदी के संगम पर घाट स्थित है । शवों को जलाने के लिए लकड़ियों की आपूर्ति बागेश्वर से की जाती है अतः यहां पर एक लकड़ी टाल की तवारित आवश्यकता है।
6 ब्लॉक कार्यालय गदशेर गांव में स्थित है। ब्लॉक ऑफिस तक आने जाने की असुविधा है। पुराने रास्ते को पटाल से कवर कर सुधारीकरण किया जाए। तथा बाजार से ब्लॉक कार्यालय तक छोटे वाहन संचालित किए जाएं। ताकि आम जनता को आवागमन की सुविधा मिल सके।
7 गरुड़ और गोमती नदी इस घाटी के लिए जीवन रेखा है। आज नदियां व्यापारिक खनन के कारण खतरे में हैं, नदियों का जल स्तर कम होने से सिंचाई और पेय जल भी प्रभावित हो रहे हैं। अतः व्यवसायिक खनन पर रोक लगनी चहिए। स्थानीय लोग अपने उपयोग के लिए बजरी निकाल सकें ।
8 खेती किसानी के प्रति लोगों का रुझान कम हो गया है, बंदरों के आतंक से लोग भय भीत हैं। इसके लिए गांव स्तर पर बंदर प्रहरी की व्यस्था हो गांव वाले इस प्रहरी को कुछ अंश दान भी दें। प्रशाशन इस व्यवस्था को बनाने में सहयोग कर सकता है।
9 पलायन का एक मुख्य कारण है लघु उद्योग, हस्त शिल्प उद्योग का लुप्त होना है। आज हमारा झाड़ू तक हल्द्वानी से आता है। हमारी सब्जियां तक हल्द्वानी से आती है।
हिमालय ट्रस्ट इन सब मुद्दों पर कार्य करने को तैयार है। यदि सरकार और प्रशासन सहयोग करे तो यह संभव हो सकता है। हिमालय ट्रस्ट एक गैर राजनीतिक, रचनात्मक, स्वयंसेवी संस्था है जो सोसाइटी एक्ट 1960 के अंतर्गत रजिस्टर्ड है। संस्था की प्रबंधन समिति में जाने माने शिक्षाविद, अवकाश प्राप्त उच्चाधिकारी, रचनात्मक सामाजिक कार्यकर्ता सदस्य हैं। संस्था के पास अपना दो मंजिला भवन, अनुभवी कार्यकर्ता, समुचित फर्नीचर, किचन, शौचालय, मीटिंग प्रांगण, उपकरण, इंटरनेट व्यवस्था, मिनी पुस्तकालय आदि संसाधन उपलब्ध हैं।
सादर
विपिन जोशी
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