कत्यूर महोत्सव क्यों ? यह सवाल सभी के लिए जरूरी होना चाहिए। समस्त विभाग क्यों तत्पर दिखते हैं इस महोत्सव के लिए ? कुछ दिनो से कौसानी महोत्सव पर भी लोगों के बयान शोसल मीडिया में दिखने लगे हैं। कोई महोत्सव किसी समाज के जीवन का प्रतीक या संकेत होता है या महोत्सव एक नया ट्रेन्ड है अपनी सांस्कृतिक पहचान को मंचीय तरीके से परोसने का। बदलते दौर में अब मेलों की शक्ल महोत्सवों में तब्दील होने लगी है। अब ग्रामीण परिवेश नगरीय संस्कृति में बदलने लगा है तो सांस्कृतिक स्वरूप और जीवन शैली में बदलाव आऐंगे ही। परंपरागत लोक को भी नए जमाने के ग्लैमर में पहॅुचने का हक तो है ही हम उसे रोक नहीं सकते। हमारे जीवन में बहुत से तनाव हैं और सुकून भी कम होने लगा है।
इन महोत्सवों के बहाने ही सही कुछ समय स्क्रीन स्को्रलिंग से तो राहत मिलती है। लोग अपनी जगह में बैठ कर मंचीय कार्यक्रमों का लुत्फ उठाते हैं। आसपास लगे स्टॉलों का अवलोकन करते हैं। सहरकारी योजनाओं की जानकारियों से ऑन द स्पॉट रूबरू होते हैं। दूर-दराज के मित्रों से मिलते हैं, कुछ नए दोस्त भी परिचय के दायरे में आते हैं। स्थानीय व्यापारियें को भी आर्थिक सबलता मिलती है। स्थानीय कलाकारों को मंच मिलता है, अपनी पहचान दिखाने का अवसर भी प्राप्त होता है। पारंपरिक मेलां को मेल मिलाप का माध्यम माना जाता था। तब साधन कम थे, सूचना तकनीकी का प्रभाव आधुनिक नहीं था। वाचिक परंपरा आधारित ज्ञान था। आज लोक जीवन की परिभाषा ही बदल गई है। एआई जैसे इंटरनेट टूल सबकी जेम में हैं। दुनियां तेजी से बदल रही है और बदल चुके हैं संस्कृति के वाहक मेले जो अब महोत्सवों के रूप में नजर आते हैं। बाजार आधारित व्यवस्था ने हमारे सोचने समझने पर भी नियंत्रण कर लिया है। ऐसे माहौल में आधुनिक महोत्सवों का क्या प्रभाव हमारे जन-जीवन में पड़ता है यह अध्ययन का विषय हो सकता है।
गरूड़ में नगर पंचायत बनने के बाद पहली बार कत्यूर महोत्सव का आयोजन हो रहा है। मौसम की बेरूखी भी महोत्सव में खलल डाल सकती है। भकुनखोला खेल मैदान में सरकारी विभागों के स्टॉल लगेंगे, खेल आयोजन, खाने पीने के स्टॉल भी होंगे। इस बार चर्खा और झूला मैदान के बाहर लगेगा। मुख्य सांस्कृतिक मंच खेल मैदान में लगेगा। कार्यक्रम में स्कूलों की सांस्कृति झांकी, उद्घाटन, वन विभाग का लेजर शो, दीपोत्सव, स्टार नाईट में माया उपाध्याय, कमला देवी, गोविन्द गोस्वामी, जितेन्द्र तोमकियाल प्रमुख होंगे। स्थानीय कलाकारों को भी मंच प्रस्तुति के अवसर मिलेंगे। मेंहदी, ऐपन, शकुनाखर गायन प्रतियोगता को भी इस बार महोत्सव में स्थान मिला है।
उद्घाटन कार्यक्रम में विधायक बागेश्वर, विधायक कपकोट, केन्द्रीय मंत्री, दर्जा प्राप्त मंत्री, एसडीएम गरूड़, डीएम बागेश्वर, तहसीलदार गरूड़, नगर पंचायत अध्यक्ष गरूड़, जिला पर्यटन अधिकारी, कत्यूर महोत्सव समिती के सभी सदस्य, समस्त पत्रकार बंधु, महिला समूह, समस्त नगर पंचायत सभासद गरूड़, समस्त सरकारी विभाग एवं नागरिक संगठन के सदस्य शामिल होंगे।
