Vipin Joshi : उत्तराखण्ड, जनपद बागेश्वर का प्राचीन और ऐतिहासिक गाॅव तैलीहाट विगत तीन दशक से सड़क के लिए संघर्षरत है। गाॅव विकास खण्ड मुख्यालय से दो किमी. दूर है और जिला मुख्यालय से 19 किमी की दूरी पर स्थित है। गोमती के तट पर बसा गाॅव सातवीं सदी में कत्यूरी शासकों की राजधानी रह चुका है। गाॅव में तीन प्राचीन मंदिर क्रमशः सत्यनारायण देव, रक्षकदेवल, लक्ष्मीनारायण मंदिर तथा कत्यूरों की राजधानी अवशेष नीलाचैरी यहंा विद्यमान हैं। वर्तमान दौर मंे सड़क सुविधा जीवन शैली में जुड़ चुकी है। ग्रामिणों ने स्थानीय मीडिया के जरिए भी अपनी समस्या उजागर की लेकिन सरकार के स्तर पर कोई सुनवाई अभी तक नहीं हुई है। सड़क निमार्ण के लिए ग्रामीण संघर्षरत तो हैं पर उस संघर्ष में व्यवस्थित समन्वय नहीं दिखता। यदा कदा युवाओं को सड़क असुविधा का ख्याल आता है तो चर्चा शुरू हो जाती है। ग्रामिणों ने पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत को सड़क निर्माण के लिए आवेदन भी भेजा था परन्तु किसी तरह का सकारात्मक जवाब आज तक नहीं आया। भूतपूर्प हो चुके त्रिवेन्द्र रावत की जगह अब पुष्कर सिंह धामी विराजमान हैं। प्रदेश में सबका विकास हो रहा है। दुरूह क्षेत्रों में भी सड़क सुविधा का लाभ जनता उठा रही है लेकिन एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक गाॅव आज तक सड़क सुविधा से वंचित है।
चुनाव के दौरान चुस्त राजनैतिक अमला जनता की समस्याओं को अक्सर दरकिनार कर देता है। छोटे-मझोले रास्ते आदि का प्रौजेक्ट तो जारी रहता है लेकिन मूलभूत आवश्यक्ता के दायरे में आने वाली सड़क योजना के प्रति जनप्रतिनिधियों का उत्साह ठण्डा पड़ जाता है। इस मसले में भारतीय पुरातत्व विभाग भी आंखे मंूदे हुए है। बैजनाथ मंदिर समूह से तैलीहाट मंदिर समूह को जोड़ जाए तो देश-विदेश से आने वाले शैलानियों के लिए तैलीहाट गाॅव धार्मिक और ऐतिहासिक पर्यटन के लिए एक नज़ीर बन सकता है। इस परियोजना से ग्रामिणों को रोजगार मिलेगा और टूरिज्म व्यवसाय में एक नया अध्याय भी जुड़ेगा।
ग्रामिणों के कथन
1 हर योजना के लिए हमें संघर्ष ही करना पड़ता है। पेय जल योजना काफी संघर्ष के बाद बनी लेकिन आधे में काम रूक गया है। यही हाल सड़क का भी है। हर चुनाव में आश्वासन तो मिलता है लेकिन सड़क नहीं मिलती। टूरिज्म के लिए सड़क गाॅव के लिए वरदान बन सकती है।
2 यदि सब एक जुट होकर सरकार पर दबाव बनाए और सड़क के लिए जमीन देने की स्वीकृति दें तो संघर्ष अवश्य सफल होगा।
