Uncategorized - Swar Swatantra https://swarswatantra.in Latest News | Breaking News | Live News Tue, 22 Apr 2025 11:05:55 +0000 hi-IN hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.7.2 https://swarswatantra.in/wp-content/uploads/2021/06/swarswatantra-2-150x150.png Uncategorized - Swar Swatantra https://swarswatantra.in 32 32 पेंशन, आधार सीडिंग व यूसीसी पंजीकरण पर जिला प्रशासन सख्त https://swarswatantra.in/archives/10757?utm_source=rss&utm_medium=rss&utm_campaign=%25e0%25a4%25aa%25e0%25a5%2587%25e0%25a4%2582%25e0%25a4%25b6%25e0%25a4%25a8-%25e0%25a4%2586%25e0%25a4%25a7%25e0%25a4%25be%25e0%25a4%25b0-%25e0%25a4%25b8%25e0%25a5%2580%25e0%25a4%25a1%25e0%25a4%25bf%25e0%25a4%2582%25e0%25a4%2597-%25e0%25a4%25b5-%25e0%25a4%25af%25e0%25a5%2582%25e0%25a4%25b8%25e0%25a5%2580%25e0%25a4%25b8 https://swarswatantra.in/archives/10757#respond Tue, 22 Apr 2025 11:05:55 +0000 https://swarswatantra.in/?p=10757 पेंशन आधार सीडिंग व यूसीसी पंजीकरण में तेजी लाएं: जिलाधिकारी। Vipin Joshi जिलाधिकारी आशीष भटगांई ने मंगलवार को समाज कल्याण विभाग द्वारा संचालित विभिन्न पेंशन योजनाओं के लाभार्थियों के आधार कार्ड सीडिंग और यूसीसी पंजीकरण की प्रगति की वर्चुअल माध्यम से समीक्षा की। उन्होंने दोनों कार्यों को समयबद्ध तरीके से पूरा करने के सख्त निर्देश ... Read more

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पेंशन आधार सीडिंग व यूसीसी पंजीकरण में तेजी लाएं: जिलाधिकारी।

Vipin Joshi

जिलाधिकारी आशीष भटगांई ने मंगलवार को समाज कल्याण विभाग द्वारा संचालित विभिन्न पेंशन योजनाओं के लाभार्थियों के आधार कार्ड सीडिंग और यूसीसी पंजीकरण की प्रगति की वर्चुअल माध्यम से समीक्षा की। उन्होंने दोनों कार्यों को समयबद्ध तरीके से पूरा करने के सख्त निर्देश दिए, जिसमें लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

जिलाधिकारी भटगांई ने समीक्षा बैठक के दौरान खंड विकास अधिकारियों, लीड बैंक अधिकारी और ग्राम पंचायत विकास अधिकारियों को निर्देश दिए कि वृद्धावस्था, दिव्यांग, विधवा आदि पेंशन योजनाओं के लाभार्थियों के आधार सीडिंग का कार्य अगले सात दिनों के भीतर हर हाल में पूर्ण कर लिया जाए। उन्होंने जोर दिया कि सरकार की योजनाओं का लाभ सभी पेंशनर्स को समय पर मिल सके, इसके लिए इस दिशा में तेजी से काम करना सुनिश्चित करें। जिलाधिकारी ने स्पष्ट किया कि इस कार्य में किसी भी प्रकार की लापरवाही या शिथिलता बिल्कुल भी क्षम्य नहीं होगी। उन्होंने प्रबंधक इंडिया पोस्ट पेमेंट बैंक को भी निर्देश दिए कि सामान्य डाकघरों में संचालित लाभार्थियों के खातों को एक सप्ताह के भीतर विशेष अभियान चलाकर इंडिया पोस्ट पेमेंट बैंक के खातों में परिवर्तित कराना सुनिश्चित करें।
जिलाधिकारी ने जिला समाज कल्याण अधिकारी को निर्देश दिए कि आधार कार्ड सीडिंग कार्य की नियमित निगरानी करते हुए पेंशन प्राप्त करने वाले लाभार्थियों की आधार सीडिंग शत-प्रतिशत सुनिश्चित करें। उन्होंने कहा कि आधार सीडिंग होने से लाभार्थियों को जहां समय से सरकारी योजनाओं का लाभ मिलेगा, वहीं पूरी प्रक्रिया में पारदर्शिता भी बनी रहेगी। इस कार्य को समयबद्धता से पूरा करने के लिए उन्होंने समाज कल्याण विभाग के साथ ही ब्लॉक स्तरीय अधिकारियों की जिम्मेदारी तय की है।

समीक्षा बैठक में यूसीसी पंजीकरण की प्रगति पर भी चर्चा हुई। जिलाधिकारी ने यूसीसी पंजीकरण में तेजी लाने के लिए राजस्व विभाग की टीम, खंड विकास अधिकारी, ग्राम पंचायत विकास अधिकारी और नगर निकायों के अधिकारियों को युद्ध स्तर पर पंजीकरण में गति लाने के निर्देश दिए। उन्होंने इसे एक अभियान के तौर पर लेते हुए नगर निकायों में वार्डवार और ग्रामीण क्षेत्रों में ग्राम पंचायत व न्याय पंचायत स्तर पर रोस्टर निर्धारित कर शिविर लगाने के निर्देश दिए। जिलाधिकारी ने खंड विकास अधिकारियों को नियमित निगरानी करते हुए प्रतिदिन का लक्ष्य निर्धारित कर अभियान के तौर पर यूसीसी पंजीकरण में तेजी लाने को कहा। उन्होंने यह भी सुनिश्चित करने को कहा कि जिन स्थानों पर शिविर लग चुके हैं, वहां पर भी रोस्टर के अनुसार पुनः शिविर लगाना सुनिश्चित करें। उन्होंने इस कार्य में भी किसी भी स्तर पर लापरवाही बर्दाश्त न करने की चेतावनी दी।

इस दौरान समाज कल्याण अधिकारी जसमीत कौर, ई-डिस्ट्रिक्ट मैनेजर रोहित बहुगुणा सहित वर्चुअल माध्यम से लीड बैंक अधिकारी, खंड विकास अधिकारी और सभी ग्राम पंचायत विकास अधिकारी जुड़े रहे।

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कपकोट में अपराध पर अंकुश https://swarswatantra.in/archives/10738?utm_source=rss&utm_medium=rss&utm_campaign=%25e0%25a4%2595%25e0%25a4%25aa%25e0%25a4%2595%25e0%25a5%258b%25e0%25a4%259f-%25e0%25a4%25ae%25e0%25a5%2587%25e0%25a4%2582-%25e0%25a4%2585%25e0%25a4%25aa%25e0%25a4%25b0%25e0%25a4%25be%25e0%25a4%25a7-%25e0%25a4%25aa%25e0%25a4%25b0-%25e0%25a4%2585%25e0%25a4%2582%25e0%25a4%2595%25e0%25a5%2581%25e0%25a4%25b6 https://swarswatantra.in/archives/10738#respond Tue, 08 Apr 2025 14:02:03 +0000 https://swarswatantra.in/?p=10738 विपिन जोशी बागेश्वर में नाबालिग लड़कियों से मारपीट,पुलिस ने पीछा कर एक आरोपी को किया गिरफ्तार/कपकोट पुलिस ने गिफ्तार किया दो युवको को. उत्तराखंड के बागेश्वर में एक विचलित करने वाली घटना में, दो नाबालिग लड़कियों को चार युवकों द्वारा बंधक बनाकर शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया गया और उनके साथ छेड़छाड़ भी की गई। ... Read more

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विपिन जोशी

बागेश्वर में नाबालिग लड़कियों से मारपीट,पुलिस ने पीछा कर एक आरोपी को किया गिरफ्तार/कपकोट पुलिस ने गिफ्तार किया दो युवको को.

