Vipin Joshi
2024, लोकसभा चुनाव के बाद मार्केट में महंगाई डायन का रूप और विकराल हो चुका है। आजकल टमाटर महंगाई के उच्चतम शिखर पर विराजमान है। हल्द्वानी मंडी में 60 रुपे किलो तो पहाड़ में टमाटर 80-90 रुपे किलो बिक रहा है। कमोवेश अन्य मौसमी सब्जियों का हाल भी ठीक ठाक है। सब्जियों को देखकर कैसे कहें कि मैं टमाटर, प्याज, लहसुन नहीं खाता हूं, इतनी बड़ी हिम्मत तो नहीं है मुझ आम आदमी में।
पहाड़ में अभी खूब सब्जियां उत्पादित हो रही हैं लेकिन अधिकांश गांवों में किसान बंदरों के आतंक से दुःखी हैं। लोकी, ककड़ी, तुरई, जो भी बंदरों के हाथ लगता है सब मिनटों में सफाचट हो जाता है। साग सब्जी अपने किचन गार्डन में हो जाती थी कुछ राहत जरूर मिलती थी। लेकिन अब दोहरी मार झेल रही जनता चुप है, कहे भी किसको कब चुनने का दौर होता है तो सामने पांच किलो मुफ्त राशन का थैला गरीबी की मजाक उड़ाते हुए कहता है जाओ तुम्हारी यही नियति है। आज यही गरीब तबका महंगी होती सब्जी, आसमान छू रही दालों और महंगाई डायन के विकराल रूप को किनारे खड़े निहार निहार रहा है।
जनता के टैक्स का पैसा कहां खर्च हो रहा है ? वीआईपी कल्चर में, नेताओं की रैलियों में, प्रचार पोस्टर बाजी में, निर्माण कार्यों के कमीशन में ? बदले में विकास के नाम पर जनता को क्या मिल रहा है, टपकता सरकारी स्कूल, टूटी सड़कें, डाक्टर रहित अस्पताल, घटिया डिजिटल कम्युनिकेशन, रोजगार के हसीन सपने, उन्नति के झूठे वादे, इस बेशर्म विकास ने प्रभु राम को भी नहीं छोड़ा पहली बरसात में मंदिर की छत टपकने लगी, एयरपोर्ट की छत गिर गई, सड़कों की हालत पतली है, पहाड़ फिसल रहे हैं. सब्जी कुछ दिन में सस्ती हो जायेगी, लेकिन अनियोजित और अवैज्ञानिक विकास के दंश से तुम्हें कौन बचाएगा, देख रहे हो ना विनोद। अब सिर्फ देखने से काम नहीं चलेगा सोचना समझना भी होगा। वर्ना कभी महंगे होते टमाटर तो कभी महंगे होते मोबाइल रिचार्ज प्लान के जरिए सरकार और कंपनी मिलकर जनता से ही वसूली करेगी। हम ठगे गए हैं, ठगे जाते रहेंगे। क्योंकि रील लाइफ में पंचायत का सचिव समस्या सुलझा देगा लेकिन रियल लाइफ में कौन आएगा मदद करने, यहां तो लचर होती व्यस्था के खिलाफ खुद संघर्ष करना होगा। इसलिए फिलहाल कुछ दिन और झेलो इस महंगी सब्जी को। लाल लाल टमाटर को देखो और टमाटर के साथ एक सेल्फी पोज बनाओ, अपने रिश्तेदारों को मित्रों को भेजो।