चमोली जनपद के जोशीमठ तहसील की सुभाई चांचडी गांव में सवर्णों द्वारा दलितों के साथ किए गए अमानवीय कृत्य की जितनी निंदा की जाए वह कम है। दलित का दोष यह था कि तबियत खराब होने के कारण वह मेले में ढोल बजाने नहीं आ पाया। गांव की पंचायत ने उस पर न केवल पांच हजार रुपए का जुर्माना लगाया, बल्कि जातिसूचक शब्दों से अपमानित भी किया। यह घटना बताती है कि जो लोग हमेशा यह स्थापित करने की कोशिश करते हैं कि उत्तराखंड में दलितों के साथ भेदभाव नहीं होता वह कितने झूठे हैं। यह पहली घटना नहीं है। दलितों के साथ हमेशा से यह होता रहा है, आज भी हो रहा है। कुछ घटनाएं इस उत्पीड़न को समझने के लिए काफी हैं। इस तरह की घटनाएं हमारे समाज के क्रूर अमानवीय चेहरे को दिखाती हैं।
अल्मोड़ा जनपद के भिकियासैंण में दलित युवक जगदीश कुमार की इसलिए हत्या कर दी कि उसने एक सवर्ण लड़की से शादी की। वह भी तब जब लड़की का परिवार लंबे समय से लड़की को प्रताडित कर रहा था। जगदीश ने उसे सहारा दिया। दूसरी घटना – बागेश्वर में सवर्ण शिक्षक ने एक दलित का सिर इसलिए काट दिया कि उसने सवर्ण की चक्की में हाथ लगा दिया।
तीसरी घटना – टिहरी के श्रीकोट गांव में एक दलित की हत्या इसलिए कर दी कि वह एक बारात में सवर्णों के साथ कुर्सी पर बैठ गया था।
चौथी घटना – चंपावत में रमेश नामक युवक की हत्या इसलिए कर दी थी कि उसने सवर्णो की शादी में अपने हाथ से खाना निकाला।
पांचवी घटना – चंपावत जिले के सूखीढांग में सवर्ण बच्चों ने दलित भोजनमाता के हाथ से मिड-डे मील खाने से इंकार कर दिया था।
छटी घटना – नैनीताल जिले के ओखलकांडा में कोविड के दौरान क्वारंटाइन सेंटर में सवर्ण युवकों ने दलित के हाथ से खाने से मना कर दिया था।
सातवी घटना – चंपावत जिले के चैकी गांव में एक कथावाचक गौरव पांडे ने अपनी दलित प्रेमिका की उसी के दुपट्टे से गला र्घोटकर हत्या कर दी थी.
ये तमाम घटनाएं किसी दूसरे ग्रह में नहीं घटी हैं। देव भूमि उत्तराखंड में घटी हैं। और हमारे सभ्य शिक्षित समाज के लिए चिंताजनक भी हैं। समता समानता मूलक समाज का सपना देखने वालों की जिम्मेदारी भी बनती है कि वे अपनी ओर से कुछ ऐसे प्रयास करें जिनसे सकारात्मक संदेश जाए। लेकिन अफसोस उत्तराखंड का समाज समाज के मूलभूत मुद्दों के प्रति जवाबदेही महसूस नहीं करता है। जाति विभेद बहुत बड़ा मसला है इसे समझदारी और विमर्श से ही सुलझाया जा सकता है।
विपिन जोशी
(स्वतंत्र पत्रकार चारू तिवारी जी से बात चीत के आधार पर)