उत्तराखंड के बागेश्वर में एक विचलित करने वाली घटना में, दो नाबालिग लड़कियों को चार युवकों द्वारा बंधक बनाकर शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया गया और उनके साथ छेड़छाड़ भी की गई। आरोपी इतने बेखौफ निकले कि भागने के प्रयास में पुलिस वाहन से भी टक्कर मार दी। जबकि एक आरोपी को पकड़ लिया गया है, अन्य अभी भी फरार हैं। मारपीट का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है, जिसमें अपराधी लड़कियों को थप्पड़ मारते, गालियां देते और उन्हें मुर्गा बनने पर मजबूर करते दिखाई दे रहे हैं।

रविवार को कपकोट पुलिस ने तनुज गड़िया, दीपक उर्फ दक्ष, योगेश गड़िया (पुत्र कंचन सिंह, निवासी खाईबगड़ कपकोट) और लक्की कठायत (पुत्र खुशाल कठायत, निवासी कपकोट) के खिलाफ पॉक्सो अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया। उन पर दो नाबालिग लड़कियों को बहला-फुसलाकर एक कमरे में ले जाने का आरोप है, जहां उन्होंने कथित तौर पर उनके साथ छेड़छाड़ की और शारीरिक प्रताड़ना शुरू कर दी। आरोपियों ने इस दौरान वीडियो भी बनाया, जिसमें लड़कियां रोती और हाथ जोड़ती दिखाई दे रही हैं, लेकिन अत्याचार जारी रहा।

रविवार दोपहर, जब पुलिस चारों की गिरफ्तारी के लिए दबिश दे रही थी, तनुज को छोड़कर तीनों आरोपी एक कार में कपकोट से भागकर बागेश्वर पहुंच गए। शाम के समय, वरिष्ठ उप निरीक्षक खष्टि बिष्ट अपनी टीम के साथ मंडलसेरा बाइपास के पास गश्त कर रही थीं जब उन्होंने बिना नंबर प्लेट वाली एक कार को रोकने का प्रयास किया।

जैसे ही पुलिस ने कार का दरवाजा खोला, तीनों युवकों ने पुलिसकर्मियों को धक्का देकर गिरा दिया और पुलिस की जीप से टक्कर मारकर भाग गए। पुलिस ने वाहन का पीछा किया और मंडलसेरा बाईपास पुल के पूर्वी छोर पर उसे रोक लिया। इस दौरान कार में सवार दो युवक पुलिस को चकमा देकर भागने में सफल रहे, जबकि कार चला रहे 23 वर्षीय आरोपी योगेश गड़िया (पुत्र कंचन सिंह, निवासी खाईबगड़ कपकोट) को गिरफ्तार करके कोतवाली ले जाया गया। फरार हुए लक्की कठायत और दीपक उर्फ दक्ष कोरंगा के खिलाफ धारा 132/221 बीएनएस के तहत मुकदमा दर्ज कर उनकी तलाश शुरू कर दी गई है।

एसपी बागेश्वर चंद्रशेखर घोड़के ने कहा कि पुलिस को चकमा देकर भागने वाले युवकों की गिरफ्तारी के लिए कपकोट थाना व कोतवाली बागेश्वर से विशेष टीम बनाई गई है। उन्होंने आश्वासन दिया कि जल्द ही भागे हुए आरोपी पुलिस की गिरफ्त में होंगे और घटना को अंजाम देने वालों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाएगी।​​​​​​​​​​​​​​​​

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कहां रोपित हैं आईपीएल के पेड़ : विपिन जोशी https://swarswatantra.in/archives/10719?utm_source=rss&utm_medium=rss&utm_campaign=%25e0%25a4%2595%25e0%25a4%25b9%25e0%25a4%25be%25e0%25a4%2582-%25e0%25a4%25b0%25e0%25a5%258b%25e0%25a4%25aa%25e0%25a4%25bf%25e0%25a4%25a4-%25e0%25a4%25b9%25e0%25a5%2588%25e0%25a4%2582-%25e0%25a4%2586%25e0%25a4%2588%25e0%25a4%25aa%25e0%25a5%2580%25e0%25a4%258f%25e0%25a4%25b2-%25e0%25a4%2595%25e0%25a5%2587-%25e0%25a4%25aa https://swarswatantra.in/archives/10719#respond Thu, 03 Apr 2025 01:57:42 +0000 https://swarswatantra.in/?p=10719 आईपीएल में बीसीसीआई और टाटा ग्रुप की साझेदारी के तहत प्लेऑफ मैचों में प्रति डॉट बॉल 500 पेड़ लगाए जाते हैं। यह एक शानदार पहल है। आईपीएल के बढ़ते ग्लैमर के बीच पर्यावरण संरक्षण का विचार शुभ है। जिस तेजी से ग्लोबल वार्मिंग बढ़ रही है धरती में पेड़ो की संख्या उसी अनुपात में घट ... Read more

