विश्व रंग मंच दिवस

रंगमंच का शिक्षा में उपयोग एक प्रभावी और रचनात्मक तरीका है, जिसके माध्यम से छात्रों को विभिन्न विषयों को समझने, अभिव्यक्त करने और आत्मविश्वास विकसित करने में मदद मिलती है। रंग मंच शिक्षा को रोचक बनाता है, छात्रों के समग्र विकास में भी योगदान देता है। रंगमंच शिक्षा में कैसे उपयोगी हो सकता है? इस प्रश्न को इन बिंदुओं से समझ सकते हैं। रंगमंच के माध्यम से छात्र नाटक, भूमिका निभाने और संवाद के जरिए विषयों को अनुभव करते हैं। उदाहरण के लिए, इतिहास की घटनाओं को नाटक के रूप में प्रस्तुत करने से छात्र उन घटनाओं को बेहतर समझ सकते हैं। सामाजिकता का विकास, रंगमंच एक सामूहिक उपक्रम है। रंगकर्मी समूह में काम करते हैं। जिससे उनमें सहयोग, संचार और नेतृत्व जैसे कौशल विकसित होते हैं। उन्हें टीम वर्क के द्वारा दूसरों के दृष्टिकोण को समझने में मदद मिलती है।
भावनात्मक समझ और सहानुभूति , विभिन्न पात्रों की भूमिका निभाने से छात्र विभिन्न परिस्थितियों और भावनाओं को समझते हैं। इससे उनमें सहानुभूति और भावनात्मक बुद्धिमत्ता बढ़ती है।भाषा और अभिव्यक्ति में सुधार होता है। नाटक के संवाद लिखने और बोलने की प्रक्रिया से छात्रों की भाषा कौशल, शब्दावली और आत्मविश्वास में वृद्धि होती है। हिंदी जैसी भाषाओं में काव्यात्मकता और संवेदनशीलता को रंगमंच के जरिए प्रभावी ढंग से सिखाया जा सकता है। रंगमंच छात्रों को अपनी कल्पना का उपयोग करने और नए विचारों को प्रस्तुत करने की स्वतंत्रता देता है। यह पारंपरिक शिक्षण विधियों से हटकर सोचने की क्षमता को प्रोत्साहित करता है। रंग मंच जटिल अवधारणाओं को सरल बनाता है, विज्ञान, गणित या सामाजिक अध्ययन जैसे विषयों को नाटक के माध्यम से सरल और रोचक बनाया जा सकता है। उदाहरण के लिए, न्यूटन के नियमों को एक छोटे नाटक के जरिए प्रदर्शित करना।
भारत में रंगमंच का उपयोग पारंपरिक रूप से कथकली, नौटंकी और रामलीला जैसे लोक नाटकों के माध्यम से शिक्षा और नैतिकता सिखाने के लिए किया जाता रहा है। आधुनिक शिक्षा में इसे कक्षा में गतिविधियों, स्कूल नाटकों और कार्यशालाओं के रूप में शामिल किया जा सकता है।
कत्यूर रामलीला कमेटी के रंगकर्मी कैलाश बिष्ट विगत तीन दशक से रामलीआ और नौटंकी में विभिन्न पात्रों का किरदार निभाते आ रहे हैं। कैलाश बिष्ट कहते हैं मंच पर जाते ही वे किरदार में खो जाते हैं, बिष्ट को ताड़का , केवट, बंदी जन, सुमंत, कल्लू धोबी की भूमिका ने देखने के लिए दर्शक दूर दूर से आते हैं।
कत्यूर रामलीला मंच में महिला रंगकर्मियों ने भी अपना अच्छा स्थान बनाया नीमा गोस्वामी आंगनबाड़ी कार्यकर्ती हैं और रंगमंच में सक्रीय रहती हैं। नीमा के दोनों बेटों ने रामलीला में लंबे समय तक राम और लक्ष्मण की भूमिकाएं निभाई, नीमा आज भी कौशल्या की भूमिका करती हैं इनकी मधुर गायिकी दर्शकों द्वारा खूब सराही जाती है।
नीमा वर्मा, पेशे से शिक्षिका रह चुकी नीमा वर्मा शबरी की भूमिका करती है। बदलते दौर में रंग मंच भी बदला है। रामलीला, स्वांग, नुक्कड़ नाटक आधुनिकता की चमक दमक के आगे अपने महत्व के साथ टीके हुए हैं।

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