लाहूर घाटी आंदोलन के 21 दिन


15 जुलाई 2024 का दिन गरूड़ विकासखण्ड के लाहूर क्षेत्र में मानसून सक्रिय थे। घाटी के ग्रामीण डाकघट कस्बे के पास एक मैदान में अपनी पांच सूत्रीय मांगों को लेकर धरने पर बैठे हैं। 4 जून से लाहूर घाटी के ग्रामीण मूलभूत मांगों को आधार बना कर धूप, गर्मी झेलते हुए अपने तमाम कार्यो को छोड़कर ग्राम प्रधान तथा आंदोलन समूह के सदस्यों के साथ टैंट लगाकर हाथ में तख्तियां लेकर डटे हैं। आंदोलन के एक साप्ताह के बाद एसडीएम गरूड़ ने स्वर स्वतंत्र की एक रिपोर्ट देखने के बाद और स्थानीय जिला पंचायत सदस्या के आग्रह पर लाहूर घाटी आंदालेन स्थल का दौरा किया। ग्रामीणों के साथ एसडीएम गरूड़ की वार्ता विफल रही अपनी जरूरी मांगों की स्वीकृति ग्रामीणों का उद्देश्य है। उनका कहना है कि जब तक प्रशासन की ओर से लिखित आश्वासन नहीं मिल जाता वे धरना समाप्त नहीं करेंगे। आगामी सप्ताह में ग्रामीण जनपद मुख्यालय पर धरना देंगे।
लाहूर घाटी आंदोलन को कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ताओं ने मानवीय आधार पर समर्थन दिया और क्षेत्र की जनता तथा प्रशासन को संदेश देते हुए कहा कि उक्त आंदोलन किसी दल विशेष का नहीं है सभी ने आंदोलन का समर्थन करना चाहिए। मूलभूत सुविधाओं पर सभी का संवैधानिक और मानवीय अधिकार है। लेकिन 21 दिन गुजर जाने के बाद भी सत्ता पक्ष के जन प्रतिनिधि आंदोलन स्थल पर नहीं पहॅुचे हैं। ग्रामीण अब स्थानीय विधायक, सांसद की बाट जोह रहे हैं। कपकोट के पूर्व विधायक ललित फर्सवाण ने आंदोलन को समर्थन देते हुए ग्रामीणों का हौसला बढ़ाया और जिलाधिकारी बागेश्वर और एसडीएम गरूड़ के साथ दूरभाष पर चर्चा करते हुए तुरंत समाधान खोजने की बात कही।
मौजूदा सरकार के डिजाइन में आंदोलन, जन मुद्दांे पर सुनवाई शायद नहीं है। लाहूर घाटी का आंदोलन हो या देश का किसान आंदोलन एक तरह की उपेक्षा सरकार के रवैये में स्पष्ट दिखती है। ग्रामीणों ने अपना दर्द सुनाते हुए कहा कि उनके बच्चे प्रातः कालीन बेला में स्कूल को रवाना होते हैं और शाम को घर पहॅुचते हैं। दाबू गाॅव से इण्टरमीडिएट की बढ़ाई करने बच्चे 10-12 किमी. पैदल यात्रा प्रतिदिन करते हैं। यही हाल जखेड़ा, सुराग, लमचूला, भगदानू गाॅव के बच्चों का है जिनको हाईस्कूल से आगे की पढ़ाई करने के लिए सलानी तक जाना होता है। बीईओ गरूड़ कमलेश्वरी मेहता से हुई ग्रामीणों की वार्ता में बीईओ ने स्कूल के उच्चीकरण में तकनीकी हवाला दिया गया है, कुछ बेसिक मानकों के तहत ही स्कूल का उच्चीकरण हो सकता है जिसके लिए सभी को प्रयास करने होंगे, बीईओ ने ग्रामीणों को आश्वासन दिया कि दूर दराज के बच्चों के लिए वाहन की व्यवस्था की जा सकती है। लेकिन यह आश्वासन कितना काम करेगा यह भी एक सवाल है। मौजूदा हालात को देखते हुए लगता है कि ग्रामीणों को अभी लंबा संघर्ष करना होगा। 21 वें दिन प्रदर्शन में शामिल ग्रामीणों में आनंद कुवर, कु चंपा, नारायण सिंह, पदम् राम, मंगल सिंह, लक्ष्मण आर्य, कैलाश पवार, महेश सिंह, गोकुल परिहार, दुर्गा सिंह, शंकर राम, प्रकाश चन्द्र, धीरज कुमार, गरिश कोरंगा, दिनेश परिहार आदि शामिल रहे.

विपिन जोशी