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आईपीएल में बीसीसीआई और टाटा ग्रुप की साझेदारी के तहत प्लेऑफ मैचों में प्रति डॉट बॉल 500 पेड़ लगाए जाते हैं। यह एक शानदार पहल है। आईपीएल के बढ़ते ग्लैमर के बीच पर्यावरण संरक्षण का विचार शुभ है। जिस तेजी से ग्लोबल वार्मिंग बढ़ रही है धरती में पेड़ो की संख्या उसी अनुपात में घट भी रही है। क्रिकेट के प्रति एशिया में खूब लोक प्रियता है, प्रति डाट बाल 500 पेड़ लगाने का संदेश विश्व भर में सकारात्मक संदेश देगा। पेड़ लगाने को यह पहल 2023 से शुरू हुई थी और 2025 तक जारी है। अब तक के आंकड़ों के आधार पर कुल पेड़ों की संख्या और उनके स्थानों का विवरण इस प्रकार है:आईपीएल 2023: प्लेऑफ में 294 डॉट बॉल्स हुईं, जिसके परिणामस्वरूप 1,47,000 पेड़ लगाए गए।
आईपीएल 2024: प्लेऑफ में 323 डॉट बॉल्स हुईं, जिससे 1,61,500 पेड़ लगाए गए।
आईपीएल 2025: खबर लिखे जाने तक (2 अप्रैल 2025 तक)
पूरे टूर्नामेंट में 312 डॉट बॉल्स दर्ज की गई हैं, जिसका मतलब है कि 1,56,000 पेड़ लगाए जा चुके हैं या लगाए जाने की प्रक्रिया में हैं। हालांकि, यह संख्या पूरे सीजन की है, न कि सिर्फ प्लेऑफ की, और सीजन अभी चल रहा है। प्लेऑफ के आंकड़े बाद में अपडेट होंगे।कुल पेड़ (2023 से 2025 तक अब तक):
1,47,000 (2023) + 1,61,500 (2024) + 1,56,000 (2025 अब तक) = 4,64,500 पेड़। यह अनुमानित आंकड़ा है, क्योंकि 2025 का सीजन पूरा नहीं हुआ है और प्लेऑफ के आंकड़े अभी शामिल नहीं हैं। ये पद कहां लगाए गए ?
ये पेड़ पूरे भारत में विभिन्न स्थानों पर लगाए जाते हैं ताकि पर्यावरणीय प्रभाव व्यापक हो। कुछ राज्यों जैसे असम, गुजरात, कर्नाटक, केरल, और शहरों जैसे चेन्नई, अहमदाबाद, और बेंगलुरु (जहां बीसीसीआई सेंटर ऑफ एक्सीलेंस में 4,00,000 वां पेड़ लगाया गया) का जिक्र मिलता है। हालांकि, सटीक स्थानों की पूरी सूची सार्वजनिक रूप से उपलब्ध नहीं है, क्योंकि बीसीसीआई और टाटा ग्रुप ने विस्तृत जानकारी साझा नहीं की है। 2025 का सीजन अभी चल रहा है, इसलिए अंतिम आंकड़े मई 2025 के बाद ही स्पष्ट होंगे। तब तक कुल संख्या और बढ़ सकती है।

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कौसानी में शराब विरोध प्रदर्शन https://swarswatantra.in/archives/10699?utm_source=rss&utm_medium=rss&utm_campaign=%25e0%25a4%2595%25e0%25a5%258c%25e0%25a4%25b8%25e0%25a4%25be%25e0%25a4%25a8%25e0%25a5%2580-%25e0%25a4%25ae%25e0%25a5%2587%25e0%25a4%2582-%25e0%25a4%25b6%25e0%25a4%25b0%25e0%25a4%25be%25e0%25a4%25ac-%25e0%25a4%25b5%25e0%25a4%25bf%25e0%25a4%25b0%25e0%25a5%258b%25e0%25a4%25a7-%25e0%25a4%25aa%25e0%25a5%258d%25e0%25a4%25b0 https://swarswatantra.in/archives/10699#respond Sat, 29 Mar 2025 15:37:16 +0000 https://swarswatantra.in/?p=10699 विपिन जोशी कौसानी में शराब विरोध प्रदर्शन: महिलाओं के आंदोलन का स्थानीय लोगों ने किया विरोध, कांग्रेस का समर्थन कौसानी, 29 मार्च 2025: उत्तराखंड के कौसानी में शराब के खिलाफ चल रहा विरोध प्रदर्शन उस समय तनावपूर्ण हो गया, जब शराब विरोधी प्रदर्शन कर रही महिलाओं का कुछ स्थानीय लोगों ने विरोध किया। आसपास के ... Read more

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विपिन जोशी
कौसानी में शराब विरोध प्रदर्शन: महिलाओं के आंदोलन का स्थानीय लोगों ने किया विरोध, कांग्रेस का समर्थन
कौसानी, 29 मार्च 2025: उत्तराखंड के कौसानी में शराब के खिलाफ चल रहा विरोध प्रदर्शन उस समय तनावपूर्ण हो गया, जब शराब विरोधी प्रदर्शन कर रही महिलाओं का कुछ स्थानीय लोगों ने विरोध किया। आसपास के गांवों से आई 20 महिलाओं सहित कुल 70 प्रदर्शनकारी महिलाएं नारे लगाते हुए कौसानी तिराहे पर पहुंची थीं। इस दौरान कुछ लोग शराब की दुकान के पक्ष में बोलते हुए प्रदर्शनकारी महिलाओं से उलझ पड़े और कुतर्क करने लगे।

प्रदर्शन में शामिल प्रमुख महिलाओं में हीरा रावत, प्रभा डोसाद, बबली तिवारी, गंगा दोसाद, भावना तिवारी, प्रेमा थापा और देवकी देवी शामिल थीं, जो सभी कौसानी की रहने वाली हैं। लक्ष्मी आश्रम की सदस्या शोभा बिष्ट ने बताया कि प्रदर्शनकारी महिलाओं और आश्रम, दोनों का कुछ स्थानीय लोगों ने विरोध किया। उन्होंने कहा, “हम शराब के खिलाफ लंबे समय से आवाज उठा रहे हैं, लेकिन कुछ लोग इसे नजरअंदाज कर हमारे प्रयासों को कमजोर करने की कोशिश कर रहे हैं।”

मामला गर्माया, कांग्रेस का समर्थन
शराब को लेकर कौसानी में स्थिति तल्ख होती जा रही है। इस बीच, कांग्रेस पार्टी ने इस मुद्दे पर अपनी सक्रियता दिखाने का फैसला किया है। पूर्व विधायक ललित फर्सवान ने जानकारी दी कि कांग्रेस पार्टी कौसानी में शराब विरोध के समर्थन में उपवास पर बैठेगी और लक्ष्मी आश्रम के आंदोलन को मजबूती प्रदान करेगी। उन्होंने कहा, “शराब के खिलाफ यह लड़ाई सामाजिक न्याय और क्षेत्र की शांति के लिए जरूरी है। हम आश्रम और स्थानीय महिलाओं के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हैं।”

प्रदर्शन की पृष्ठभूमि
कौसानी में शराब की दुकानों के खिलाफ विरोध का इतिहास पुराना है। लक्ष्मी आश्रम और स्थानीय महिलाएं लंबे समय से इस मुद्दे पर आंदोलनरत हैं, उनका मानना है कि शराब की उपलब्धता से क्षेत्र में नशे की लत और सामाजिक समस्याएं बढ़ रही हैं। आज का प्रदर्शन भी इसी कड़ी का हिस्सा था, लेकिन स्थानीय स्तर पर मिला विरोध इस आंदोलन के लिए नई चुनौती बनकर उभरा है।

स्थानीय प्रशासन ने अभी तक इस मामले में कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि यह प्रदर्शन किस दिशा में बढ़ता है और क्या कांग्रेस का समर्थन इस आंदोलन को नई ताकत दे पाता है।

