भू कानून पर जन संवाद

भू कानून विषय पर गरुड़ तहसील में एक बैठक आयोजित की गई,बैठक की अध्यक्षता एसडीएम गरुड़ ने की,बैठक का संचालन एडवोकेट जे सी आर्या ने किया। बैठक का प्रमुख मुद्दा था भू कानून के संबंध में आमंत्रित सुझाव।
एसडीएम गरुड़ जितेन्द्र वर्मा ने भू कानून मुद्दे पर अपने विचार साझा करते हुए कहां कि उत्तराखंड में जमीन संबधी मामलों में भू कानून एक संवेदनशील मसला है।
उत्तराखंड में कृषि भूमि की खरीद फरोख्त पर तुरंत रोक लगनी चहिए। कृषि भूमि में सिर्फ कृषि कार्य ही किया जाए। या फल पट्टी विकसित करने के लिए जमीन का उपयोग हो। भू कानून अपनी जमीनों को बचाने के लिए उसका संरक्षण करने के लिए होना चाहिए। ग्रामीण क्षेत्रों की कृषि भूमि के लिए भी सख्त कानून बनाना चाहिए। सरकार एक विशेषज्ञ कमेटी बनाए और उनकी निगरानी में भू कानून संबंधी जानकारी समाज में साझा की जाए, बैठक में वार्ता को आगे बढ़ाते हुए प्रयवर्णविद व पत्रकार हरीश जोशी ने अपने संबोधन में बताया कि खेती वाली जमीन में खेती का पैटर्न भी बदल रहा है। जमीनों का वर्गीकरण किए जाने की जरूरत है। कौन सी जमीन में क्या कार्य किया जाए,ताकि उत्तराखंड की जमीनों की सुरक्षा हो। भू कानून को नेताओं ने अपने तरीके से अपने लाभ के लिए उपयोग किया है, उत्तराखंड में मजबूत कानून बनाने की आवश्यकता है, पैतृक भूमि को बचाने की जरूरत है। विकास कार्य भी निरंतर जारी रहें और कृषि भूमि भी बची रहे। जंगलों पर पड़ने वाले दबाव भी हैं, बेनाप भूमि का उपयोग और सरकारी उपक्रमों के निर्माण का काम कौन सी भूमि में होगा इस पर भी सोचने की आवश्यकता है।
संवाद के क्रम में साहित्यकार मोहन जोशी ने भू कानून को समग्रता में जोड़ने की बात कही, कृषि को उन्नत करने की जरूरत है। चकबंदी लागू हो उसके बाद कृषि भूमि की सुरक्षा होगी। उचित दिशा में श्रम करने की जरूरत है। पशु धन सड़कों में आवारा घूम रहे हैं कैसे बचेगी खेती। जंगलों का विकास हो, नर्सरी बनाई जाए। किसानों के सम्मेलन हो उनकी चर्चाएं हो, भूमि बचाने के लिए सकारात्मक प्रयास किए जाने की जरूरत हो। कृषि को शिक्षा में जरूरी किया जाए। कृषि उत्पादों की प्रदर्शनी,विपणन व्यवस्था बेहतर हो,जमीन यदि कृषि के माध्यम से रोजगार सृजित करेगी तो लोगों का मन जमीन के प्रति बढ़ेगा इस तरह के मास्टर प्लान की जरूरत है।