गरूड़, 3 जुलाई, 2024
भारतीय पुरात्तव सर्वेक्षण विभाग का नया फरमान। या कहें कि केन्द्र सरकार की नई नीति में तब्दील होने वाला ड्राफ्ट, देशवासियों के लिए नई मुसीबत बन कर आने वाला बायलॉज है जो अगर बिल के रूप में पास हो जाता है तो उसका पालन करना ही होगा। मामला है पुरातत्व विभाग की ओर से जारी 85 पेज का एक नया प्रस्ताव जिसे जनता के अवलोकन हेतु आगामी 5 जुलाई 2024 तक सार्वजनिक आपत्ति के लिए मुक्त रखा है। बागेश्वर जनपद का ऐतिहासिक गॉव बैजनाथ और तैलीहाट पुरातात्विक महत्व के लिए महत्वपूर्ण हैं। 1885 से उक्त क्षेत्र के सभी पुरातन धरोहर भारतीय पुरात्तव सर्वेक्षण विभाग के अधीन हैं। पुराने नियमों के अनुसार धरोहरों के आसपास 100 मीटर के दायरे में किसी भी प्रकार का नव निर्माण और जीर्णोद्धार प्रतिबंधित है। निर्माण कार्य से पूर्व ग्रामीणों को पुरातत्व विभाग से अनुमति लेना आवश्यक है। ऐसा नहीं करने पर कानूनी कार्यवाही हो सकती है।
तैलीहाट बौर बैजनाथ गॉव में 2 अगस्त 2024 को ग्रामीणों में अचनाक सुगबुगाहट तेज हो गई। जब शोशल मीडिया के माध्यम से ग्रामीणों को पुरातत्व विभाग का नया फरमान ड्राफट रूप में प्रकट हुआ। गॉव के व्हट्सप गु्रप में देर रात तक तर्क विर्तक चलता रहा। अगली सुबह ग्रामीणों ने सामूहिक रूप से निर्णय लिया कि राजस्व उपनिरिक्षक को एक आपत्ति सौंपी जाए और एक ज्ञापन उपजिलाधिकारी गरूड़ के मार्फत जिलाधिकारी को सौपा जाए। ग्रामीणों ने आनन फानन में आपत्ति दर्ज की और ज्ञापन उपजिलाधिकारी कार्यालय में सबमिट कराया।
ग्रामीणों की आपत्तियां –
वर्शो से ग्रामीण अपनी पुरखों की जमीन में निवास करते आए हैं। खेती और आजीविका को कोई और भौतिक स्थल ग्रामीणों के पास अनयत्र नहीं है।
निर्माण का प्रतिबंधित क्षेत्र 100 मीटर होने से ग्रामीणों को काफी दिक्कतों को सामना पूर्व में करना पड़ा है। अब नए प्रस्ताव में भवन निर्माण आदि के लिए 300 प्रतिबंधित क्षेत्र 300 मीटर करने से ग्रामीणों की दिक्कतें बढ़ जाएंगी। लेकिन इसमें एक पक्ष गोमती नदी में खनन का भी है। यदि मंदिर परिसर के 300 मीटर के दायरे में निर्माण कार्य प्रतिबंधित होगा तो इसका असर गोमती नदी के खनन पर भी पड़ेगा जो एक प्रकार से पुरातन धरोहरों के पक्ष में होगा।
ग्रामीणों ने अपनी परेशानी साझा करते हुए बताया कि बहुत से लोगों के घर काफी जर्जर हो चुके हैं लेकिन इस नये नियम के लागू होने के बाद वे अपने पुराने घरों की मरम्मत भी नहीं कर पाएंगे। यह एक गंभीर समस्या है। जिसकी ओर पुरातत्व विभाग और केन्द्र सरकार का ध्यान नहीं जाता है, यह दुर्भाग्यपूर्ण भी है।
कृशि भूमि भी पुरातन धरोहरों के आसपास है, गॉव में बिजली के पोल भी प्रतिबंधित क्षेत्र के दायरे में आते हैं। यानी जीवन जीने का तमाम ताना बाना इन्हीं प्राचीन धरोहरों के आसपास है। ग्रामीणों ने रोश व्यक्त करते हुए कहा कि सामाजिक ताने-बाने को और समाज की सांस्कृतिक विरासत को बचाने का काम उन्होने सदियों से किया है, जिसे वे बदस्तूर जारी रखें हुए हैं। यदि ग्रामीणों को उनकी मिट्टी और संस्कृति से दूर किया जायेगा तो वे इसका पुरजोर विरोध करेंगे। अतः तैलीहाट/फुलवाड़ीगूंठ बैजनाथ के ग्रामीणों ने आज उपजिलाधिकारी गरूड़ के माध्यम से जिलाधिकारी बागेश्वर को अपनी समस्या पर एक ज्ञापन सौपा है। ज्ञापन वार्ता में ग्राम प्रधान तैलीहाट, क्षेत्र पंचायत सदस्या, सरपंच तैलीहाट, पूर्व सरपंच तैलीहाट समेत धीरज तिवारी, नंदन मेहरा, पूरन सिंह, नवीन चन्द्र तिवारी, तारा सिंह, दरवान सिंह मेहरा, ग्राम प्रधान बैजनाथ, कैलाश चन्दोला, आदि मौजूद रहे।
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