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रोजी-रोटी की तलाश में संघर्षरत चेहरे https://swarswatantra.in/archives/10663?utm_source=rss&utm_medium=rss&utm_campaign=%25e0%25a4%25b0%25e0%25a5%258b%25e0%25a4%259c%25e0%25a5%2580-%25e0%25a4%25b0%25e0%25a5%258b%25e0%25a4%259f%25e0%25a5%2580-%25e0%25a4%2595%25e0%25a5%2580-%25e0%25a4%25a4%25e0%25a4%25b2%25e0%25a4%25be%25e0%25a4%25b6-%25e0%25a4%25ae%25e0%25a5%2587%25e0%25a4%2582 https://swarswatantra.in/archives/10663#respond Tue, 18 Mar 2025 01:44:33 +0000 https://swarswatantra.in/?p=10663 विमला देवी जयपुर, राजस्थान राजस्थान की राजधानी जयपुर में स्थित हवा महल, अपनी भव्यता और ऐतिहासिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है. इसे देखने के लिए दूर-दूर से पर्यटक आते रहते हैं, जिसकी वजह से यह पूरा इलाका हमेशा गुलज़ार रहता है. पर्यटकों की वजह से यहां की व्यापारिक गतिविधियां भी खूब रहती हैं. जिससे बड़ी ... Read more

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विमला देवी
जयपुर, राजस्थान

राजस्थान की राजधानी जयपुर में स्थित हवा महल, अपनी भव्यता और ऐतिहासिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है. इसे देखने के लिए दूर-दूर से पर्यटक आते रहते हैं, जिसकी वजह से यह पूरा इलाका हमेशा गुलज़ार रहता है. पर्यटकों की वजह से यहां की व्यापारिक गतिविधियां भी खूब रहती हैं. जिससे बड़ी संख्या में महिलाओं और पुरुषों को रोज़गार हासिल होता है. लेकिन कुछ महिलाएं और पुरुष ऐसे भी हैं जो अपनी आजीविका के लिए यहां रेहड़ी-पटरी पर दुकान लगाते हैं, संघर्ष करते हैं और अपनी मेहनत के बलबूते पर परिवार के लिए दो वक़्त की रोटी की व्यवस्था करते हैं. अस्थाई दुकान होने की वजह से इन्हें प्रतिदिन कई प्रकार की चुनौतियों का भी सामना करना पड़ता रहता है. इसके बावजूद यह अपनी मेहनत और संघर्ष से रोज़ एक नई कहानी लिखते हैं.

इन्हीं में एक 60 वर्षीय मदीना बानो भी हैं, जिनकी आंखों में संघर्ष की झलक और आत्मनिर्भरता की चमक साफ देखी जा सकती है. उनके दो बेटे और बहुएं हैं, लेकिन वे उनका ख्याल नहीं रखते हैं. बुढ़ापे में जब इंसान को अपने परिवार के सहारे की सबसे ज्यादा जरूरत होती है, तब मदीना बानो को अपने ही परिवार से उपेक्षा झेलनी पड़ रही है. लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी. पति की मौत के बाद मदीना बनो किसी पर निर्भर रहने से बेहतर खुद ही रोज़ी रोटी कमाने निकल पड़ी. वह रोज़ाना हवा महल के पास एक कोने में बैठकर मिट्टी के खिलौने बेचती हैं. रंग-बिरंगे खिलौने न केवल बच्चों का मन मोहते हैं, बल्कि उनकी जीविका का एकमात्र साधन भी हैं.

दिनभर तपती धूप में बैठकर वे राहगीरों को अपनी दुकान की ओर आकर्षित करने का प्रयास करती हैं. कभी-कभी बिक्री अच्छी होती है, तो दिन आराम से कटता है, लेकिन कई बार उन्हें खाली हाथ भी घर लौटना पड़ता है. बावजूद इसके, वे उम्मीद का दामन कभी नहीं छोड़ती हैं. सांगानेरी गेट की रहने वाली मदीना बनो बताती हैं कि वह होलसेल दुकानों से इन खिलौनों को खरीदती हैं. एक खिलौने पर उन्हें 20 रुपए तक मिल जाते हैं. इस तरह प्रतिदिन उन्हें 200 रुपए तक मिल जाते हैं. लेकिन प्रचंड गर्मी के दिनों में उन्हें एक दिन में 50 रूपए भी नहीं मिल पाते हैं. इसके बावजूद वह हिम्मत नहीं हारती हैं.

संघर्ष की इस कहानी में 41 वर्षीय ममता भी हैं, जो अपने परिवार के भरण पोषण के लिए कपड़े की फेरी लगाती हैं. उनके पति एक कपड़ा मिल में कर्मचारी के रूप में काम करते हैं. ममता बताती हैं कि बच्चों के उज्जवल भविष्य के लिए पांच वर्ष पूर्व उन्होंने खुद का रोज़गार शुरू करने का निर्णय लिया. हालांकि उनके पति ने उनका साथ दिया लेकिन पुरानी विचारधारा वाले उनके सास ससुर ने इसका काफी विरोध किया. लेकिन धीरे धीरे जब आमदनी होने से परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी होने लगी तो उन्होंने ममता का विरोध करने की जगह उनका हौसला बढ़ाने लगे. हवा महल से करीब 11 किमी दूर दुर्गापुर की रहने वाली ममता स्वयं सहायता समूह से भी जुड़ी हुई हैं. इसके बावजूद उन्हें आजीविका के लिए रोज़ संघर्ष करनी पड़ती है.

वहीं उत्तर प्रदेश के जौनपुर के रहने वाले 38 वर्षीय प्रकाश, पिछले कई वर्षों से हवा महल के सामने चने और नमकीन बेचकर अपने परिवार का पालन-पोषण कर रहे हैं. उनके दो बच्चे अभी स्कूली शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं. घर की आमदनी और बच्चों की अच्छी शिक्षा के लिए उनकी पत्नी मुन्नी आसपास के घरों में घरेलू सहायिका के रूप में काम करती हैं. इस तरह दोनों मिलकर परिवार की जरूरतों को पूरा करने का प्रयास करते हैं. प्रकाश का जीवन आसान नहीं है. अस्थाई दुकान होने के कारण हमेशा उनकी रोजी-रोटी पर संकट मंडराता रहता है. उनके लिए हर दिन एक नई चुनौती के रूप में आता है, लेकिन वह हर मुश्किल का सामना करते हुए अपने परिवार के लिए संघर्षरत करते हैं.

हालांकि रोजगार की जद्दोजहद से अलग 75 वर्षीय कमला देवी, हवा महल के पास ही एक प्याऊ चलाती हैं. जहां वह लोगों को सेवाभाव से पानी पिलाती हैं. उनकी झुर्रियों से भरा चेहरा अनुभव और सेवा की भावना से ओतप्रोत होता है. गर्मी के दिनों में जब हवा महल घूमने आये लोग प्यास से बेहाल होते हैं, तब उनकी प्याऊ एक वरदान साबित होती है. कमला देवी बिना किसी स्वार्थ के राहगीरों को शुद्ध और ठंडा पानी पिलाती हैं. इसके बदले में वह कभी पैसे की मांग नहीं करती हैं. लेकिन जब कोई उन्हें पैसा देता है तो वह मना भी नहीं करती हैं.

वह मानती हैं कि सेवा ही सबसे बड़ा धर्म है. उनका यह निस्वार्थ भाव हर किसी को प्रेरित करता है. हालांकि उनकी अपनी आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं है, फिर भी वे दूसरों की मदद करने से पीछे नहीं हटतीं हैं. वह सुबह आठ बजे से शाम सात बजे तक लोगों को शीतल जल पिलाने का काम करती हैं. वह बताती हैं कि उनका केवल एक बेटा है जो घर पर गौशाला चलाता है, जिसका दूध बेचकर घर का राशन आ जाता है. इसके अतिरिक्त उन्हें वृद्धा पेंशन भी मिलती है. जिससे मां बेटे का गुज़ारा चल जाता है. इसीलिए वह पानी पिलाने का पैसा नहीं मांगती हैं.

