अक्सर देखा गया है सरकारी स्कूलों की एक बड़ी शिकायत रहती है कि क्या करें समुदाय स्कूल को सहयोग नहीं करता है। बच्चों के शैक्षणिक विकास में समुदाय की कोई भूमिका नहीं दिखती है। सीखना क्या सिर्फ स्कूल में होता है ? समुदाय/अभिभावक की क्या भूमिका हो सकती है शिक्षा व स्कूल के विकास में ? इस महत्वपूर्ण सवाल पर सोचने की हमारी हिम्मत ही नहीं होती। शिक्षा विभाग ने एसएमसी को स्कूलों से जोड़ने के लिए बहुत सारा इंतजाम भी किया है। प्रशिक्षणों का दौर चलता ही है लेकिन परिणाम बहुत संतोषजनक नहीं निकलते। लेकिन इन तमाम बातों से इतर उत्तराखण्ड, बागेश्वर जनपद के दूरस्थ क्षेत्र अमस्यारी गॉव में एक नई कहानी ने जन्म लिया है। कहानी रोचक है, प्रेरणाप्रद है। अमस्यारी इण्टर कॉलेज को संवारने के लिए समुदाय ने कमर कस ली है। प्रधानाचार्य हरेन्द्र नेगी ने बताया कि विद्यालय का पूर्व छात्र मोहित जोशी, अमस्यारी गॉव के एक सामान्य परिवार से लिकला होनहार छात्र है। अपनी लगन और मेहतन के बल पर आज मोहित एक सफल उद्योगपति के रूप में स्थापित है। दिल्ली समेत कई राज्यों में मोहित का कारोबार है। मोहित ने अपने विद्यालय में एक खेल मैदान के विकास हेतु दो लाख की आर्थिक मदद की। बेहतर परिणाम वाले प्रतिभावान छात्रों को एक लाख का पारितोषिक और एक लैपटॉप भी प्रदान किया। अब हर मेधावी विद्यार्थि के लिए यह स्कीम मोहित जोशी की ओर से जारी रहेगी।
कहानी का दूसरा अहम पहलु है ग्रामीणों द्वारा भूमि दान करना। एक-एक इंच जमीन के लिए समाज में सिर फुट्टवल हो जाते हैं, भाई-भाई के बीच संघर्ष होना आम बात है। वहीं दूसरी ओर अमस्यारी गॉव के ग्रामीणों ने भूमि दान कर एक नज़ीर पेश की है। राजकीय इण्टर कॉलेज अमस्यारी का चयन अटल उत्कर्षट विद्यालय के रूप में होना था। इसके लिए कुछ तकनीकी बिन्दु पूर्ण करने जरूरी थे जैसे विद्यालय के पास अपनी कुछ भूमि होनी जरूरी थी मानको के अनुरूप जीआईसी अमस्यारी के पास इतनी भूमि नहीं थी, लेकिन छात्र संख्या उपयुक्त थी। प्रधानाचार्य हरेन्द्र नेगी, एमएमसी के सदस्यों ने पहल ली और ग्रामीणां को भूमिदान के लिए प्रस्ताव दिया। प्रस्ताव सबको पसन्द आया और ग्रामीणों ने विद्यालय को 32 नाली जमीन दान में देने का निर्णय लिया। एक सप्ताह में प्रक्रिया पूर्ण हुई और जमीन विद्यालय के नाम हो गई। भूमि दानदाताओं में शामिल हैं – हरीश चन्द्र जोशी, तारा दत्त जोशी, कैप्टन रमेश चन्द्र जोशी, हेम चन्द्र जोशी, बसन्त चन्द्र जोशी।
कैप्टन रमेश चन्द्र ने बताया कि जरूरत पड़ने पर और जमीन दान में देने को हम तैयार हैं। हमारे बच्चों का शैक्षणिक विकास हो और जीआईसी अमस्यारी शिक्षा के क्षेत्र में एक उदाहरण बने इसके लिए हम हमेशा विद्यालय के साथ खड़े हैं।
हरीश चन्द्र जोशी – हमने अपनी शिक्षा बहुत कठिन दौर में पूरी की अब हमारे बच्चों को गॉव के पास ही बेहतर शिक्षा मिल रही है, कुशल शिक्षकों के ज्ञान का लाभ बच्चों के मिलता रहे इसके लिए ग्रामीण तन, मन, धन से तत्पर रहेंगे।
एसएमसी अध्यक्ष व सदस्यों ने भी पूरे उत्साह के साथ अपना समर्पण जीआईसी अमस्यारी के शैक्षणिक विकास हेतु दिखाया। विद्यालय में विज्ञान लैब, बेहतर पुस्तकालय, खेल मैदान, स्मार्ट क्लाश, कम्प्यूटर लैब, पूरा विषय संबंधी स्टाफ, सांस्कृतिक मंच अच्छी स्थिति में मौजूद है।
जीआईसी अमस्यारी ने पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में उम्दा कार्य किया है। एक हजार वृक्षों का रोपण वन विभाग के सहयोग से किया है। विद्यालय परिसर में परिपक्व वृक्षों पर उनके वानस्पतिक नाम के साथ टैग लगाए गए है। विद्यालय की ओर से राष्ट्रीय विज्ञान कांग्रेस के लिए छात्रों का चयन होता आया है। दो छात्रां ने राष्ट्रीय विज्ञान कांग्रेस में जीत दर्ज की थी। चीड़ के लीसे से पॉलीथीन निर्माण और सोलर ट्रीलर मॉडल को देश भर में सराहा गया। विद्यालय के प्रधानाचार्य हरेन्द्र नेगी, शिक्षक लेखक डॉ. गिरीश अधिकारी, शिक्षक लेखक प्रीतम सिंह छात्रों को पाठयक्रम के अलावा साहित्य और विज्ञान के क्षेत्र में सम्पादित रचनात्मका के प्रति और स्वयं करके सीखने की प्रक्रियाओं से जोड़ते हैं। जिसका परिणाम जीआईसी अमस्यारी के रूप में आज सबके सामने हैं। जीआईसी अमस्यारी में वर्तमान छात्र संख्या 350 है। करीब 15 किलोमीटर के दायरे से बच्चे यहां आते हैं ताकी वे उपयुक्त नागरिक बन अपना व समाज का भविष्य संवार सके।
विपिन जोशी
Recent Posts
गरुड़ मल्टी लेवल पार्किंग मामला खटाई में : विपिन जोशी
मार्च 11, 2025
कोई टिप्पणी नहीं

यहां कठिनाइयों से गुज़रती है ज़िंदगी
मार्च 4, 2025
कोई टिप्पणी नहीं
네 개의 NFL 라이브 스트림 만우절
मार्च 1, 2025
कोई टिप्पणी नहीं

सफलता के टिप्स देंगे ग्यारह अनुभवी विद्वान शिक्षक
मार्च 1, 2025
कोई टिप्पणी नहीं

महिलाओं के लिए रोज़गार का माध्यम है नया बाजार
फ़रवरी 28, 2025
कोई टिप्पणी नहीं