Vipin Joshi
उपचुनाव परिणाम कांग्रेस के लिए सुखद रहे। अयोध्या के बाद बद्रीनाथ धाम ने भी आशीर्वाद नहीं दिया। क्या डबल इंजन का जादू कम हो रहा है ? या बीजेपी का कांग्रेस मुक्त भारत का सपना ताश के पत्तों की तरह बिखर रहा है। इंडिया गठबंधन की जीत ने उत्तराखंड में कांग्रेस को मजबूत किया है। लोक सभा चुनाव के डेढ़ महीने बाद एनडीए गठबंधन को विधानसभा उपचुनाव में सिर्फ दो शीट का मिलना भारतीय राजनीति के लिए एक शुभ संकेत हो सकता है। उत्तराखंड में डबल इंजन की सरकार है। बावजूद इसके जनता ने तमाम सामाजिक मुद्दों के साथ उत्तराखंड के हिमालय में हो रहे सरकारी विकास के दखल को नकार दिया। मानकों से परे हो रहे निर्माण हो या देश भर में हो रहे भर्ती घोटाले, पेपर लीक, भयानक बेरोजगारी। बेतहाशा खनन इन सबसे जनता त्रस्त थी ।
लोक सभा चुनाव के बाद राज्यों की 13 सीटों पर हुए विधानसभा उपचुनाव में एनडीए को झटका लगा है. 13 में से महज 2 सीटों पर एनडीए को जीत मिली है. बंगाल, उत्तराखंड, बिहार, हिमाचल, पंजाब, तमिलनाडु और मध्यप्रदेश की 13 सीटों पर विधानसभा उपचुनाव हुए. जिनमें से मध्यप्रदेश की अमरवाड़ा और हिमाचल प्रदेश की हमीरपुर सीट पर ही बीजेपी को जीत मिली है. कांग्रेस पार्टी ने 4 सीटों पर, टीएमसी ने 4 सीटों पर आम आदमी पार्टी ने एक सीट, डीएमके ने एक और एक सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार को जीत मिली है. बिहार की चर्चित रुपौली सीट से निर्दलीय उम्मीदवार शंकर सिंह चुनाव जीतने में सफल रहे हैं. उन्होंने जदयू के उम्मीदवार को हराया. राजद की बीमा भारती तीसरे नंबर पर रहीं.
विधानसभा उपचुनाव के नतीजों ने सिद्ध किया कि राजनीति में अहंकार और तानाशाही रवैया स्वीकार्य नहीं किया जा सकता। बीजेपी को इस करारी हार से अवश्य सबक लेना होगा।