राष्ट्रीय पोषण माॅह और बच्चों में बढ़ता कुपोषण : विपिन जोशी

देश भर में महिला पोषण माह मनाया जा रहा है। न्याय पंचायत स्तर पर आंगनवाड़ी कार्यकर्तियों और आषा कार्यकर्तियों के सहयोग से महिला स्वास्थ्य जागरूकता और पोषण संबंधी गतिविधियां संपादित की जा रही है। इनका उद्देष्य है। गर्भवति महिलाओं को स्वास्थ्य संबंधी जानकारी देना, समय पर टीके लगाने के लाभों से महिलाओं को परिचित कराना, उनको आंगनवाड़ी केन्द्र और नजदीकी स्वास्थ्य केन्द्र में रजिस्ट्रेसन करने को प्रेरित करना। जज्जा बच्चा स्वस्थ्य रहेंगे तो समाज स्वस्थ्य रहेगा मूलतः इस संदेष का प्रसार सभी आंगनवाड़ी केन्द्रों से न्याय पंचायतों से प्रसारित किया जा रहा है। सरकार की इस महत्वकांक्षी योजना की एक झलक लौबांज न्याय पंचायत के द्योरड़ा केन्द्र में देखने की मिली। पोषण माॅह कार्यक्रम की अध्यक्षता ग्राम प्रधान हेमा पंत ने की। कार्यक्रम में 200 महिलाओं ने प्रतिभाग किया। कार्यक्रम का संचालन क्रमषः प्रेमा बिष्ट, उमा जोषी, गोदावरी आर्या, भगवती देवी ने किया।
स्वर स्वतंत्र से बात करते हुए महिलाओं ने स्थानीय उत्पादों की प्रदर्शनी का अवलोकन कराया और कहा कि गर्भवति महिलाओं को मौसमी सब्जियों के साथ मोटे अनाज का सेवन करना लाभप्रद रहता है। जैसे – भट, सोयाबीन, मंडुआ, झंगोरा, हरी सब्जी आदि। कार्यक्रम में महिलाओं के लिए मेंहदी प्रतियोगिता मुख्य आकर्षण का केन्द्र रही। साथ में द्योरड़ा विद्यालय के बच्चों ने विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम भी प्रस्तुत किए। महिलाओं ने स्वास्थ्य जागरूकता पर एक नाटक भी प्रस्तुत किया। जिसमें संदेश दिया गया कि समय पर टीके नहीं लगाने से और खान पान का ध्यान नहीं रखने से किस तरह के नुकसान जज्जा बच्चा को हो सकते हैं। कार्यक्रम का संचालन कर रही उमा जोषी ने बताया कि राजस्थान के झुनझुन क्षेत्र में महिलाओं और बच्चों में अत्यधिक कुपोषण था, जिसे देखते हुए राजस्थान से उक्त अभियान का आगा़ज किया गया और आज यह अभियान देष भर में जारी है।
प्रदेश के मुख्यमंत्री ने गर्भवति महिलाओं के लिए गर्भावस्था के दौरान 1000 रू. प्रतिमाह उनके बैंक खाते में देने की घाषणा भी की थी। ताकी महिलाएं पोषाहार ले सके। साथ में कहा था कि अधिक मातृ मृत्युदर वाले हर जिले से 15 गाॅव चिन्हित किए जाएंगे। उक्त घोषएाा 5 सितंबर 2024 को देहरादून में की गई थी। उत्तराखण्ड में प्राथमिक, जूनियर स्तर के 16 हजार से ज्यादा स्कूलों के 6.12 लाख बच्चों को मिड डे मील के तहत मिल डे मील दिया जा रहा है। मिड डे मील और पोषाहार का लाभ गरीब बच्चों को स्कूल से जोड़ने में काफी हद तक कारगर साबित हो रहा है। 2023 की एक रिपोर्ट के अनुसार उत्तराखण्ड में छह माॅह से पाॅच साल तक के 58 फीसदी बच्चे एनीमिया के षिकार हैं और 21 फीसदी बच्चे कुपोषित हैं। यह चिंताजनक आंकड़े हैं। यह आंकड़ा शहरी क्षेत्र में 63 फीसदी है तो ग्रामीण क्षेत्र में 56 फीसदी है। सबसे ज्यादा चिंताजनक स्थिति उत्तरकाशी जिले की है जहां 73.6 फीसदी बच्चों में एनीमिया है।