हवा महल के पास पर्यटक अपनी यादों को संजोने के लिए तस्वीरें खिंचवाते हैं, वहीं दूसरी ओर मदीना बानो, ममता और प्रकाश जैसे कई ऐसे लोग हैं, जो अपनी रोजमर्रा की जिंदगी की जद्दोजहद में लगे रहते हैं. उनकी दुनिया पर्यटकों की चमक-दमक से दूर एक अलग ही हकीकत बयां करती है. इनका जीवन अस्थिरता से भरा हुआ है. जहां इनकी मुश्किलें कभी खत्म नहीं होती हैं. वे सर्दी, गर्मी और बरसात में भी अपने व्यवसाय को चलाने की कोशिश करते हैं. अस्थाई दुकान होने की वजह से कई बार उन्हें आर्थिक रूप से बहुत नुकसान भी उठाना पड़ता है. इन तमाम मुश्किलों के बावजूद, इन लोगों के चेहरे पर एक अलग ही चमक होती है. यह चमक संघर्ष की है, मेहनत की है और कभी हार न मानने की भावना की है.
लेखिका संघर्ष संस्थान, दूदू से जुड़ी हैं

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कहीं राहत तो कहीं मुसीबत : बदलता मौसम https://swarswatantra.in/archives/10660?utm_source=rss&utm_medium=rss&utm_campaign=%25e0%25a4%2595%25e0%25a4%25b9%25e0%25a5%2580%25e0%25a4%2582-%25e0%25a4%25b0%25e0%25a4%25be%25e0%25a4%25b9%25e0%25a4%25a4-%25e0%25a4%25a4%25e0%25a5%258b-%25e0%25a4%2595%25e0%25a4%25b9%25e0%25a5%2580%25e0%25a4%2582-%25e0%25a4%25ae%25e0%25a5%2581%25e0%25a4%25b8%25e0%25a5%2580%25e0%25a4%25ac%25e0%25a4%25a4-%25e0%25a4%25ac https://swarswatantra.in/archives/10660#respond Mon, 17 Mar 2025 23:23:18 +0000 https://swarswatantra.in/?p=10660 विपिन जोशी, गरुड़ इन दिनों उत्तराखंड में मौसम में अचानक बदलाव देखने को मिल रहा है। अनिश्चित बारिश और बर्फबारी ने स्थानीय किसानों को कहीं राहत दी है तो कहीं मुश्किलें भी पैदा की हैं। इसका प्रमुख है भूमध्य सागर से उत्पन्न होने वाला पश्चिमी विक्षोभ है, यह विक्षोभ भूमध्य सागर से बनता है और ... Read more

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विपिन जोशी, गरुड़
इन दिनों उत्तराखंड में मौसम में अचानक बदलाव देखने को मिल रहा है। अनिश्चित बारिश और बर्फबारी ने स्थानीय किसानों को कहीं राहत दी है तो कहीं मुश्किलें भी पैदा की हैं। इसका प्रमुख है भूमध्य सागर से उत्पन्न होने वाला पश्चिमी विक्षोभ है, यह विक्षोभ भूमध्य सागर से बनता है और हिमालयी क्षेत्रों की ओर बढ़ता है। सर्दियों में बारिश और बर्फबारी का कारण भी पश्चिमी विक्षोभ है। लेकिन मार्च में भी पश्चिमी विक्षोभ का असर दिख सकता है, जैसा इस बार घटित हो रहा है।
अक्सर जब पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय होकर उत्तर-पश्चिम भारत में प्रवेश करता है। जैसे इस बार उत्तराखंड में ऊंचाई वाले इलाकों जैसे बद्रीनाथ, केदारनाथ, औली, मुनस्यारी, कपकोट और चमोली में बर्फबारी तथा मैदानी क्षेत्रों में बारिश देखने को मिली। मौसम विभाग के अनुसार,15-16 मार्च को पश्चिमी विक्षोभ के कारण गरज, बिजली और तेज हवाओं के साथ बारिश और ओलावृष्टि की संभावना बनी थी। इस अनिश्चितता के पीछे कुछ कारण हो सकते हैं।
पश्चिमी विक्षोभ की सक्रियता: मार्च में आमतौर पर सर्दियाँ कमजोर पड़ने लगती हैं, लेकिन इस साल पश्चिमी विक्षोभ की ताजा लहर ने मौसम को अचानक बदल दिया। हिमालयी क्षेत्र में नमी बनने से, बारिश और बर्फबारी हुई । दूसरा प्रभाव जलवायु परिवर्तन का है, जलवायु परिवर्तन के प्रभाव से मौसम के पैटर्न में अनियमितता बढ़ी है। सामान्यतः मार्च में उत्तराखंड में मौसम शुष्क और गर्म होता है। लेकिन बदलते वैश्विक ताप और हवा के प्रवाह के कारण बारिश और बर्फबारी जैसी घटनाएँ इस महीने में भी देखी जा रही हैं। उत्तराखंड की पहाड़ी भौगोलिक स्थिति पश्चिमी विक्षोभ के प्रभाव को बढ़ाते हैं और नमी से भरी हवाओं को हिमालय से टकराने के लिए मजबूर करती है, तो अनिश्चित बारिश और बर्फबारी होती है। हाल के दिनों में मौसम विभाग ने उत्तराखंड के लिए येलो अलर्ट जारी किया था, जिसमें देहरादून, उत्तरकाशी, चमोली, रुद्रप्रयाग जैसे जिलों में हल्की बारिश और 3200 मीटर से अधिक ऊँचाई पर बर्फबारी की संभावना जताई गई है। यह बदलाव सर्दियों की कमी को पूरा करने में सहायक होता है, साथ ही यह अनिश्चितता यात्रियों और स्थानीय लोगों के लिए चुनौतियाँ भी पैदा कर रही है।

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मंत्री अग्रवाल का इस्तीफा : विपिन जोशी https://swarswatantra.in/archives/10655?utm_source=rss&utm_medium=rss&utm_campaign=%25e0%25a4%25ae%25e0%25a4%2582%25e0%25a4%25a4%25e0%25a5%258d%25e0%25a4%25b0%25e0%25a5%2580-%25e0%25a4%2585%25e0%25a4%2597%25e0%25a5%258d%25e0%25a4%25b0%25e0%25a4%25b5%25e0%25a4%25be%25e0%25a4%25b2-%25e0%25a4%2595%25e0%25a4%25be-%25e0%25a4%2587%25e0%25a4%25b8%25e0%25a5%258d%25e0%25a4%25a4%25e0%25a5%2580%25e0%25a4%25ab https://swarswatantra.in/archives/10655#respond Mon, 17 Mar 2025 02:23:45 +0000 https://swarswatantra.in/?p=10655 कयास लगाए जा रहे हैं कि मंत्री अग्रवाल के इस्तीफे के पीछे नेगी दा के हालिया वायरल गीत की भी भूमिका है. देहरादून, उत्तराखंड सरकार के मंत्री प्रेम चंद्र अग्रवाल का इस्तीफा याने लोकतंत्र के जिंदा होने के संकेत हैं। कहते हैं व्यक्ति अपनी गरिमा और स्वाभिमान के लिए सड़क पर उतरता है तो कुछ ... Read more

