मांगे मान ली जाएँगी, दस दिन का समय प्रशाशन ने दिया ..
क्या फिर से ठगे जायंगे लाहूर घाटी के ग्रामीण या होगी उनकी मूलभूत आवश्कताएँ पूर्ण … ?
22 दिन से आन्दोलन जारी था लाहूर घाटी की जनता अपनी अडिग पांच सूत्रीय मांगों को लेकर डटें थे . आज 17 जुलाई २०२४ को जिला और तहसील प्रशाशन की टीम लाहुर घाटी आन्दोलन को मैनेज कर आई . ग्राम प्रधान कु. चंपा ने जानकारी देते हुवे बताया कि प्रशाशन ने लिखित रूप में आन्दोलनकारियों को आश्वाशन दिया है कि यदि दस दिन के भीतर लाहुर घाटी में आन्दोलनकारियों की मांगे नहीं मानी गई तो पुनः ग्रामीण आन्दोलन कर सकते हैं. अब सवाल लाहूर घाटी के आन्दोलनकारियों पर बनता है , क्या दस दिन के बाद फिर से आन्दोलन से जुड़े लोग टेंट लगा के जुटेंगे ?
आन्दोलन भारतीय संविधान की पवित्र शक्ति है जो किसी भी आम नागरिक को अपने मूलभूत अधिकारों के प्रति जागरूक रखता है. लेकिन जन मुदद्दों के प्रति अचानक उत्तराखंड सरकार जागरूक हो गई और लाहूर घाटी का आन्दोलन समाप्त हो गया, जो भी हुवा अच्छा हुवा होगा . लाहूर घाटी की जनता को उनकी पाँच सूत्रीय मांगे धरातल पर मिलें, यही आन्दोलन का उद्देश्य था .