कौसानी में बढ़ने लगी रार शराब पर संग्राम

कौसानी में बढ़ने लगी रार शराब पर संग्राम : आमने सामने व्यापार संघ और लक्ष्मी आश्रम

कौसानी में बढ़ने लगी रार शराब पर संग्राम : आमने सामने व्यापार संघ और लक्ष्मी आश्रम
विपिन जोशी, कौसानी
आंदोलनों की जमीन पर शराब की दुकान खुलना अच्छे संकेत नहीं हैं। साहित्यकार प्रकृति के सुकुमार कवि सुमित्रानंदन पंत की जन्मस्थली और महात्मा गांधी की साधना स्थली के रूप में कौसानी को जाना जाता है। आजादी के बाद आज तक कौसानी में शराब की दुकान खोलने के खूब प्रयास सरकार द्वारा किए गए लेकिन लक्ष्मी आश्रम और स्थानीय समुदाय की जागरूकता और विरोध के सामने हर बार सरकार को अपना फैसला बदलना पड़ा। परन्तु अब 2025 में स्थितियां बिल्कुल अलग हैं लोकल व्यापारियों ने सरकारी शराब की दुकान खोलने के पक्ष में एसडीएम को ज्ञापन दिया है। स्थानीय व्यापारियों का कहना है कि कौसानी के लगभग हर ढाबे में, होटल में पर्यटकों को और लोकल लोगों को शराब परोसी जाती है, अवैध रूप से मंहगी दामों में शराब बेची जाती है। यदि दुकान खुलेगी तो कम कीमतों पर वैध शराब लोगों को मुहैया होगी, शराब की तस्करी पर भी लगाम लगेगी। ये है व्यापार संघ का पक्ष।
लक्ष्मी आश्रम विगत सात दशक से कौसानी में बालिका शिक्षा और गांधी विचार पर सघन कार्य कर रहा है। पूर्व में मिथ कैथरीन सरला बहन और वर्तमान में राधा भट् के नेतृत्व में लक्ष्मी आश्रम ने देश भर में रचनात्मक शिक्षा और जन आंदोलनों पर खूब काम किया है। चंडी प्रसाद भट्, नीमा वैष्णव, सदन मिश्रा, विमला दीदी, राजीव लाचन शाह, पदमश्री शेखर पाठक, कमला बहन, बंसती बहन जैसे दर्जनों सर्वोदयी कार्यकर्ताओं का जुड़ाव लक्ष्मी आश्रम से रहा है। राधा भट् 90 की उम्र में भी सामाजिक मुद्दों के लिए मुखरता से प्रस्तुत हैं। राधा भट्ट 1970 में पौड़ी जेल में रही। नशा नहीं रोजगार दो, चिपको आंदोलन, टिहरी बांध आंदोलन, गरूड़ का कन्धार शराब विरोधी आंदोलन, नदी बचाओ अभियान जैसे कई रचनात्मक आंदोलनों में लक्ष्मी आश्रम की महिती भूमिका रही है। राधा भट्ट कहती हैं कि चाहे जो हो जाए वे कौसानी में शराब की दुकान नहीं खुलने देंगे। कौसानी को आध्यात्मिक और प्राकृतिक शांति के लिए जाना जाता है। शराब आएगी तो अशांती लाऐगी। पर्यटक अपनी रूटीन जिन्दगी में सुकून के पल ढूढ़ने आते हैं उनको शराब परोसना यहां की स्थानीय जनता का और गांधी समेत सुमित्रानंनदन पंत की साहित्यक थाती का भी अपनान है।
लक्ष्मी आश्रम अहिंसक सत्याग्रह के साथ कौसानी में आंदोलन जारी रखेगा। अभी तो जुलूस और प्रदर्शन के माध्यम से हमने एक संकेत मात्र दिया है। यदि सरकार नहीं चेती तो प्रदर्शन और मुखर होगा। इस संबंध में आश्रम ने जिलाधिकारी अल्मोड़ा को भी ज्ञापन दिया है। आज भले ही स्थानीय व्यापारी अपने मुनाफे के लिए शराब की दुकान का समर्थन कर रहे हों लेकिन दीर्घकालिक परिणाम अच्छे नहीं होंगे। कौसानी की बची खुची शांती व्यवस्था भंग होगी और महिलाओं और बच्चों को इसका दंश झेलना होगा। व्यापारी रोजगार सृजन के नए विचार और प्यान लेकन सरकार के प्रतिनिधियों के पास क्यों नहीं जाते ? सरकार की तमाम योजनाएं हैं जो रिवर्स पलायन और स्वरोजगार के क्षेत्र में मदद करती हैं। क्या शराब ही एक मात्र विकल्प है जिससे मार्केट में चहल-पहल बढ़ेगी ? इस सवालों पर सोचने की आवश्यकता है। प्रशासन को सघन अभियान चलाना चाहिए और शराब परोसने वाले होटलों और रेस्तरां में छापे मारी करनी चाहिए। पता नहीं प्रशासन क्यों मूंक दर्शक बना हुआ है। लक्ष्मी आश्रम प्रशासन से मांग करता है कि कौसानी में अवैध शराब पर शिकंजा कसे। किसी भी प्रकार से कौसानी में शराब स्वीकार्य नहीं होगी वह चाहे किसी भी रूप में हो।
उत्तराखण्ड के प्रसिद्ध साहित्यकार गोपाल दत्त भट्ट ने कौसानी में शराब की दुकान खुलने पर रोष प्रकट करते हुए कहा कि सरकार कौसानी को संवारने के लिए क्या कर रही है ? अनासक्ति आश्रम यहां है, पंथ वीथिका यहां पर है, लक्ष्मी आश्रम सक्रीय तौर पर जन मुद्दों के लिए खड़ा रहाता है। शराब से भी जरूरी मुद्दे राह देख रहे हैं। पेयजल की समस्या है, स्वास्थ्य व्यवस्था को मजबूत करने की जरूरत है शराब की दुकान की नहीं। इसलिए सरकार को तुरंत अपना फैसला वापस लेना चाहिए। इस मसले पर सर्वोदयी संस्थाओं को स्थानीय जनता को साथ में लेकर सत्याग्रह करना होगा।

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