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कयास लगाए जा रहे हैं कि मंत्री अग्रवाल के इस्तीफे के पीछे नेगी दा के हालिया वायरल गीत की भी भूमिका है.
देहरादून, उत्तराखंड सरकार के मंत्री प्रेम चंद्र अग्रवाल का इस्तीफा याने लोकतंत्र के जिंदा होने के संकेत हैं। कहते हैं व्यक्ति अपनी गरिमा और स्वाभिमान के लिए सड़क पर उतरता है तो कुछ भी असंभव नहीं। मंत्री प्रेम चंद्र अग्रवाल ने विधानसभा में उत्तराखंडियत का उपहास किया और असंसदीय भाषा शैली का प्रयोग किया। इस घटना का हर स्तर पर विरोध शुरू हुआ। उत्तराखंड क्रांति दल ने गैरसैण में प्रदर्शन भी किया और राज्य भर में एक यात्रा भी निकाली। पक्ष विपक्ष के विधायकों को उत्तराखंडीयत और पहाड़ के स्वाभिमान के नाम पर जगाने की मुहिम शुरू की। जनता के आक्रोश को प्रमुख समाचार पत्रों और यूट्यूबर्स ने छापना दिखाना शुरू किया। इसका असर भाजपा में हुआ, पार्टी ने मंत्रणा की और मंत्री साहब पर इस्तीफे का दबाव बढ़ता गया। आज सुबह आई कि भावुक होते हुए मंत्री साहब ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। मंत्री प्रेम चंद्र अग्रवाल कहते हैं कि उन्हें टारगेट किया गया, जिस जनता ने वोट दिया उसी जनता ने खुद के अपमान का बदला भी ले लिया। वहीं मशहूर गायक नरेंद्र नेगी बताते हैं कि अग्रवाल के इस्तीफे के पीछे उनके नए गीत की कोई भूमिका नहीं है। अब खुल कर कौन किसी नेता, विधायक, मंत्री के आगे आएगा यह दीगर बात है कि नेगी दा के गीतों ने समय समय पर उत्तराखंड की सत्ता परिवर्तन में भूमिका तो निभाई ही है। इस बार उनके गीत का कितना असर रहा ये शोध का नया विषय हो सकता है। बहरहाल स्वाभिमान और उत्तराखंडियत के सवाल पर बीजेपी को बैकफुट में जाना पड़ा और जनता के आक्रोश के चलते 2027 के चुनाव को मद्देनजर रखते हुए मंत्री प्रेम चंद्र अग्रवाल को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा।

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जब बर्तन बिकेंगे, तब खाने का इंतजाम होगा https://swarswatantra.in/archives/10651?utm_source=rss&utm_medium=rss&utm_campaign=%25e0%25a4%259c%25e0%25a4%25ac-%25e0%25a4%25ac%25e0%25a4%25b0%25e0%25a5%258d%25e0%25a4%25a4%25e0%25a4%25a8-%25e0%25a4%25ac%25e0%25a4%25bf%25e0%25a4%2595%25e0%25a5%2587%25e0%25a4%2582%25e0%25a4%2597%25e0%25a5%2587-%25e0%25a4%25a4%25e0%25a4%25ac-%25e0%25a4%2596%25e0%25a4%25be%25e0%25a4%25a8%25e0%25a5%2587-%25e0%25a4%2595 https://swarswatantra.in/archives/10651#respond Fri, 14 Mar 2025 10:17:45 +0000 https://swarswatantra.in/?p=10651 लोहार समुदाय के संघर्ष और अस्तित्व की कहानी संतरा चौरठिया अजमेर, राजस्थान अरावली की पहाड़ियों के बीच बसा अजमेर, राजस्थान की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहरों में अपनी एक खास जगह रखता है. यह शहर केवल ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि धार्मिक रूप से भी श्रद्धालुओं के लिए विशेष आकर्षण रखता है. यहां ब्रह्मा ... Read more

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लोहार समुदाय के संघर्ष और अस्तित्व की कहानी
संतरा चौरठिया
अजमेर, राजस्थान

अरावली की पहाड़ियों के बीच बसा अजमेर, राजस्थान की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहरों में अपनी एक खास जगह रखता है. यह शहर केवल ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि धार्मिक रूप से भी श्रद्धालुओं के लिए विशेष आकर्षण रखता है. यहां ब्रह्मा जी का इकलौता मंदिर पुष्कर में स्थित है, वहीं ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह अजमेर को आध्यात्मिकता का केन्द्र बनाती है. हर साल यहां लगने वाले पुष्कर मेले और उर्स के दौरान श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है, जिससे स्थानीय व्यवसायियों को अच्छी कमाई का अवसर मिलता है. इन्हीं व्यवसायियों में लोहार समुदाय के वे परिवार भी शामिल हैं, जो लोहे और एल्युमिनियम के बर्तनों को बेचकर अपनी रोजी-रोटी कमाते हैं.

इन्हीं में एक 70 वर्षीय कमला गड़िया है जो अपनी बेटी आशा के साथ दरगाह जाने वाली सड़क के किनारे बर्तनों की छोटी-सी दुकान लगाती है. उनके लिए यह केवल एक व्यवसाय नहीं है, बल्कि पीढ़ियों से चला आ रहा पारंपरिक काम भी है. जिसे वह अपनी अगली पीढ़ी तक पहुंचाना चाहती हैं. कमला बताती हैं कि, “करीब 200 सालों से हमारा परिवार यही काम कर रहा है. पहले मेरे ससुर और फिर मेरे पति ने इसे संभाला. उनके गुजरने के बाद यह दुकान मेरे हिस्से में आई और अब मैं इसे अपनी बेटी को सौंपना चाहती हूं.”

कमला की दुकान पर लोहे के कड़ाही, चिमटे, तवे और अन्य परंपरागत रसोई के बर्तन मौजूद हैं. वहीं अब उनकी दुकान पर एल्युमिनियम के बर्तन भी हैं, जो लोहे से ज्यादा बिकते हैं. वह कहती हैं, “पहले घरों में लोहे के बर्तनों का बहुत चलन था, लेकिन अब लोग नॉन-स्टिक और स्टील के बर्तन ज्यादा पसंद करने लगे हैं. यह लोहे की अपेक्षा हल्का भी होता है. इसकी वजह से हमारे लोहे के काम पर बहुत असर भी पड़ा है. हमें रोजी रोटी के लिए लोहे के साथ साथ एल्युमिनियम के बर्तन भी रखने पड़ते हैं.”

