कंगना का बेतुका बयान : विपिन जोशी

कंगना रनौत विवादित बयानों को लेकर सुर्ख़ियों में रहती है. मंडी शीट से सांसद है. पिछले दिनों तीन किसान आंदोलन पर दिये बयान से बीजेपी की राष्ट्रीय किरकिरी करा चुकी हैं. अब हरियाणा में विधानसभा चुनाव प्रचार के अपने अंतिम दौर में हैं तो एक बार कंगना की विवादास्पद ज़ुबान फिर फ़ीसली है इस बार हरियाणा में कंगना कह बैठी कि तीन काले कृषि क़ानून वापस लागू किए जाने चाहिए. जिन काले क़ानूनों के आगे प्रधानमंत्री झुक गए और किसान आंदोलन थम गया था अब बीजेपी सांसद ने पुनः उन क़ानूनो को वापस लेन की बात कह दी. बीजेपी आला कमान इसे कंगना का व्यक्तिगत बयान बताकर पल्ला झाड़ रहा है तो उधर हरियाणा में कंगना को प्रचार के दौरान महिलाएँ दौड़ा रही हैं, भारी बेइज़्ज़ती का सामना कंगना को करना पड़ा है. चुनाव परिणामों में इसका असर भी दिखेगा.
राजनीतिक विश्लेषक कह रहे हैं कि कंगना बीजेपी की प्रवक्ता नहीं है लेकिन हाईकमान का वरद हस्त उस पर है तब इस तरह की बयानबाज़ियाँ होती हैं. हरियाणा में प्रधानमंत्री जी की दो रैलियाँ फ़्लॉप हो चुकी हैं जबकि बसपा और एलाइंस की रैलियों में ज़्यादा भीड़ थी, तो यह माना जाए कि मोदी मैजिक कम हो रहा है ? हरियाणा के मुद्दे इस बार चुनाव को रोचक बनायेंगे और कंगना रणोत जैसे सांसदों के बयान बीजेपी को मुश्किल में डालेंगे.
सूत्रों के मुताबिक़ मौजूदा वक्त में कांग्रेस का पलड़ा भारी दिख रहा है, आम आदमी और बसपा एलाइंस बीजेपी और कांग्रेस को नुक़सान पहुँचायेगी हालाँकि इस नुक़सान में कांग्रेस इनके निशाने पर होगी. बावजूद इसके बीजेपी 32-35 शीट से आगे नहीं जा सकती. यहाँ कांग्रेस के पास मौक़ा है वो अपनी अंदरूनी कलहबाज़ी से मुक्त हो हुड्डा और शैलेजा कुमारी को पुनः एक मंच में लाए और हुड्डा के नेतृत्व में हरियाणा चुनाव लड़े, यदि ऐसा होता है तो कांग्रेस जीत की दिशा में अग्रसर हो सकती है. लेकिन इतिहास बताता है कि कांग्रेस अक्सर जीती हुई बाज़ी हार जाती है. हरियाणा चुनाव इस बार किस ओर रुख़ करेगा यह भविष्य की गर्त में बैठा एक मज़ेदार सवाल है.