कत्यूरी काल का प्राचीन किला लखनपुर

विपिन जोशी


उत्तराखण्ड के चैखुटिया क्षेत्र में कत्यूरी शासन काल का ऐतिहासिक किला लखनपुर आज भी अपनी ऐतिहासिक थाती में कत्यूरी काल का स्वर्णिम इतिहास समेटे हुए है। चैखुटिया के युवाओं का एक दल टीम हिमगिरि के बैनर तले 5 मई 2024 को भाटकोट पुल चैखुटिया से लखनपुर के लिए रवाना हुआ। लगभग 12 किमी. का पैदल ट्रैक कर यात्रा दल लखनपुर किले के अवशेष में पहुॅचा। पैदल रास्ता कठिन है लखनपुर तक कच्चा मोटर मार्ग है जो सिर्फ पद यात्रा के लिए ठीक लगता है लेकिन वाहन और बाइक के शौकिनों को कौन रोक पाया है, आॅफ रोड ऐडवेंचर के भी अपने मजे हैं। लखनपुर के आसपास के ग्रामीणों का जीवन इस कच्चे मोटर मार्ग ने कुछ हद तक सरल जरूर बनाया है।
ऐतिहासिक तथ्यों से पता चलता है कि कत्यूरी राजा अपने राज्य की सुरक्षा और निगरानी लखनपुर किले से करते थे। लखनपुर के समीप जौरासी चैखुटिया मार्ग पर एक प्राचीन मंदिर की स्थापना भी कत्यूरी राजा धामदेव ने की थी इस मंदिर की स्थापना 800-1100 ईसवी के दौरान बताई जाती है। जहां चैखुटिया क्षेत्र भौगोलिकता की दृष्टि से तराई क्षेत्र का एहसास कराता है वहीं लखनपुर मंे आते ही ठंडी बाज, बुरांश की हवाएं पद यात्रा की थकान दूर कर देती है। लखनपुर क्षेत्र में बहुत सी सुरंगे भी हैं जिनका उपयोग नदी में स्नान करने और प्राचीन नौलों से पानी एकत्र करने के लिए किया जाता था। एक प्राचीन सुरंग तो 12वीं शताब्दी की है। सरकार यदि पहल ले तो इन सुरंगो के अवरोधों को दूर कर स्थानीय लोगों को रोजगार मुहैया करा सकती है। पर्यटन और ट्रैकिंग की अपार संभावनाएं लखनपुर क्षेत्र में मौजूद है, इतिहास के अनसुलझे रहस्यों को अपने आगोश में समेटे लखनपुर क्षेत्र अपने सम्यक विकास की राह जोह रहा है। लखनपुर के पीछे कुछ ऐतिहासिक तथ्य और जन श्रुतियां भी प्रचलित हैं ग्रामीणों ने बताया कि लखनपुर का नाम जसरोटिया वंश के राजा लाखनपाल से भी जुड़ा है। लाखनपाल सिंह जसरोटिया वंश के अंतिम शासक थे। इस वंश के एक शासक लखनदेव भी थे 15वीं सदी में राजा लखनदेव ने मुगलों से पूरा क्षेत्र जीत लिया था, लखनपुर भी उनमें से एक क्षेत्र था। यहीं पर राजा लखनदेव ने अपना किला बनाया जो आज लखनपुर के नाम से जाना जाता है। राजा लखनदेव के निधन के बाद कई दशकों तक यह किला बंद रहा।
यात्रा और ट्रैकिंग के शौकीन एक भ्रमण लखनपुर किले का भी अवश्य करें। इन दिनों समूचा उत्तराखण्ड भीषण दावाग्नि की चपेट में है लेकिन बांज, बुरांश के घने जंगलों के बीच स्थित लखनपुर शीतलता और जैव विविधता का अनूठा संसार है। यहां पर आकर कुछ पल ठहर कर तन मन में एक नई उंमग का संचार होता है। साहसिक यात्रा और ऐतिहासिक पर्यटन की दृष्टि से लखनपुर में अपार संभावनाएं भरी है साथ में लगे चैखुटिया और द्वाराहाट क्षेत्र के साथ एक अच्छा पैकेज पर्यटन के लिए बन सकता है। इसके लिए सरकार की इच्छा शक्ति और योजनाबद्धता भी जरूरी है।

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