कमला की 33 वर्षीय बेटी आशा भी अपनी मां के साथ दुकान पर बैठती है. छह साल पहले पति की मौत के बाद वह अपने तीन बच्चों के साथ मां के पास ही आ गई. बचपन से ही उसने पिता के साथ इस काम में हाथ बंटाना शुरू कर दिया था. आज उसे बर्तन बनाने और बेचने दोनों का अच्छा अनुभव है. लेकिन बाजार के बदलते रुख ने उनकी कमाई को सीमित कर दिया है. आशा बताती है, “अब पहले जैसे ग्राहक नहीं आते हैं. दिनभर में मुश्किल से दो-तीन बर्तन ही बिकते हैं, जिससे 600-700 रुपये तक ही कमाई हो पाती है. लोग मोल-भाव भी बहुत करते हैं, जिससे सामान को लगभग लागत मूल्य पर ही बेचना पड़ता है.” लेकिन कुछ विशेष मौकों पर उनकी बिक्री बढ़ जाती है.

आशा कहती है, “पुष्कर मेला और उर्स के दौरान जब ग्रामीण इलाकों से लोग आते हैं, तब थोड़ी अच्छी कमाई हो जाती है क्योंकि गांवों में आज भी लोहे के बर्तन में खाना पकाने को प्राथमिकता दी जाती है. कभी-कभी ऐसा भी होता है कि साल भर में जितने बर्तन बिकते हैं, उतने अकेले इन मेलों में ही बिक जाते हैं.” यह कहते हुए आशा की आंखों में चमक और चेहरे पर मुस्कुराहट को साफ पढ़ा जा सकता था.

कमला और आशा की तरह, 60 वर्षीय केसर भी लोहे के बर्तन बनाने और बेचने का काम करते हैं. हालांकि उम्र के इस पड़ाव में उनकी सेहत जवाब देने लगी है. घुटनों में सूजन और लगातार बढ़ती थकान उनके लिए रोज़ का संघर्ष बन चुकी है. लेकिन उनके पास कोई दूसरा विकल्प नहीं है. पेट की आग बुझाने के लिए वह प्रतिदिन तपती भट्टी के सामने बैठकर हथौड़ा चलाने को मजबूर हैं. केसर के तीन बेटे हैं. सबसे बड़े बेटे की मृत्यु हो चुकी है, और उसके परिवार की ज़िम्मेदारी भी उन्हीं के कंधों पर आ गई है. बाकी दो बेटे मजदूरी करते हैं और अलग रहते हैं.

वह कहते हैं, “पहले की तरह अब लोहे के बर्तनों में कुछ कमाई नहीं रही, लेकिन पीढ़ियों से हमारा यही काम है, इसलिए करता हूं. न तो मेरे पास जमीन है कि खेती करूं और न ही मुझे कोई दूसरा रोजगार करने आता है.” हालांकि गर्व से अपने इतिहास को याद करते हुए केसर बताते हैं, “हमारे पूर्वज महाराणा प्रताप के सैनिकों के लिए कवच, ढाल, तलवार और अन्य युद्धक सामान बनाया करते थे. लेकिन जब वह ज़रूरत ख़त्म हो गई, तो हम लोहे से बर्तन बनाने लगे. लेकिन अब इसकी भी मांग लगभग नहीं के बराबर रही. कई बार मेरा पूरा दिन ग्राहकों के इंतज़ार में बीत जाता है, और कोई सामान नहीं बिकता है.”

केसर बताते हैं कि अब 120 रुपये किलो लोहा खरीदना पड़ता है. पहले वे खुद इसे बर्तन का आकार देते थे, लेकिन अब इसके डिजाइन के लिए मशीनें आ गई है, जिसका खर्च उठाना आसान नहीं है. हालांकि वे भी कभी-कभी मशीन का सहारा लेते हैं, लेकिन इससे उनकी लागत बढ़ जाती है और मुनाफ़ा घट जाता है. वह कहते हैं कि “एक कड़ाही बेचने में मुश्किल से दस रुपये का फायदा होता है, जबकि एल्युमिनियम के बर्तनों में कमाई थोड़ी ज्यादा हो जाती है, क्योंकि कच्चा माल खरीदकर हम इसे खुद ही इसे तैयार कर लेते हैं.” वह बताते हैं कि अब लोग लोहे के बजाय हल्के और चमकदार एल्युमिनियम के बर्तनों को पसंद करने लगे हैं. हालांकि कृषि और बागवानी के कामों के लिए अभी भी लोहे के औजारों की मांग होती है, लेकिन वह भी बहुत कम हो गया है.

लोहे के बर्तन बनाना लोहार समुदाय के लिए केवल एक व्यवसाय नहीं, बल्कि उनकी पहचान और अस्तित्व का प्रतीक है. लेकिन बदलते समय के साथ उनके लिए रोज़ी रोटी चलाना मुश्किल होता जा रहा है. नयी तकनीक, सस्ते विकल्प और बदलते उपभोक्ता व्यवहार ने उनके पारंपरिक काम को संकट में डाल दिया है. कमला, आशा और केसर जैसे कई परिवार इसी उधेड़बुन में हैं कि उनके बच्चों का भविष्य क्या होगा? बर्तनों की बिक्री उनके पेट भरने का एकमात्र साधन है. जब बर्तन बिकते हैं, तभी उनके घरों में चूल्हा जलता है, तभी बच्चों की पढ़ाई और परिवार का गुजारा संभव होता है.

लेकिन बाजार में धुंधली होती उनकी पहचान ने उन्हें चिंता में डाल दिया है, लेकिन इस कठिन परिस्थिति में भी उनकी उम्मीदें कायम है. उनके हथौड़े की चोटें, उनकी मेहनत और संघर्ष की गूंज हमें यह एहसास दिलाती है कि मेहनतकश हाथ कभी हार नहीं मानते हैं. उनके लिए हर नया दिन एक नई उम्मीद लेकर आता है कि उनके बर्तन बिकते रहेंगे और परिवार का चूल्हा जलता रहेगा.
लेखिका महिला जन अधिकार समिति, अजमेर से जुड़ी है

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सफलता के टिप्स देंगे ग्यारह अनुभवी विद्वान शिक्षक https://swarswatantra.in/archives/10632?utm_source=rss&utm_medium=rss&utm_campaign=%25e0%25a4%25b8%25e0%25a4%25ab%25e0%25a4%25b2%25e0%25a4%25a4%25e0%25a4%25be-%25e0%25a4%2595%25e0%25a5%2587-%25e0%25a4%259f%25e0%25a4%25bf%25e0%25a4%25aa%25e0%25a5%258d%25e0%25a4%25b8-%25e0%25a4%25a6%25e0%25a5%2587%25e0%25a4%2582%25e0%25a4%2597%25e0%25a5%2587-%25e0%25a4%2597%25e0%25a5%258d%25e0%25a4%25af%25e0%25a4%25be https://swarswatantra.in/archives/10632#respond Sat, 01 Mar 2025 01:49:31 +0000 https://swarswatantra.in/?p=10632 राजीव गाँधी नवोदय प्रवेश परीक्षा में सफलता के टिप्स देंगे ग्यारह अनुभवी विद्वान शिक्षक:- राजीव गाँधी नवोदय विद्यालय प्रवेश परीक्षा 09 मार्च ,2025 को जिले के विभिन्न केन्द्रों में आयोजित होनी है। इस प्रवेश परीक्षा की तैयारी कराने के लिए जिले के विभिन्न विकासखंडों से ग्यारह से अधिक विद्वान ,अनुभवी शिक्षकों द्वारा सहयोग दिया जा ... Read more

