पुराने धारे को स्वयं किया जीवित

Vipin Joshi

युवा शक्ति का अनुपम उदाहरण पानी के धारे को किया पुनर्जीवित

बैजनाथ धाम के पास एक पुराना जल स्रोत था जो पिछले कुछ महीनों से बंद पड़ा था। जून के भीषण जल संकट के बीच बैजनाथ गांव के प्रधान राजेंद्र गोस्वामी के नेतृत्व में युवाओं ने श्रमदान कर इस सूख चुके धारे को जीवित कर दिया। बैजनाथ झील गोमती नदी के सूखने से सूख चुकी है, गोमती नदी पर आधारित वृहद पेय जल योजना का भी हाल बुरा है। बैजनाथ, और आसपास के गांव भी इस योजना का लाभ लेते हैं। 12 ग्राम पंचायतों को वृहद पेयजल योजना का लाभ मिलता है, लेकिन नदी में पानी नहीं है तो पेयजल आपूर्ति भी प्रभावित हो रही है। 

ऐसे में बैजनाथ के युवाओं ने अपने सूख चुके धारे को पुनर्जीवित करने का बीड़ा उठाया और सड़क के पास बने धारे को पुनः पानी से भर दिया। उक्त धारा बहुत प्राचीन नौले से जुड़ा है। गांव के पास एक नौले से धारे को जोड़ा गया है ताकि गांव के सभी लोगों को आसानी से पानी मुहैया हो सके और सड़क पर चलने वाले राहगीर भी धारे के शीतल जल का लाभ ले सकें। ग्राम प्रधान और युवाओं का यह प्रयास सराहनीय है। ग्राम प्रधान राजेंद्र गोस्वामी ने बताया कि युवाओं ने खूब मेहनत की और साबित किया कि कुछ काम बिना सरकारी मदद के भी हो सकते हैं।

पानी को संग्रहित करने और पानी के महत्व को समझने वालों के लिए यह एक बेहतरीन पहल बन सकती है। साझी शक्ति यदि चाहे तो अपने गांव का नक्शा बदल सकती है, गांधी का ग्राम स्वराज माडल भी यही कहता है अपने संसाधनों का उपयोग जन हित में हो और ग्रामवासी सर्वप्रथम उसका लाभ लें।