भू धसाव की जद में सेरी गांव

बागेश्वर जनपद मुख्यालय से 50 किमी दूर कांडा के पास है सेरी गांव। इन दिनों सेरी गांव राष्ट्रीय मीडिया में सुर्खियां बटोर रहा है। सेरी गांव में भू धसाव से घरों में दरारें आ चुकी हैं। कोई भी घर ऐसा नहीं है जिसमे दरार ना आई हो। जमीन का धसना ग्रामीणों के लिए चिंता का सबब बना है। लोग डर और खौफ के साए में पल पल बिताने को मजबूर हैं।

2021 में राज्य सरकार ने आपदा जनित विस्थापित नीति में बदलाव किए है। कुछ तकनीकी खामियां इस नीति में हैं जिनकी वजह से आपदा प्रभावित परिवारों के विस्थापन में दिक्कतें आ रही हैं। मौजूदा आंकड़ों के अनुसार उत्तराखंड में 411 गांव हैं जो विस्थापन की राह देख रहे हैं, बागेश्वर कांडा का सेरी गांव भी अब विस्थापन की श्रेणी में खड़ा दिखता है।

ग्रामीण तेज राम ने बताया कि 2001 से उनका घर आपदा प्रभावित है, 2024 की पहली बारिश से मकान और क्षति ग्रस्त हो चुका है। तेजराम को अभी तक किसी भी प्रकार की कोई राहत नहीं मिली है।

सेरी गांव के पूर्व सरपंच कुंदन सिंह के घर की हालत भी जर्जर है अब वो जर्जर मकान में नहीं रहते हैं, सेरी गांव में अभी भी 7 परिवार ऐसे हैं जो आपदा प्रबंधन और विस्थापन की राह देख रहे हैं।

गंगा देवी अपनी बहू के साथ रहती हैं दो माह पूर्व बेटे की शादी के लिए मकान की दरारों को ठीक किया इनके घर की स्थिति भी दयनीय है। कमरों में शीलन है घर पीछे की ओर को झुक गया है। गंगा देवी ने बताया कि रात को हल्की बारिश में भी वे डरे सहमे रहते हैं, प्रशाशन से अधिकारियों ने दौरे तो कर लिए लेकिन किसी प्रकार की राहत अभी तक नहीं मिली है। बातचीत के दौरान ग्रामीणों ने बताया कि स्थानीय विधायक और सांसद भी उनकी सुध नहीं ले रहे हैं।

विपिन जोशी