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राजीव गाँधी नवोदय प्रवेश परीक्षा में सफलता के टिप्स देंगे ग्यारह अनुभवी विद्वान शिक्षक:-

राजीव गाँधी नवोदय विद्यालय प्रवेश परीक्षा 09 मार्च ,2025 को जिले के विभिन्न केन्द्रों में आयोजित होनी है। इस प्रवेश परीक्षा की तैयारी कराने के लिए जिले के विभिन्न विकासखंडों से ग्यारह से अधिक विद्वान ,अनुभवी शिक्षकों द्वारा सहयोग दिया जा रहा है। इसमें बच्चों को ऑनलाइन माध्यम से आधुनिक तकनीकी का उपयोग करते हुए गूगल मीट पर नियमित रुप से अलग- अलग शिक्षकों द्वारा हिंदी भाषा, गणित, मानसिक योग्यता पर प्रवेश तैयारी की तैयारी करायी जाएगी। यस ऑनलाइन कक्षा 27 फरवरी, 2025 से दि०-08 मार्च, 2025 तक शायं 06:30 से अधिकतम 08:00 बजे तक चलेगी। प्रतिदिन ऑनलाइन जुड़ने के लिए लिंक एक ही रहेगा। ऑनलाइन क्लास में सर्व श्री विशन सिंह रावत (प्र.अ.), अमित पाण्डे (स.अ.),पवन कुमार (प्र.प्र.अ.), हेमन्त कुमार(प्र.प्र.अ.), कृष्ण चन्द्र सती(स.अ.), शिवदत्त बेलवाल(स.अ.), अशोक पन्त (प्रधानाचार्य), प्रदीप सती (प्र.अ.),सुरेश देवतल्ला(स.अ.), राजेश कुमार(प्र.प्र.अ.),डॉ.नवीन जोशी (स.अ.) व अन्य शिक्षकों द्वारा सहयोग दिया जाएगा। समय – समय पर इस ऑनलाइन कार्यक्रम में खंड़ शिक्षा अधिकारी महोदय भिकियासैंण, डायट प्राचार्य अल्मोड़ा व अन्य अधिकारियों का मार्गनिर्देशन व आशीर्वचन बच्चों को प्रदान होगा। इस प्रवेश परीक्षा में बैठने वाले सभी बच्चों से निवेदन है कि वे नियमित रुप से प्रतिदिन समय से जुड़कर इन कक्षाओं का लाभ लेकर अपने जीवन को सफल बनायें। राजीव गाँधी नवोदय विद्यालय प्रवेश परीक्षा तैयारी कार्यक्रम का समन्वयन सभी सम्मानित शिक्षकों के सहयोग से कृपाल सिंह शीला (स.अ.- विज्ञान), क्षेत्र – भिकियासैंण(अल्मोड़ा) द्वारा किया जा रहा है। कार्यक्रम समन्वयक द्वारा सभी प्रतिभागी बच्चों व शिक्षकों से सहयोग का निवेदन किया गया है। ऑनलाइन क्लास में जुड़ने के लिए प्रतिदिन के गूगल मीट का लिंक एक ही रहेगा।

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गिरै कौतिक -2025 का समापन : विपिन जोशी https://swarswatantra.in/archives/10579?utm_source=rss&utm_medium=rss&utm_campaign=%25e0%25a4%2597%25e0%25a4%25bf%25e0%25a4%25b0%25e0%25a5%2588-%25e0%25a4%2595%25e0%25a5%258c%25e0%25a4%25a4%25e0%25a4%25bf%25e0%25a4%2595-2025-%25e0%25a4%2595%25e0%25a4%25be-%25e0%25a4%25b8%25e0%25a4%25ae%25e0%25a4%25be%25e0%25a4%25aa%25e0%25a4%25a8-%25e0%25a4%25b5%25e0%25a4%25bf%25e0%25a4%25aa%25e0%25a4%25bf https://swarswatantra.in/archives/10579#respond Fri, 17 Jan 2025 01:21:14 +0000 https://swarswatantra.in/?p=10579 पारंपरिक झोड़े के साथ हुआ दो दिवसीय “गिरै कौतिक -2025 का समापन :- अपनी पौराणिक संस्कृति को संरक्षित रखने के क्रम में पौराणिक, ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, व्यापारिक ग्राम सभा – चनुली – सरपटा, पो०- बासोट, भिकियासैंण(अल्मोड़ा) में लगने वाले पारंपरिक गिरै कौतिक को पुनर्जीवित करने के सातवें वर्ष के कौतिक का समापन पारंपारिक झोड़े ” गिरि ... Read more

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पारंपरिक झोड़े के साथ हुआ दो दिवसीय “गिरै कौतिक -2025 का समापन :-
अपनी पौराणिक संस्कृति को संरक्षित रखने के क्रम में पौराणिक, ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, व्यापारिक ग्राम सभा – चनुली – सरपटा, पो०- बासोट, भिकियासैंण(अल्मोड़ा) में लगने वाले पारंपरिक गिरै कौतिक को पुनर्जीवित करने के सातवें वर्ष के कौतिक का समापन पारंपारिक झोड़े ” गिरि खेता भूमि हो, गिरि झम्माको”, “कमला ग्यों खेता झन जाये, छोरी ग्यों बालि टूटिला के साथ किया गया। खेलों को समर्पित यह मेला के तहत पहले दिन बहुत सी शारीरिक, मानसिक खेल प्रतियोगिताएं आयोजित की गयी। आज सभी विजेता प्रतिभागियों को मंच से सम्मानित किया गया। बच्चों के द्वारा मंच पर उत्तराखंड के लोकगीतों पर बहुत सुंदर सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किये गये। स्थानीय व रानीखेत, बाजपुर, रामनगर से आये दुकानदारों, व्यापारी बंधुओं ने मेले को संरक्षित व भव्य बनाने में अपना सहयोग दिया। कौतिक में आये लोगों द्वारा गर्म कपड़े व प्लास्टिक के सामानों की जमकर खरीददारी की। बच्चों ने अपने खेलने के सामान के साथ पॉपकार्न, नमकीन, मूगफली, पेस्ट्री व अन्य खाने की चीजें खरीदी। नये वर्ष का यह पहला कौतिक होने से लोगों में बहुत उल्लास देखने में आया। कौतिक के समापन में गिरै कौतिक एवं सांस्कृतिक विकास समिति के अध्यक्ष कृपाल सिंह शीला ने इस कौतिक को संरक्षित किये जाने में अहम भूमिका निभाने वाले समस्त सहयोगियों, स्थानीय लोगों, समस्त सम्मानित प्रबुद्धजनों, युवा साथियों,समस्त व्यापारी बंधुओं का आभार व्यक्त किया गया।

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