बागेश्वर की बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था

बागेश्वर की बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था कब सुधरेगी ? यह सवाल आज आम जनमानस के बीच खूब चर्चा में है. पिछले दिनों गरुड़ का सामुदायिक अस्पताल दो डाक्टरों की आपसी मार कुटाई के कारण मिडिया में चर्चा का केंद्र बना तो विगत कुछ माह पूर्व बाहर से दावा लिखने का प्रकरण भी छाया रहा. जनता के रोष को शाशन ने संज्ञान में लिया और दो डाक्टरों का तबादला बैजनाथ सामुदायिक अस्पताल से अन्यत्र कर दिया. अभी ये मामला ठंडा भी नहीं हुवा था कि जिला अस्पताल बागेश्वर में एक नए मुद्दे ने जन्म लिया. जिला अस्पताल से सात डाक्टरों का तबादला बिना प्रतिस्थानी के कर दिया गया. तमाम जिले के मरीज बागेश्वर जिला अस्पताल में इलाज की आस से आते हैं लेकिन उनको निराश ही होना पड़ता है. मशीने तो हैं लेकिन विशेज्ञ नहीं आम गरीब जनता के पास इतना आर्थिक आधार भी नहीं कि वे गैर सरकारी अस्पतालों में इलाज करा सकें? केंद्र सरकार की सवास्थ्य योजनाओं को भी पलीता लगाने का काम बागेश्वर जिला अस्पताल में किया जा रहा है.
उक्त मामले को संज्ञान में लेते हुवे जिला कांग्रेस कमिटी बागेश्वर ने त्वरित रूप से एक दिवसीय उपवास और धरने का आयोजन जिला अस्पताल के परिसर में किया. धरने में शाम 5 बजे तक सैकड़ो कार्यकताओं ने भाग लिया और अस्पताल प्रशासन तथा राज्य सरकार से मांग करते हुवे कहा कि तुरंत ही डाक्टरों के रिक्त पदों को भरा जाए, ताकि आम जन को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं मिल सके. एक दिवसीय उपवास और धरने का सञ्चालन युवा कांग्रेस के कवि जोशी ने 51 सूत्रीय मांगो को पढ़ कर किया. धरने को निम्न वक्ताओं ने संबोधित किया. जिलाअध्यक्ष भगवत डसीला, पूर्व विधायक कपकोट ललित फरस्वान, महिला जिला अध्यक्ष गोपा धपोला, जिला पंचायत सस्दय हरीश एठानी, राजेन्द्र टंगनिया, गोकुल रावत आदि शामिल रहे.
रिपोर्ट – विपिन जोशी