हिडनबर्ग के खुलासे के बीच आम आदमी

हिडनबर्ग के दूसरे सनसनी खेज खुलासे के बीच आम आदमी ना तो गुस्से में है ना उसका कोई खास रिऐक्शन है। चाय की टपरी, छोटे मोटे ढाबों और गली नुक्कड़ों की राय शुमारी और खुमारी में हिडनबर्ग का दूसरा खुलासा कोई मायने नहीं रखता। आम आदमी की चिंता में दो वक्त की रोटी, रोजगार, आधार कार्ड, जन्म प्रमाण पत्र, अस्पतालों के चक्कर, महंगाई, शिक्षा, घटिया निर्माण कार्य, सड़कों के गढ्ढे, चारा पत्ती, ईंधन के चक्कर में गाड़ गधेरों से संघर्ष करते हुए जान गवाना आदि शामिल है। कुछ सयाने आम आदमी आगामी निकाय चुनावों पर सेंधमारी करने लगे हैं तो कुछ सपने देख रहे हैं प्रधान, जिला पंचायत, क्षेत्र पंचायत में आसीन होने के। छोटे सपने होते हैं आम आदमी के। उसे समझ में आते होंगे हिडनबर्ग, सेबी, सुप्रीमकोर्ट के मामले इनकी सैकड़ों पेज की रिपोर्ट। ऐसा भी नहीं कि सब आम आदमी एक जैसे हैं। इस जमात में कुछ खास भी होते हैं जो काफी हद तक जानकारी रखते हैं। ये वकील हो सकते हैं, राजनैतिक दलों के बुद्धिजीवि हो सकते हैं, पत्रकार हो सकते हैं, सामाजिक मामलों के जानकार हो सकते हैं, टीचर, प्रोफेसर, लेखक, राजनैतिक विश्लेषक हो सकते हैं। और भी बुद्धिजीवि हो सकते हैं जो इस तरह के आर्थिक, राजनैतिक, राष्ट्रीय मामलों पर अपना वैचारिक दखल रखते हों। बहरहाल आम आदमी के चश्मे से देखते हैं और सरल भाषा में समझने का प्रयास करते हैं। बकौल इंटरनेट जगत और वैकल्पिक मीडिया कुछ जानकारियां संकलित की हैं। क्रमशः जानने का प्रयास करते हैं कि हिडनबर्ग का ख्ुलासा बनाम अडाणी/सेबी/जिम्मेदार सरकार की कहानी क्या है ?
हिडनबर्ग की स्थापना 2017 में नाथन एंडरसन ने की थी। यह अमेरिका की एक शॉर्ट सेलर रिसर्च कंपनी है, एक वित्तीय शोध करने वाली कंपनी है जो इक्विटी, क्रेडिट और डेरिवेटिव मार्केट के कांकड़ों का विश्लेयाण करती है। नया मामला क्या है ? इस बार हिडनबर्ग की रिपोर्ट में सेबी की चेयरपर्सन माध्वी पुरी बुच का नाम आया है, आरोप भी लगे हैं। पिछले साल इसी कंपनी ने अडानी गु्रप पर एक रिपोर्ट जारी की थी और शेयर मार्केट में तहलका मचा दिया था। अब हिडनबर्ग का आरोप है कि सेबी की चेयरपर्सन माध्वी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच ने अडानी ग्रुप की उन ऑफशोर कंपनियों में हिस्सेदारी है जो वित्तीय अनियमिताओं से जुड़ी थी। हिडनबर्ग यही पर नहीं रूकी उसने आगे आरोप लगाते हुए कहा है कि सेबी ने अडानी ग्रुप की संदिग्ध शेयर होल्डर कंपनियों पर कोई कार्यवाही नहीं की।
हंगामा है क्यों बरपा ? अब आर्थिक मामलों के जानकारों का कहना है कि सेबी की चेयरपर्सन माध्वी पुरी बुच यदि साफ हैं तो मामले की उच्चस्तरीय जॉच से क्यों कतरा रही हैं ? सांच को आच क्या ? राजनैतिक गलियारों में खूब पत्रकार वार्ताएं चल पड़ी हैं। विपक्ष कह रहा है माधवी बुच को तुरंत इस्तीफा देना चाहिए, वहीं सरकार माधवी बुच के बचाव में आ गई है। सरकार की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि विपक्ष भारत की आर्थिकी को कमजो करना चाहता है और शेयर मार्केट में पैंसा लगाए करोड़ों मध्यम वर्गीय लोगों को बरबाद करना चाहता है। बयान बाजियां जारी हैं, खीच-तान जारी है। इस तमाम मामले पर सेबी की चेयरपर्सन माध्वी पुरी बुच ने कहा है कि सेबी ज्वाइन करने से पूर्व अडाणी ग्रुप की विवादित कंपनियों में उनकी हिस्सेदारी थी। लेकिन सेबी ज्वाइन करने के बाद किसी तरह का आर्थिक संबंध नहीं है। क्या हिडनबर्ग के दूसरे खुलासे का संज्ञान भारत की सर्वोच्च न्यायालय द्वारा लिया जाएगा ? या यह हिडनबर्ग का एक सनसनी मसाला युक्त खुलासा है जो शेयर मार्केट को प्रभावित कर लाभ कमाने के लिए रचाया गया है। वक्त तय करेगा हिसाब सबका।

Vipin Joshi
संदर्भ स्रोत – इंटरनेट एंव डिजिटल इंडिया की दुनियां